लगातार बढ़ता जा रहा है पानी का संकट 

आज के लिए विशेष

विश्व जल दिवस प्रतिवर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। पेयजल  संकट को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1992 में 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रुप में मनाने का निश्चय किया था। वर्ष 2025 के विश्व जल दिवस की थीम पर्वतीय जल और क्रायोस्फीयर रखी गई हैं। यह दिवस सुरक्षित पानी तक पहुंच के बिना रहने वाले 2.2 अरब लोगों के वैश्विक जल संकट से निपटने के लिए कार्रवाई करने के बारे में है। आज विश्व में सर्वत्र जल का संकट व्याप्त है। विश्व में चहुंमुखी विकास का दिग्दर्शन  हो रहा है। किंतु स्वच्छ जल मिल पाना कठिन हो रहा है। साफ  जल की अनुपलब्धता के चलते ही जल जनित रोग महामारी का रूप ले रहे हैं।  इंसान जल की महत्ता को लगातार भूलता गया और उसे बर्बाद करता रहा, जिसके फलस्वरूप आज जल संकट सबके सामने है। पृथ्वी का तीन चौथाई भाग पानी से ढका है मगर इस जल का 99 प्रतिशत पानी पिया नहीं जा सकता और पीने योग्य पानी पृथ्वी पर मात्र एक प्रतिशत ही है जो नदियों, तालाबों, झीलों में ही मौजूद है हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जल, दीर्घकालिक विकास के लिए बेहद अहम है।  सुरक्षित व स्वच्छ पानी तक पहुंच एक बुनियादी मानव अधिकार है। आज जल संकट एक वैश्विक चुनौती है। वर्तमान में विश्व भर में अरबों लोगों की स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है। हर साल अनुमानत: आठ लाख लोगों की मौत ऐसी बीमारियों के कारण हो जाती है जो असुरक्षित पानी, अपर्याप्त स्वच्छता और साफ-सफाई की कम आदतों के कारण फैलती हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित कई देशों में पानी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत दुनिया में पानी की सबसे बड़ी समस्या होगी। पानी की कमी भी भारत के पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान में होगी। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 1.7 से 2.40 अरब शहरी लोग पानी के संकट से जूझेंगे।
दुनिया का 70 फीसदी हिस्सा पानी से घिरा है, लेकिन उसमें से पीने योग्य पानी लगभग तीन फीसदी ही है। 97 फीसदी पानी ऐसा है जो पीने योग्य ही नहीं है। अब तीन फीसदी पानी पर पूरी दुनिया जीवित है। जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में एक वर्ष में उपयोग किए जाने वाले जल की शुद्ध मात्रा अनुमानित 1,121 बिलियन क्यूबिक मीटर है। जबकि वर्ष 2025 में पीने वाले पानी की मांग 1093 और 2050 तक बढ़कर 1447 बीसीएम तक पहुंच सकती है। 1.35 अरब से अधिक की आबादी के बावजूद भारत के पास दुनिया के ताजे जल संसाधन का केवल 4 प्रतिशत ही है। वहीं संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है। कई राज्य हैं जो भूजल की कमी के चरम बिंदु को पार कर चुके हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक गंभीर रूप से भूजल संकट गहरा सकता है। जल के बिना मानव जिन्दा नहीं रह सकता। क्योंकि मानव शरीर का एक बड़ा हिस्सा जल होता है। यह सब मानव को मालूम होते हुए भी जल को बिना सोचे-विचारे हमारे जल-स्रोतों में ऐसे पदार्थ मिला रहा है जिसके मिलने से जल प्रदूषित हो रहा है। जल हमें नदी, तालाब, कुएं, झील आदि से प्राप्त हो रहा है। जल की उपलब्धता को लेकर वर्तमान में भारत ही नहीं अपितु समूचा विश्व चिन्तित है। जल ही जीवन है। जल के बिना सृष्टि की कल्पना नहीं की जा सकती। मानव का अस्तित्व जल पर निर्भर करता है। 
भू-जल की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिये भूजल का स्तर और न गिरे इस दिशा में काम किए जाने के अलावा उचित उपायों से भू-जल संवर्धन की व्यवस्था हमें करनी होगी। पानी की कमी के चलते निरन्तर खोदे जा रहे गहरे कुओं और ट्यूबवैलों द्वारा भूमिगत जल का अन्धाधुन्ध दोहन होने से भूजल का स्तर निरन्तर घटता जा रहा है। देश में जल संकट का एक बड़ा कारण यह है कि जैसे-जैसे सिंचित भूमि का क्षेत्रफल बढ़ता गया वैसे-वैसे भू-गर्भ के जल के स्तर में गिरावट आई है। भूजल दोहन के अंधाधुंध दुरुपयोग को यदि समय रहते रोका नहीं गया, तो आने वाली पीढ़ियों को इसके भयानक परिणाम भुगतने होंगे। सरकार को जनता में जागरूकता लाने के लिए विशेष प्रबन्ध और उपाय करने होंगे। आवश्यकता इस बात की है कि हम जल के महत्व को समझे और एक-एक बूंद पानी का संरक्षण करें तभी लोगों की प्यास बुझाई जा सकेगी।
-मो. 89495-19406

#लगातार बढ़ता जा रहा है पानी का संकट