पाक के खिलाफ भारत का ‘डिजिटल ब्लैकआउट’

पहलगाम हमले के बाद भारत ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ डिजिटल स्ट्राइक की है जिसे ‘डिजिटल ब्लैकआउट’ के रूप में जाना जा रहा है। इस कार्रवाई के तहत भारत ने पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक एक्स हैंडल को भारत में ब्लॉक कर दिया है, साथ ही सख्त और निर्णायक कदम उठाते हुए 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे पाकिस्तान की डिजिटल उपस्थिति को भारत में पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इस डिजिटल स्ट्राइक को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को हुआ आतंकी हमला एक भयावह घटना थी जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए। इस हमले ने न केवल भारत के पर्यटन क्षेत्र, विशेष रूप से कश्मीर के पर्यटन उद्योग, को गहरा आघात पहुंचाया बल्कि देश में आक्रोश की लहर भी पैदा की। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
इस घटना के बाद भारत सरकार ने कई कठोर कदम उठाए जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है। इन कदमों के साथ-साथ डिजिटल स्पेस में भी कार्रवाई की गई, जिसमें पाकिस्तान के आधिकारिक एक्स अकाउंट को भारत में निलंबित करना और अब 16 यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। डिजिटल ब्लैकआउट को लागू करने के लिए भारत सरकार ने कई स्तरों पर कार्रवाई की। सबसे पहले सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक्स को पत्र लिखकर पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक अकाउंट को ब्लॉक करने का अनुरोध किया। यह अनुरोध राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी नीतियों के तहत किया गया था। एक्स जो एक वैश्विक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, ने भारत सरकार के अनुरोध को मानते हुए इस अकाउंट को भारत में ब्लॉक कर दिया।
केंद्र सरकार ने गृह मंत्रालय की सिफारिशों पर 16 यूट्यूब चैनल पर यह कार्रवाई की, जिसमें इन यूट्यूब चैनलों पर भारत, भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ भड़काऊ, सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील और झूठी सामग्री प्रसारित करने का आरोप लगाया गया। इन चैनलों में कई प्रमुख पाकिस्तानी न्यूज चैनल जैसे डॉन न्यूज, जियो न्यूज, समा टीवी, एआरवाई न्यूज और बोल न्यूज शामिल हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत यूट्यूबर्स जैसे पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर, पत्रकार इरशाद भट्टी, अस्मा शिराजी, उमर चीमा और अन्य जैसे आरजू काजमी और सैयद मुजम्मिल शाह के चैनल भी प्रतिबंधित किए गए। इन चैनलों के कुल सब्सक्राइबर 63 मिलियन से अधिक थे जो इनके व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।
भारत सरकार का कहना है कि ये चैनल भारत के खिलाफ प्रोपेगंडा फैलाने, फर्जी खबरें प्रसारित करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे थे। विशेष रूप से पहलगाम हमले के बाद इन चैनलों पर फर्जी वीडियो और भ्रामक सामग्री की बाढ़ आ गई थी जिसका उद्देश्य भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की छवि को धूमिल करना और जनता का विश्वास तोड़ना था।
यूट्यूब पर इन चैनलों को खोजने पर अब एक संदेश दिखाई देता है, जिसमें कहा गया है- ‘राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित सरकार के आदेश के कारण यह कंटेंट मौजूदा वक्त में इस देश में उपलब्ध नहीं है।’ यह कार्रवाई भारत की डिजिटल संप्रभुता को मजबूत करने और साइबर स्पेस में विदेशी प्रोपेगंडा को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने डिजिटल स्पेस में इस तरह की कार्रवाई की हो। 2020 में भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर 59 चीनी ऐप्स जिनमें टिकटॉक और वीचैट शामिल थे, पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद 47 और चीनी ऐप्स को ब्लॉक किया गया जो पहले प्रतिबंधित ऐप्स के क्लोन थे। 2022 में सरकार ने 16 यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगाया जिनमें 10 भारतीय और 6 पाकिस्तानी चैनल शामिल थे, जो धार्मिक वैमनस्य और फर्जी खबरें फैलाने के दोषी पाए गए थे। इसके अलावा 2021 में 20 यूट्यूब चैनल और दो वेबसाइट्स, जो पाकिस्तान से संचालित हो रही थीं, पर प्रतिबंध लगाया गया। इन चैनलों पर कश्मीर, भारतीय सेना और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भड़काऊ सामग्री प्रसारित की जा रही थी। इन कार्रवाइयों से स्पष्ट है कि भारत डिजिटल युग में सूचना युद्ध को गंभीरता से ले रहा है और साइबर स्पेस में अपनी संप्रभुता को सुरक्षित करने के लिए तत्पर है।
इन 16 यूट्यूब चैनलों के पास लाखों-करोड़ों सब्सक्राइबर थे और भारत उनके लिए एक बड़ा बाज़ार था। भारत में इन चैनलों को ब्लॉक करने से इनके राजस्व पर गहरा असर पड़ेगा क्योंकि भारतीय दर्शकों से प्राप्त व्यूज और विज्ञापन आय अब इनके लिए उपलब्ध नहीं होगी। यह प्रतिबंध भारत में फर्जी खबरों और प्रोपेगंडा के प्रसार को रोकने में मदद करेगा। विशेष रूप से सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो और भ्रामक सामग्री की बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
भारत का डिजिटल ब्लैकआउट एक ऐतिहासिक कदम है जो न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि डिजिटल युद्ध के नए युग की शुरुआत भी करेगा। यह कदम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता और डिजिटल संप्रभुता के महत्व को दर्शाता है हालांकि इसके दीर्घकालिक प्रभाव और वैश्विक मंच पर इसके निहितार्थ अभी देखे जाना बाकी हैं। यह स्पष्ट है कि इस कार्रवाई ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया है और दोनों देशों के बीच 21वीं शताब्दी के डिजिटल युद्ध में एक नया अध्याय शुरू हो चुका है। यह कार्रवाई न केवल पाकिस्तानी प्रोपेगंडा को रोकने में मदद करेगी, बल्कि भारत की डिजिटल संप्रभुता को भी मजबूत करेगी। पहलगाम आतंकी हमले के बाद उठाए गए इस कदम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत आतंकवाद और इसके प्रचार-प्रसार के खिलाफ किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

#पाक के खिलाफ भारत का ‘डिजिटल ब्लैकआउट’