फलदार पौधे लगाने के लिए ज़रूरी है प्राथमिक तकनीकी जानकारी

पतझड़ का मौसम है। पतझड़ फलों के पौधों के लिए अहम समय है। अधिकतर किसानों ने अपने ट्यूबवैलों पर तथा उपभोक्ताओं ने अपने घरों की बागीचियों एवं बागों में पतझड़ के पौधे लगाए हुए हैं। इन पौधों के पत्ते दिसम्बर-जनवरी माह तक गिर जाते हैं। किसान तथा उपभोक्ता अक्सर कहते हैं कि उनकी ओर से लगाए गए फलदार पौधे चलते नहीं। बागवानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान कहते हैं कि उन्हें फलों संबंधी पूरी जानकारी न होने तथा इस संबंधी उन्हें कहीं से सही जानकारी न मिलने के कारण ऐसा होता है। बागवानी विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों की संख्या इतनी कम है कि वे मुश्किल से उन स्थानों पर ही पहुंच पाते हैं, जहां किसी योजना के तहत सब्सिडी के बाग या फलदार पौधे लगाए गए हों। नाशपाती, आड़ू, अंगूर, अनार, आंवला, अंजीर आदि फल इन दिनों में जनवरी-फरवरी माह में लगाए जाते हैं। पतझड़ी पेड़ों के पत्ते गिरने के कारण इनके पौधों पर ठंड का कोई विशेष विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। चाहे फलदार पौधों को कोहरे से होने वाले नुकसान से बचाना चाहिए।
किसानों को फलदार पौधों संबंधी उचित जानकारी की ज़रूरत है। आड़ू, अनार आदि के फलदार पौधों को खाद डालने का भी यह उचित समय है। लीची, आड़ू, नाशपाती तथा अलूचे के पौधों को देसी रूड़ी के साथ सिंगल सुपरफास्फेट तथा म्यूरीएट आफ पोटाश (एमओपी) अब डाल देनी चाहिए। एक से दो वर्ष के आड़ू के पौधे को 10 से 15 किलो रूड़ी खाद तथा 3 से 4 वर्ष के पौधे को 20-25 किलो रूड़ी खाद डाल देनी चाहिए। अनार के पौधे को 5 से 6 किलो रूड़ी खाद की ज़रूरत होती है। बेर के पौधे को आजकल पानी दे देना चाहिए। आम में मिली बग्ग को पौधों पर चढ़ने से रोकने के लिए उनके तने के आसपास फिसलने वाली पट्टी लगा देनी चाहिए। लीची के अधिक आयु के पौधों को पानी दे देना चाहिए। पपीते के पौधे को धब्बे के रोग से बचाने के लिए इस पर छिड़काव कर देना चाहिए। पतझड़ के मौसम के फलों के पौधे बिना गाची के लगाए जा सकते हैं। इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगाना बहुत आसान है। आड़ू के पौधे जनवरी में लगा देने चाहिएं। पौधे निमाटोड रोग से रहित हों। आड़ू वैसे तो ठंडे क्षेत्र का फल है, परन्तु अब ऐसी किस्में विकसित हो गई हैं, जिन्हें कम ठंड की ज़रूरत होती है। उन्नत किस्में प्रताप, फ्लोरिडा प्रिंस, शान-ए-पंजाब, अर्ली ग्रैंड, प्रभात, शरबती, नैक्ट्रोन तथा पंजाब नैक्ट्रोन मिल सकती हैं।   
अनार के पौधे को झाड़ी नहीं बनने देना चाहिए। सिंगल तने पर ही रखना चाहिए। अनार का फल जनवरी-फरवरी माह से पहले लिया जाए, यह प्रयास करना चाहिए। फालसे के पौधे को भी सिंगल तने पर रखना चाहिए। इसका फल मई-जून में पक जाता है। अंजीर का फल भी मई से जून माह में उपलब्ध हो जाता है। यह फल कोहरा तथा कम तापमान के बिना नुकसान को सहन कर लेता है। इसकी ब्राऊन टर्की उन्नत किस्म उपलब्ध है। इसका फल मध्यम एवं बड़े आकार का होता है। आलू बुखारा में सतलुज पर्पल वरायटी का फल बड़े आकार का मिलता है, परन्तु इस अकेली वरायटी को फल नहीं लगता। इसलिए आलू बुखारे के साथ 85:15 अनुपात में सतलुज पर्पल तथा काला अमृतसरी (जिसका फल आकार में छोटा होता है) के पौधे लगाने चाहिएं। अंगूर की फसल के लिए निकास वाली रेतली मैरा ज़मीन की ज़रूरत होती है। उन्नत किस्में सुपिरियर सीडलैस, ब्यूटी सीडलैस, पर्लिट, पूसा सीडलैस तथा पूसा नवरंग उपलब्ध हैं। 
नया बाग लगाने के लिए डा. मान कहते हैं कि 10 प्रतिशत पौधे अधिक ले लेने चाहिएं ताकि मरने वाले पौधे के स्थान पर तुरंत दूसरा पौधा लगाया जा सके। बाग लगाने से पहले खेत के आसपास जामुन, देसी आम, शहतूत, बोगनविलीया, करोंदा, जट्टी-खट्टी आदि हवा रोकने वाली बाड़ के तौर पर बाग लगाने से पहले ही लगा देने चाहिएं। फलदार पौधे लगाने से पहले 3’*3’ का गड्ढा खोद लेना चाहिए। एक सप्ताह के बाद गली-सड़ी गोबर की खाद 50:50 (मिट्टी खाद) गड्ढे में डाल कर उसे भर देना चाहिए। फिर पानी लगा देना चाहिए। वत्तर (सीलन) आने पर पौधा लगा देना चाहिए। पौधे हमेशा बागवानी विभाग पीएयू या नैशनल बागवानी बोर्ड की या प्रमाणित नर्सरियों से ही खरीदने चाहिएं। फेरी वालों तथा सड़कों पर बेचने वालों से नहीं लेने चाहिएं। पंजाब की हलकी तथा रेतली ज़मीनों में आम तौर पर ज़िंक की कमी आ जाती है, जिससे पत्तों के टांडां के बीच के पत्ते पीले पड़ जाते हैं और ऊपर को मुड़ना शुरू कर देते हैं। इसकी रोकथाम के लिए डा. मान 600 ग्राम ज़िंक सल्फेट तथा 300 ग्राम अनबुझा चूना, 100 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करने का सुझाव देते हैं। आम तौर पर आड़ू के पौधों पर लोहे की कमी आ जाती है, जिसकी रोकथाम के लिए 300 ग्राम फैरस सल्फेट 100 ग्राम पानी में घोल कर अप्रैल, जून तथा अगस्त में छिड़काव कर देना चाहिए। अलूचे के पौधों में भी ज़िंक की कमी आ जाती है, जिसकी रोकथाम के लिए ज़िंक सल्फेट तथा अनबुझे चूने को पानी में मिला कर छिड़काव कर देना चाहिए। सबसे अधिक पतझड़ी फलदार पौधों आड़ू, नाशपाती, अलूचा, अंगूर, अनार, फालसा आदि की कांट-छांट के लिए जनवरी माह उचित है। विशेषज्ञों से तकनीकी जानकारी लेकर कांट-छांट करनी चाहिए। उपरांत 300 ग्राम ब्लाइटोक्स 100 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव कर देना चाहिए या बोर्डो मिक्सचर का इस्तेमाल करना चाहिए। 

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