ब्रह्मांडीय ऊर्जा की रहस्यमयी संरचना हैं मिस्र के पिरामिड

दुनिया के प्राचीनतम सात आश्चर्यों में से एक मिस्र के पिरामिडों को दुनिया लंबे समय तक फेरोनों के मकबरे ही समझती रही है, लेकिन पिछले कुछ दशकों से पिरामिडों के रहस्य को समझने की वैज्ञानिकों की जिज्ञासा ने इनकी कई अनजानी खूबियों से पर्दा उठाया है।
कुछ साल पहले बोव्रिस नामक एक पर्यटक गीजा के पिरामिड के निरीक्षण के उद्देश्य से आया था। उसने फेरोन के विशाल पिरामिड में कुछ घंटे बिताये। यहां बोव्रिस को जिन बातों ने सबसे अधिक अचंभे में डाला, वह थे कुछ वन्य जीवों के शव, जो पूरी तरह सूख चुके थे। आर्द्रता के बावजूद उनमें किसी प्रकार की सड़न नहीं थी। इस घटना को देखने के बाद उसे यह जिज्ञासा हुई कि क्या सचमुच पिरामिडों के भीतर कोई रहस्यमयी ऊर्जा काम करती है या ममियों को सुरक्षित रखने के लिए किसी प्रकार के रसायन के लेप की आवश्यकता पड़ती है?
यह समझने के लिए बोव्रिस ने विशाल पिरामिड की एक अनुकृति बनायी तथा उसके अंदर दिशा विशेष में एक मरी हुई बिल्ली रख दी। उसने देखा कि कुछ दिनों में इसकी ममी बन गयी। इस आधार पर उसने निष्कर्ष निकाला कि पिरामिड डिहाइड्रेशन क्रिया की गति को तेज़ कर देता है। बोव्रिस के इस परीक्षण के बाद अनेक वैज्ञानिकों ने भी इस विशेष संरचना पर प्रयोग किये। प्राग के एक रेडियो इंजीनियर कैरल डर्बन ने भी इस विशेष संरचना तथा उसके साथ जुड़ी मान्यताओं की सत्यता अनेक प्रमाण तथा परीक्षणों द्वारा परखी। अंत में अपना निष्कर्ष देते हुए उसने कहा कि पिरामिड के अंदर बंद आकाश की आकृति विशेष एवं उसके अंदर सतत क्रियाशील भौतिक, रासायनिक एवं जैविक प्रक्रियाओं के बीच किसी-न-किसी प्रकार का अज्ञात संबंध अवश्य है। उसका यह भी कहना था कि उपर्युक्त आकार-प्रकार के माध्यम से हम इन क्रियाओं की गति तेज़ या मंद कर सकते हैं।
अब डर्बन यह जानने का इच्छुक हुआ कि अन्य वस्तुओं का इस पर क्या प्रभाव पड़ता है? इसलिए उसने कुछ कुंद छुरियां तथा दाढ़ी बनाने वाले ब्लेड को पिरामिड के अंदर रखा तथा 24 घंटे के बाद उनकी धार देखी। उसके आश्चर्य का तब ठिकाना न रहा, जब उसने यह पाया कि उनकी धार तेज़ हो गयी है। वस्तुत: रेजर-ब्लेड की धार की संरचना रवेदार क्रिस्टल की तरह होती है। कुंद होने की स्थिति में उसकी धार के रवे घिस जाते हैं, किन्तु जब उसे पिरामिड की आकृति में रखा जाता है तो उसके रवे फिर से प्रारम्भिक स्थिति में आ जाते हैं और धार तेज़ हो जाती है।
ऐसे ही प्रयोग उसने मनुष्यों पर किये। एक मानसिक रूप से परेशान महिला को जब उस आकृति के अंदर कुछ दिनों तक रखा गया तो उसकी मानसिक स्थिति में आश्चर्यजनक परिवर्तन दिखायी दिया। अनुभवों के बारे में पूछे जाने पर उसने बताया कि पहले वह बहुत उद्विग्न रहती थी। छोटे-मोटे कामों में ही थकान महसूस करने लगती थी तथा जो कुछ पढ़ती, तुरंत भूल जाती थी। इस विशेष संरचना के अंदर कुछ दिन बिताने के बाद, थोड़े ही समय में उसके सारे मनोविकार दूर हो गये तथा उच्चकोटि की एकाग्रता तथा शांति प्राप्त हुई।
यह भी देखा गया कि जटिल समस्याओं के समाधान पिरामिड अनुकृति के अंदर अपेक्षाकृत कम समय तथा कम मानसिक श्रम से ही उपलब्ध हो जाते हैं। अनेक व्यक्तियों ने इसके अंदर प्राप्त दिव्य तथा रहस्यमयी अनुभूतियों का वर्णन किया है। अंग्रेज पर्यटक तथा खोजकर्ता सर पाल ब्रंटन ने ऐसी ही अनुभूतियां अपने एक रात के प्रवास के दौरान गीजा में प्राप्त की थी, जिसका विशेष वर्णन उसने अपनी पुस्तक ए सर्च इन एन एनसियेंट इजिप्ट में किया है। वस्तु तथा मनुष्य पर किये गये प्रयोगों की इस शृंखला के बाद डर्बन को यह संदेह हुआ कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हर प्रकार का कृत्रिम मॉडल ऐसा ही प्रभाव छोड़ता हो, इस भ्रांति के निवारण के लिए उसने दो प्रकार के मॉडल बनाये। दोनों में उसने अंडे, सब्जियां, कच्चा मांस तथा दूध रखे। पिरामिड मॉडल में जो वस्तुएं रखी गयी थीं, वे सुरक्षित बनी रहीं। जिन्हें आयताकार बक्से में रखा गया था, उनमें तुरंत सड़न व बदबू आने लगी। यह इस बात का प्रमाण था कि पिरामिड की बनावट कोई संयोग नहीं, वरन निश्चित नियमों व सिद्धांतों का परिपालन करने वाले विज्ञान पर आधारित संरचना है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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