जन-साधारण हेतु सस्ते किए जाने चाहिएं राजमार्ग
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राज-मार्ग मंत्रालय की देश के तमाम मुख्य सड़क मार्गों को अगले दो वर्षों में कम से कम चार-मार्गी बना देने की पिछले दिनों की गई घोषणा एक ओर जहां जन-साधारण में आशावाद की अनुभूति को जगाने वाली सिद्ध होती है, वहीं देश के बुद्धिजीवियों के लिए अनेक प्रश्न-चिन्ह भी ला खड़े करती है। देश की सड़कों के मुताल्लिक आम राय यह है कि किसी प्रदेश की कोई सड़क कैसी और कितने मार्गी होगी, इसका निर्णय किसी मुख्य सड़क मार्ग और एक्सप्रैस मार्ग से सम्बद्ध राज्यों में चलने वाले वाहनों की संख्या को ध्यान में रख कर किया जाता है। मंत्रालय के अनुसार इस संदर्भ में बहुत शीघ्र एक नई नीति तय की जाएगी जिसके तहत देश के सभी राज्यों की मुख्य सड़कों, राज मार्गों और एक्सप्रैस वेज़ को कम से कम चार मार्गी अवश्य किया जाए, ऐसा प्रावधान किया जाएगा।
मंत्रालय के अनुसार अभी तक के नीति-प्रावधानों के अनुसार किसी भी मुख्य राज मार्ग सड़क का न्यूनतम दो-मार्गी होना आवश्यक है। इससे अधिक मार्गी होना सम्बद्ध प्रदेशों और वहां पर चलने वाले वाहनों पर निर्भर करता है। अब नई नीति के अनुसार देश के किसी भी बड़े सड़क मार्ग हेतु सम्बद्ध राज्य में 12,500 पी.सी.यू. अर्थात पैसेंजर कार यूनिट मानकों का होना ज़रूरी माना जाता है। नई नीति के तहत इस नियम में परिवर्तन कर नया नियम नई चार-मार्गी लेन हेतु 12,000 पी.सी.यू. किया जाएगा।
नि:संदेह यह एक बड़ा और अहम नीतिगत फैसला है जिसके सकारात्मक प्रभाव बहुत लाभकारी और दूरगामी होंगे। ऐसा होने से जहां घातक सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, वहीं सड़क-मार्गों पर होने वाली मौतों की संख्या भी घटाई जा सकेगी। इस नई नीति के शीघ्र लागू होने की सम्भावना इसलिए भी बनती है कि मंत्रालय ने इस हेतु बाकायदा लेखा-परीक्षण और सड़क मार्गों का सर्वेक्षण भी करा लिया है। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय सड़क परिवहन और राज मार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी पिछले दिनों कहा था कि देश के सभी बड़े राज मार्गों को अगले दो-तीन महीनों में इस प्रकार व्यवस्थित किया जाएगा कि अमृतसर-दिल्ली तक का स़फर केवल चार घंटों में पूरा किया जा सके। बहुत स्वाभाविक है कि इस दावे के पीछे भी उनके मंत्रालय की यही घोषणा दिखाई देती है कि अगले दो-तीन वर्षों में देश के सभी राज मार्गों को न्यूनतम चार-मार्गी अवश्य किया जाएगा। इस संदर्भ में उन्होंने दिल्ली से देहरादून, दिल्ली से जयपुर, चेन्नई से बैंग्लुरू और मुम्बई से दिल्ली तक के राज-मार्गों की समयावधि आधी से भी कम हो जाने का संकेत दिया। मंत्रालय ने यह भी फैसला किया है कि देश के सभी चार और छह-मार्गी हाईवेज़ को इलैक्ट्रानिक मानिटरिंग सुविधाओं से लैस किया जाएगा जिससे एक ओर जहां वाहनों की गति को बढ़ाने और नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी, वहीं ऐसे सड़क मार्गों पर किसी भी प्रकार की सम्भावित अथवा आशंकित दुर्घटना को रोकने अथवा उस पर नज़र रखने में भी सफलता हासिल की जा सकेगी।
मंत्रालय का यह भी दावा है कि विगत लगभग 10 वर्षों में देश के मुख्य सड़क मार्गों और हाईवेज़ की लम्बाई 18,000 कि.मी. से बढ़ा कर 48,000 कि.मी. तक की गई है जिससे नि:संदेह रूप से जहां सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है, वहीं आवागमन हेतु समय की भी बड़ी बचत होते पाई गई है। मंत्रालय के अनुसार इस समय देश में कुल मुख्य सड़क मार्गों की लम्बाई डेढ़ लाख कि.मी. से भी अधिक है जिसमें से केवल 14,000 कि.मी. ही दो-मार्गी रह गया है। शेष सभी राज-मार्ग चार अथवा छह-मार्गी हो गए हैं।
नि:संदेह केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय का यह फैसला बेहद स्तुत्य है किन्तु इसके साथ-साथ नए सड़क मार्गों की आड़ में सड़क यात्राओं को निरन्तर महंगे करते जाना कदाचित उचित निर्णय नहीं है। ऐसे राज मार्गों पर जगह-जगह टोल प्लाज़ा बनाने और फिर इनकी शुल्क दरों में स्वत: एकपक्षीय वृद्धि करते जाने से जहां आम आदमी की जेब कटती है, वहीं यात्रा महंगी होने से जन-साधारण की गतिविधियों पर भी अंकुश लगता है। हाल ही में एकपक्षीय रूप से देश के टोल प्लाज़ा की दरें 5 प्रतिशत बढ़ाई गई हैं। यह भी, कि पिछले एक वर्ष में यह दूसरी बार है जब इन दरों में वृद्धि की गई है। देश में कुल 855 टोल प्लाज़ा हैं जिनमें से 675 सरकारी और शेष 180 निजी कम्पनियों द्वारा संचालित हैं। होना तो यह चाहिए कि आम और गरीब आदमी को यथा-सम्भव सस्ता सड़क-परिवहन उपलब्ध कराया जाए, किन्तु सड़क-मार्गों को चौड़ा करने की आड़ में जन-साधारण पर अधिकाधिक कर थोंपते जाना कदापि उचित रणनीति नहीं है। ऐसा निर्णय किसी लोकतांत्रिक सरकार के अपने हित में भी सही सिद्ध नहीं हो सकता।