देश का अपमान

5 फरवरी को अमरीका के सैन्य विमान में हथकड़ियों और बेड़ियों से जकड़ कर भारत लाए गए 104 लोग, जो अमरीका में गैर-कानूनी ढंग से दाखिल हुए थे, के मामले को लेकर संसद में पूरा दिन हंगामा होता रहा। इस अपमान भरे ढंग से भारतीयों को देश भेजे जाने पर कड़ी आपत्ति होना स्वाभाविक है। यह भी कि चाहे भारत ने यह मान लिया था कि वह सूची में दर्ज 18,000 देशवासियों को वापस लेने के लिए तैयार है, जो गैर-कानूनी ढंग से अमरीका में दाखिल हुए थे, परन्तु ट्रम्प प्रशासन की ओर से उन्हें बेइज्जत करके निकालने से देश का अपमान हुआ है। इस संबंध में विदेश मंत्री जय शंकर ने इतना ज़रूर कहा है कि सरकार यह सुनिश्चित बना रही है कि अमरीका से निकाले जाने वाले भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार न हो।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि बिना दस्तावेज़ों के अमरीका में रह रहे भारतीयों का वहां से बेदखली का मामला नया नहीं है, यह सिलिसला पिछले वर्षों में भी चलता रहा है। वर्ष 2009-2010 तथा 2011 में वहां रह रहे हज़ारों ही भारतीयों को यहां भेजा गया था परन्तु जो ढंग-तरीका इस बार अपनाया गया है, वह बेहद आपत्तिजनक है। अमरीका में दशकों से लगभग 50 लाख भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं। ऐसे समाचार सामने आने से उनकी भी एक तरह से नमोशी हुई है। विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस मामले पर इसलिए निशाने पर लिया है क्योंकि वह डोनाल्ड ट्रम्प की पहली पारी में और अभी भी उनके साथ दोस्ती का दम भरते रहे हैं। आगामी दिनों में वह अमरीका का दौरा कर रहे हैं। उससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प इन भारतीयों को बेइज्ज़त करके निकालने से क्या सन्देश दे रहे हैं, यह देश के स्वाभिमान को चोट पहुंचाने वाली बात है।
यह भी प्रश्न उठता है कि भारत ने ग्वाटेमाला की भांति अमरीकी सैन्य विमान पर 40 घंटे बंदी बना कर बिठाए गए भारतीयों को इस तरह लाने की इजाज़त क्यों दी? एक गैर-कानूनी व्यक्ति को निकालने पर अमरीका की सरकार का भारी खर्च ज़रूर होता है परन्तु भारत सरकार को ऐसे ढंग के प्रति सचेत होने की ज़रूरत थी। अमरीका ने अब 15 लाख विदेशियों की सूची तैयार की है, जिसमें से अभी उसने 18 हज़ार भारतीय ही गिनाए हैं, परन्तु पुष्टि किए गए समाचारों के अनुसार इस समय लगभग सवा सात लाख अमरीका में ऐसे भारतीय हैं, जो बिना कागज़ात के गैर-कानूनी ढंग से रह रहे हैं, जो ‘डंकी रूट’ द्वारा वहां पहुंचे थे। यहां ही बस नहीं, कनाडा, यूरोप और एशिया के अन्य देशों के कई भागों में भी लाखों ही भारतीय गैर-कानूनी ढंग से दाखिल हो कर रह रहे हैं। अक्तूबर 2024 में भी ऐसे भारतीयों को वापिस भेजा गया था, जिसके लिए बाइडन प्रशासन ने चार्टर विमान का इस्तेमाल किया था। एक अनुमान के अनुसार अमरीका में तो विभिन्न देशों से लगभग एक करोड़ प्रवासी गैर-कानूनी ढंग से दाखिल हुए हैं, जिन पर ट्रम्प द्वारा अपनाई गई कड़ी नीति के कारण तलवार लटकनी शुरू हो गई है।
पिछले वर्षों से हर साल अनुमानित 90 हज़ार से अधिक भारतीय अमरीका में गैर-कानूनी ढंग से दाखिल होते हैं तथा उनमें से ज्यादातर पकड़े भी जाते हैं, जिन्हें वहां की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बुरी तरह अपमानित किया जाता रहा है। आज सरकार को अपनी उपलब्धियों के मारे जाते दमगज़ों को रोक कर इस पहलू पर बेहद गम्भीर होने की ज़रूरत होगी। ज्यादातर वही लोग देश से बाहर निकलना चाहते हैं, जो बेरोज़गारी की चक्की में पिसते हैं, जिन्हें यहां अपना भविष्य बेहद धूमिल दिखाई देता है। उनकी ऐसी स्थिति का एजेंट अधिक से अधिक वैध-अवैध ढंग से लाभ उठाने का यत्न करते हैं। वे युवाओं को झूठे प्रलोभन में फंसा कर किसी भी ढंग-तरीके से विदेशों में भेजते हैं, वहां उन्हें भटकने के लिए विवश करते हैं। कई वहां पर सफल भी हो जाते हैं, परन्तु ज्यादातर अनिश्चित जीवन जीने के लिए विवश हो जाते हैं। अमरीका के सैन्य विमान में लाए गए देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों की दास्तान बेहद दु:ख भरी है। ज्यादातर अपने परिवार के सीमित साधन होने के बावजूद किसी न किसी तरह बड़ी राशि खर्च करके विदेशों में जाते हैं। इसलिए कि वह वहां किसी तरह अपना अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें।
भारत का ऐसा दु:खांत बहुत बड़ा है, जिसकी किसी न किसी तरह सुध लेने की ज़रूरत है नहीं तो देश को लगातार ऐसी नमोशी से गुज़रना पड़ेगा, जिससे विश्व भर में इसका अक्स और भी धूमिल होता जाएगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

#देश का अपमान