सब्ज़ियों का उत्पादन बढ़ाने की ज़रूरत
भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि उत्पादन के पक्ष से यह विश्व में दूसरे नम्बर पर आता है। आज़ादी मिलने के बाद 1960 तक भारत अमरीका से पी.एल.-480 के तहत अनाज मंगवाता रहा है, परन्तु आज यह इस क्षेत्र में अमरीका से आगे निकल चुका है। चावल को छोड़ कर गेहूं अनाज की दूसरी मुख्य फसल है। इस वर्ष 115 मिलियन टन गेहूं भारत पैदा करने जा रहा है जो गत वर्ष से अधिक है जबकि गत वर्ष गेहूं का उत्पादन 113.2 मिलियन टन था। शाकाहारी देश होने के नाते भारत में सब्ज़ियों तथा फलों का विशेष महत्व है। दूध का उत्पादन भी शीर्ष पर पहुंच गया है। बागवानी तथा डेयरी क्षेत्र का डी.जी.पी. में उल्लेखनीय हिस्सा है। पंजाब ने इस शाकाहारी भोजन पैदा करने में बड़ा प्रभावशाली योगदान डाला है। पंजाब में गेहूं का औसत उत्पादन 51 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर को छू चुका है जो इस वर्ष इसे पार करने के किनारे पर है।
बागवानी का भी यहां रिकार्ड उत्पादन हुआ। राष्ट्रीय बागवानी मिशन सब्ज़ियों तथा फलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए गम्भीर प्रयास कर रहा है। पंजाब में इस समय फलों तथा सब्ज़ियों का काश्त के अधीन 4.82 लाख हैक्टेयर रकबा है। फलों तथा सब्ज़ियों का कृषि डी.जी.पी. में प्रभावशाली हिस्सा है। यहां सब्ज़ियों की काश्त के अधीन रकबा और बढ़ाने की गुंजाइश है, जिसके लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन की सहायता से कई योजनाएं बनाई जा सकती हैं। प्रोटेक्टिड कल्टीवेशन को विशेष महत्व दिया जा रहा है और इसे अपनाने वाले किसानों को आर्थिक सहायता भी उपलब्ध है। करतारपुर (जालन्धर) में स्थापित किए गए सैंटर फॉर एक्सीलेंस में ग्रुप बना कर इस केन्द्र से बेशुमार बीमारी-मुक्त पौध किसानों को उपलब्ध किए गए। इनसे पैदा हुए पौधों को ज़मीन से लगने वाली कोई बीमारी नहीं छूती। ऐसा एक संशोधन केन्द्र बागवानी विभाग के मोगा सीड फार्म पर भी स्थापित किया गया है। जिस प्रकार नींबू जाति के फलों की जो एस्टेट स्थापित की गई हैं, उसी तरह पठानकोट में लीची एस्टेट तथा पटियाला में अमरूद की एस्टेट स्थापित की गई है। आर.के.वाई. योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता इन एस्टेटों को दी जा रही है। सब्ज़ियों को वैज्ञानिक तथा रसायन मुक्त तरीके से उगाने के अतिरिक्त स्टोरेज़ की सुविधा देने के लिए पैक हाऊस स्थापित किए गए हैं और अन्य पैक हाऊस जिन पर सब्सिडी उपलब्ध है, दिए जा रहे हैं। सब्ज़ियों के अनुसंधान तथा शैड बनाने के लिए भी सब्सिडी दी जा रही है ताकि मंडीकरण के दौरान उत्पादकों को लाभदायक दाम मिल सके। राज्य के कई ज़िलों में कलस्टर स्थापित किए जा रहे हैं। इन कलस्टरों पर प्रोटैक्टिड कल्टीवेशन का नेतृत्व एवं जानकारी संबंधी प्रशिक्षण देने के लिए विकास अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इन विकास अधिकारियों को इस तकनीक संबंधी पूरा वैज्ञानिक बना दिया गया है।
चाहे पंजाब में फार्मों का औसत आकार छोटा होता जा रहा है, परन्तु सब्ज़ियों का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। लगभग बागवानी के अधीन पूरे रकबे पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध की गई है। सब्ज़ियों तथा फलों के उत्पादन ने उनकी फसल भी बढ़ाई है तथा उपभोक्तओं के भोजन को पौष्टिक भी बनाया है। पंजाब में पैदा की गई सब्ज़ियां चंडीगढ़ तथा दिल्ली के उपभोक्ताओं के लिए आज़ादपुर मंडी के माध्यम से उपलब्ध होती हैं, चाहे हरियाणा से भी सब्ज़ी काफी मात्रा में जाकर दिल्ली में बिकती है। हरियाणा में पानीपत के निकट सब्ज़ियों का एक्सीलैंस सैंटर भी स्थापित किया गया है। जहां सब्ज़ियों पर अनुसंधान किया जाता है और किसानों एवं संस्थाओं को सब्ज़ियों के बीज तथा पौध उपलब्ध करवाए जाते हैं।
चाहे भारत में मामूली-से रकबे तथा पंजाब में नाममात्र रकबे पर ही जैविक कृषि की जा रही है, परन्तु उत्पादन में कीटनाशकों का इस्तेमाल एम.आर.आई. सीमा से नीचे नहीं है। सब्ज़ियों के उत्पादन में पंजाब तथा हरियाणा में कोई कानूनी तौर पर प्रतिबंधित कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं पाया गया क्योंकि जैविक कृषि अभी किसानों को व्यापारिक स्तर पर लाभदायक नहीं। जैविक उत्पादन बहुत कम है। जैविक कृषि को एपीडा के अधीन रखा गया है। अभी निर्यात के पक्ष से इसमें पूर्णता लाने की ज़रूरत है। किसानों को निर्यात तथा पौष्टिक सुरक्षा लाने के लिए अलग-अलग सब्ज़ियों की प्रमाणित किस्मों की खोज की जा रही है। आई.सी.ए.आर.—भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा इस पक्ष से किसानों को अधिक लाभ एवं उत्पादन की उपलब्धता के लिए निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं। विगत में गोभी की नई किस्म बीटाकैरोटीन (जो आंखों को रोशनी उपलब्ध करने वाली व विटामिन भरपूर है) विकसित की गई। भारत का प्रत्येक उपभोक्ता गोभी का शौकीन है और भारत में लाखों टन गोभी की खपत होती है। वर्तमान किस्मों में बीटाकैरोटीन तथा विटामिन-ए शामिल हैं। आई.सी.ए.आर.-आई.ए.आर.आई. के सब्ज़ियों के वैज्ञानिक डिवीज़न में परीक्षण किए जा रहे हैं जिनमें सफलता मिल रही है। नई किस्म की फूल गोभी का रंग संतरी सा है। इसके अतिरिक्त पूसा विशेष सब्ज़ियां उपभोक्ताओं व किसानों की बड़ी पसंद हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में भी सब्ज़ियों पर व्यापक स्तर पर अनुसंधान किया जा रहा है और किसानों को बीज तथा पौध उपलब्ध किए जा रहे हैं।