कोरोना के बाद दुनिया के लिए नई चुनौती बनता एचएमपीवी
कोविड-19 के पांच साल बाद अब एक और नया वायरस तेज़ी से फैल रहा है, जिसके लक्षण भी कोरोना वायरस जैसे ही हैं। कहा जा रहा है कि चीन में एक और महामारी ने दस्तक दे दी है, जो पूरी दुनिया के लिए चिंता का कारण बन सकती है। कर्नाटक, गुजरात और पश्चिम बंगाल में कुछ बच्चों में नए वायरस के मामले मिलने के बाद भारत में निगरानी बढ़ा दी गई है। इस वायरस के बारे में कहा जा रहा है कि यह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस संक्रामक तो है किन्तु कोविड-19 की भांति घातक नहीं, इसलिए इसे लेकर घबराने की ज़रूरत नहीं है। डच शोधकर्ताओं ने 2001 में सबसे पहले श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित बच्चों में इस वायरस की खोज की थी और हर साल कई देशों में इसके मामले सामने आते रहे हैं लेकिन इन दिनों चीन में जिस तरह इस वायरस ने आतंक मचाया हुआ है, ऐसे में चीन में इसके बेतहाशा बढ़ते मामलों को देखते हुए पूरी दुनिया की चिंता बढ़ना और बचाव के लिए चौकन्ना होना बेहद ज़रूरी हो गया है। चीन में रहस्यमय रूप से उभर रहे नए वायरस के मामलों को लेकर चौकन्ना रहना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि जब कोविड-19 की शुरुआत हुई थी, तब उसे भी हल्के में लिया गया था, दुनिया के किसी भी विशेषज्ञ को इसका आभास तक नहीं था कि कोविड-19 इतना विकराल रूप ले लेगा कि देखते ही देखते लाखों लोगों की मृत्यु हो जाएगी। कोरोना की शुरूआत भी चीन में हुई थी और इसने पूरी दुनिया में जो दहशत मचाई थी, उसे याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
कोविड-19 का खौफ अभी तक बरकरार है और चीन से जो नया वायरस महामारी के रूप में उभर रहा है, वह बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। कमजोर प्रतिरक्षा वाले रोगियों में यह संक्रमण निमोनिया में परिवर्तित हो जाता है और उनमें मौत का जोखिम बढ़ जाता है। हाल के दिनों में कई रिपोर्टों में बताया जा चुका है कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) नामक इस वायरस ने चीन में दहशत फैला रखी है, जिसके कारण वहां के अस्पताल में मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है तथा बड़ी संख्या में मरीज मर भी रहे हैं लेकिन कोविड-19 की ही भांति चीन द्वारा इसे लेकर भी लीपापोती की जा रही है। वैसे भी चीन को लेकर पूरी दुनिया को चौकन्ना रहने की ज़रूरत इसलिए भी है क्योंकि चीन की विश्वसनीयता पहले से ही सवालों के घेरे में है, जिसने कोरोना से जुड़े डेटा को ही अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। इसलिए एचएमपीवी को लेकर भी चीन दुनिया को सही जानकारी उपलब्ध करा रहा है, इसे लेकर संदेह होना स्वाभाविक ही है। दरअसल विदेशी मीडिया पर लगे प्रतिबंधों के कारण चीन से कोई भी खबर दुनिया तक आसानी से नहीं पहुंच पाती, केवल चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ही खबरों का एकमात्र जरिया है जो दुनिया को वही खबर बताती है जो वहां की सरकार चाहती है।
पूरी दुनिया के लिए महासंहारक साबित हुए कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति को लेकर भले ही चीन आरोपों को खारिज करता रहा लेकिन बार-बार पुष्टि होती रही कि वह वायरस चीन के वुहान शहर से ही दुनिया में फैला था लेकिन वुहान में यह कैसे फैला था, उस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है और अब एचएमपीवी वायरस का प्रकोप भी चीन में ही शुरु हुआ है। दरअसल बर्ड फ्लू से लेकर सार्स और कोविड तक सभी प्राणाघातक और महासंहारक वायरल रोगों की उत्पत्ति चीन से ही होती रही है लेकिन इसका रहस्य दुनिया आज तक पता नहीं लगा पाई है। चूंकि सभी वायरस चीन में ही पैदा हो रहे हैं इसलिए ऐसे वायरस हमलों को लेकर पूरी दुनिया में चीन को लेकर संदेह का माहौल बना हुआ है कि कहीं कोविड-19 के बाद खतरनाक होता नया वायरस भी चीन की जैविक प्रयोगशालाओं में रची जा रही साजिश तो नहीं है। कोविड संकट के दौरान विश्व के तमाम देशों की औद्योगिक गतिविधियों सहित जनजीवन भी पूरी तरह ठप्प हो गया था। उस दौरान चीन को छोड़कर तमाम देशों की अर्थव्यवस्था लगभग खत्म होने के कगार पर आ गई थी। कई देश तो इसका खामियाजा आज तक भुगत रहे हैं।
उत्तर चीन के प्रांतों में 14 वर्ष से कम उम्र के लोगों में एचएमपीवी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इस खतरनाक वायरस के हमले से चीन में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। खचाखच भरे अस्पताल और श्मशान में बढ़ती बेतहाशा भीड़ इस संकट के कोरोना जैसा या उससे भी बदतर होने की पुष्टि कर रहे हैं। एचएमपीवी वायरस के संक्रमण की तेज़ गति को देखते हुए इसके अन्य देशों में फैलने के खतरों से इन्कार नहीं किया जा सकता। भारत में इसके कुछ मामले सामने आ चुके हैं, जिसे देखते हुए सतर्कता बड़ा दी गई है और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र स्थिति पर करीब से नज़र रखे हुए है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डा. अतुल गोयल का कहना है कि खबरों में कहा जा रहा है कि चीन में मेटान्यूमोवायरस वायरस का एक आउटब्रेक है, जो गंभीर है। हालांकि उनका कहना है कि हमें ऐसा नहीं लगता कि भारत में अभी किसी गंभीर स्थिति की संभावना है। वहीं, दिल्ली मैडीकल काउंसिल के चेयरमैन और बाल रोग विशेषज्ञ डा. अरूण गुप्ता का कहना है कि भारत में इस वायरस के कारण बीमारी बढ़ने की अभी संभावना नज़र नहीं आ रही है। कुल मिलाकर एचएमपीवी संक्रमण से बचाव के लिए समय रहते पुख्ता प्रबंध किए जाने इसलिए भी अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि अब तक इसका कोई टीका अथवा एंटीवायरल दवा विकसित नहीं हुई है और संक्रमित व्यक्ति को आराम तथा सामान्य बुखार की दवाओं से ही ठीक किया जा रहा है। जिन लोगों को पहले से श्वांस संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें विशेष सतर्कता बरतने की ज़रूरत है।
अमरीकी रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र के अनुसार, एचएमपीवी सभी उम्र के लोगों में अपर और लोअर रेस्पिरेटरी डिजीज़ का कारण बन सकता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से निकलने वाले स्राव या नज़दीकी संपर्क जैसे हाथ मिलाने से भी फैलता है। एचएमपीवी वायरस न्यूमोवायराइड और मेटान्यूमोवायरस जीनस का हिस्सा है, जो एक सिंगल-स्ट्रैंडेड नेगेटिव-सेंस आरएनए वायरस है। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार इस वायरस का संक्रमण काल तीन से पांच दिन होता है। इस वायरस के संक्रमण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे यह बार-बार संक्रमण का कारण बन सकता है। एचएमपीवी भी कोरोना की ही भांति श्वसन पथ को संक्रमित करता है, हालांकि कोरोना के मुकाबले इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक कम पहचाना गया वायरस है लेकिन यह दुनियाभर में मौसमी श्वसन बीमारियों में योगदान कर रहा है। एचएमपीवी में कोरोना ही भांति फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। इससे जुड़े सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। इससे बचाव के उपायों में हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोना, खांसते और छींकते समय मुंह और नाक ढंकना, संक्रमितों लोगों से दूरी बनाना, स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद लेना, फ्लू के टीके लगवाना इत्यादि शामिल हैं।