चार खिलाड़ी होंगे ‘खेल रत्न ’ से सम्मानित

वर्ष 2024 के लिए खेल मंत्रालय द्वारा ‘राष्ट्रीय खेल पुरस्कार’ की घोषणा कर दी गई है। इस वर्ष 4 खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा जबकि 32 खिलाड़ियों को 2024 में खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। एथलीट सुचा सिंह और पैरा तैराक मुरलीकांत राजाराम पेटकर को अर्जुन अवार्ड लाइफटाइम पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा बेहतर कोचिंग देने के लिए बैडमिंटन कोच एस. मुरलीधरन, फुटबॉल कोच अरमांडो एगनेलो कोलाको सहित कुल पांच लोगों को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलेगा। 17 जनवरी को सभी विजेताओं को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में सम्मानित करेंगी। इस बार के खेल पुरस्कार उस समय काफी चर्चा में आए थे, जब निशानेबाज मनु भाकर के पिता द्वारा मनु का चयन खेल रत्न पुरस्कार के लिए नहीं होने की बात कहे जाने के बाद बवाल मचा था। हालांकि उस समय तक खेल पुरस्कार के लिए समिति द्वारा नामों को अंतिम रूप ही नहीं दिया गया था। खेल मंत्रालय द्वारा जिन 4 खिलाड़ियों को ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ दिया गया है, उनमें पेरिस ओलंपिक में दो ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की महिला निशानेबाज मनु भाकर, विश्व शतरंज चैंपियनशिप के विजेता भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश, भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरालंपियन प्रवीण कुमार शामिल हैं। खेल मंत्रालय का कहना है कि समिति की सिफारिशों और सरकार की जांच के आधार पर ही खिलाड़ियों, कोच और विश्वविद्यालयों को विभिन्न खेल पुरस्कार देने का निर्णय किया गया है।
खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत 1991-92 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर की गई थी और शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद यह पुरस्कार जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। इस पुरस्कार का नाम वर्ष 2021 में मौजूदा केन्द्र सरकार ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर करने का निर्णय लिया था, जिसके बाद से ही इसे ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ के नाम से जाना जाता है। यह भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च खेल पुरस्कार है। इस सम्मान के तहत पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी को 25 लाख रुपये की राशि के साथ एक ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। खेल रत्न पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों को पहले 7.5 लाख रुपये मिलते थे, जिसे 2020 में बढ़ाकर 25 लाख किया गया था। भारत के लिए ओलंपिक इतिहास में पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने वर्ष 2001 में 18 वर्ष की आयु में यह पुरस्कार अपने नाम किया था और वह खेल रत्न पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने थे। अब शतरंज चैंपियन डी. गुकेश ने यह रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वह न केवल विश्वनाथन आनंद के बाद खेल रत्न पुरस्कार पाने वाले दूसरे शतरंज खिलाड़ी बने हैं बल्कि यह पुरस्कार जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी भी बन गए हैं। उन्होंने उम्र के मामले में कुछ दिनों के अंतर से अभिनव बिंद्रा को पीछे छोड़ दिया है।
मनु भाकर
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों पर नज़र डालें तो मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में ऐसा कमाल कर दिखाया था, जो ओलंपिक के इतिहास में भारत का कोई भी खिलाड़ी नहीं कर पाया था। ‘मिरेकल गर्ल’ मनु ने एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। पहला कांस्य पदक जीतने के साथ ही वह ओलंपिक के इतिहास में भारत के लिए निशानेबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बन गई थी और उस पदक के साथ ही उसने शूटिंग में भारत के पदक के 12 वर्ष के सूखे को भी खत्म किया था। ओलंपिक के 124 वर्ष के इतिहास में मनु से पहले भारत को शूटिंग में केवल 4 पदक ही नसीब हुए थे जबकि भारत केवल पेरिस ओलंपिक में ही मनु के दो पदकों सहित शूटिंग में कुल 3 पदक जीतने में सफल हुआ। मनु ने अपना पहला पदक 28 जुलाई को 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के महिला वर्ग में जीता था। उस शूटिंग स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक में पदक हासिल करने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी बनी थी। दो ही दिन बाद 30 जुलाई को मनु ने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल के मिक्स्ड टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता था और उस जीत के साथ ही वह एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई थी। अपने जोश और जज्बे के साथ दो कांस्य पदक जीतकर मनु ने भारत में शूटिंग के सुनहरे दौर को वापस लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
प्रवीण कुमार
उत्तर प्रदेश की जेवर विधानसभा क्षेत्र के छोटे से गांव गोविंदगढ़ में जन्मे ऊंची कूद के पैरा खिलाड़ी 21 वर्षीय प्रवीण कुमार ने 6 सितम्बर को पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद टी64 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश का सीना गर्व से चौड़ा किया था। 2023 की विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता प्रवीण का वह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी था। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की थी। 2.08 मीटर की ऊंचाई लांघने के साथ ही प्रवीण ने टी64 स्पर्धा में अपने कैरियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर गोल्ड जीतते हुए क्षेत्रीय तथा एशियाई रिकॉर्ड भी बनाया और उनका नाम पैरालंपिक के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया था। 2020 के टोक्यो पैरालंपिक में भी प्रवीण ने पुरुषों की ऊंची कूद टी64 श्रेणी में 2.07 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास से रजत पदक जीता था और तब वह पैरालंपिक में केवल 18 साल की उम्र में पदक जीतने वाले भारत के सबसे कम उम्र के पैरा-एथलीट बने थे। पेरिस में स्वर्ण पदक जीतने के बाद ही वह उन चुनिंदा पैरा-एथलीटों में शामिल हो गए थे, जिन्होंने दो अलग पैरालंपिक में पदक जीते हैं। भारतीय पैरा-एथलीट प्रवीण कुमार ने न केवल एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते स्वर्ण पदक जीता बल्कि पैरालंपिक में पुरुष ऊंची कूद में स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय पैरा एथलीट भी बन गए। प्रवीण 2019 में स्विट्जरलैंड के नॉटविल में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स जूनियर चैंपियनशिप में रजत पदक, 2021 में दुबई में विश्व पैरा एथलेटिक्स में एशियाई रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक, 2022 के एशियाई पैरा खेलों में 2.05 मीटर की छलांग के साथ एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक, 2023 में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी जीत चुके हैं।
डी. गुकेश
29 मई 2006 को चेन्नई में जन्मे शतरंज इतिहास के सबसे युवा विश्व चैंपियन डी. गुकेश सबसे कम उम्र में खेल रत्न पुरस्कार जीतने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। वह शतरंज के इतिहास में विश्व चैंपियन का खिताब जीतने वाले भी सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने थे। गुकेश से पहले विश्वनाथन आंनद ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीता था, इस तरह वह विश्व शतरंज चैंपियनशिप खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय ग्रैंडमास्टर बने और शतरंज के इतिहास में सबसे युवा विश्व चैंम्पियन भी बने। डी. गुकेश ने शतरंज विश्व कप के फाइनल में सिंगापुर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताबी जीत हासिल की थी। गुकेश से पहले यह रिकॉर्ड विश्व चैंपियन गैरी कास्परॉव के नाम दर्ज था, जिन्होंने 22 की उम्र में चैंपियनशिप जीती थी लेकिन गुकेश ने केवल 18 वर्ष की उम्र में यह कारनामा कर दिखाया। गुकेश पहली बार 2015 में अंडर-9 चेस चैंपियनशिप जीतकर सुर्खियों में आए थे, जिसके बाद उन्होंने 2017 में पहला इंटरनेशनल चेस मास्टर जीता, 2018 में स्पेन में उन्हें वर्ल्ड अंडर-12 चैंपियन से नवाजा गया, 2022 में 44वें चेस ओलंपियाड में दुनिया के नंबर-1 रैंक के अमरीकी खिलाड़ी को हराया, 2023 में 2700 से ऊपर सबसे ज्यादा फिडे रेटिंग पाने वाले युवा खिलाड़ी बने और इस वर्ष सितम्बर तक वह भारत के चेस मास्टर विश्वनाथन आनंद से भी आगे निकल गए थे। गुकेश की इन्हीं उत्कृष्ट उपलब्धियों के कारण ही उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान से नवाजा गया है।
हरमनप्रीत सिंह
अपने जानदार फ्लिक और शानदार डिफेंस के लिए विख्यात पेनल्टी कॉर्नर स्पेशलिस्ट हरमनप्रीत सिंह को ओलंपिक में भारत को पदक दिलाने के लिए खेल रत्न पुरस्कार दिया गया है। हालांकि भारत हॉकी में लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीतने में सफल हुआ लेकिन पेरिस ओलंपिक में ऑस्ट्रेलियाई टीम को 52 साल बाद हराने में सफल हुआ। भारत ने आखिरी बार ऑस्ट्रेलियाई टीम को 1972 में हराकर पदक जीता था और इतने लंबे अंतराल के बाद हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में भारत पेरिस ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया को हराने में सफल हुआ। पेरिस ओलंपिक में हरमनप्रीत ने कुल 10 गोल दागे थे, जिसके दम पर उन्हें तीसरी बार एफआईएच वर्ष के सर्वश्रेष्ठ पुरुष खिलाड़ी का पुरस्कार भी मिला था और वह हॉकी में पेरिस ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारत की जीत के हीरो भी बने थे। हरमनप्रीत के दो गोल की बदौलत भारत ने पेरिस ओलंपिक में स्पेन को हराकर कांस्य पदक जीता था। भारत ने इससे पहले टोक्यो ओलंपिक में 41 वर्षों बाद जर्मनी को हराकर हॉकी में कांस्य पदक जीता था और 2024 के ओलंपिक में भी इस कारनामे को दोहराने में सफल हुआ, जिसके हीरो हरमनप्रीत सिंह ही थे। पेरिस ओलंपिक में भारत को हॉकी में मिली जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि भारत को 1980 के मॉस्को ओलंपिक के बाद से अब तक केवल दो बार ही ओलंपिक में पदक जीतने का मौका मिला है।
 

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