दोस्त फिर दोस्त हैं
एक हाथी अपने परिवार से बिछुड़ गया। वह जंगल में अकेला भटक रहा था। कुछ दिन बाद उसे अकेलापन अखरने लगा। वह एक दोस्त की कमी महसूस कर रहा था। लेकिन उस जंगल में कोई दूसरा हाथी था ही नहीं। उसने सोचा कि किसी अन्य जानवर से दोस्ती कर ली जाये ताकि अकेलापन दूर हो और उसका दिल भी लगा रहे। बिना दोस्त के जीवन नीरस हो जाता है।
इसी सोच के साथ हाथी बंदर के पास गया और उससे बोला, ‘हे बंदर, क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे?’
बंदर ने हाथी के विशाल आकार को देखते हुए जवाब दिया, ‘तुम इतने बड़े हो, तुम्हारा वज़न इतना ज्यादा है कि तुम मेरी तरह पेड़ों पर एक टहनी से दूसरी टहनी पर कूद नहीं सकते। हम तुम जब एक-दूसरे के साथ खेल ही नहीं सकते तो मैं तुमसे दोस्ती करके क्या करूंगा? मैं तुमसे दोस्ती नहीं कर सकता।’
हाथी निराश हो गया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने दोस्त की तलाश जारी रखी। वह खरगोश के पास गया। लेकिन खरगोश ने भी हाथी के दोस्ती ऑफर को यह कहते हुए ठुकरा दिया, ‘मैं ज्यादा समय अपने भट में रहता हूं, जिसमें तुम्हारी विशाल काया फिट नहीं हो सकती। मेरी तुम्हारी दोस्ती चल नहीं पायेगी।’
दोस्ती का ऑफर लेकर हाथी मेंढक के पास गया। मेंढक भी हाथी से दोस्ती करने के लिए तैयार न हुआ क्योंकि हाथी उसकी तरह फुदक नहीं सकता था। इसके बाद हाथी तोते से मिला। तोते के पास भी अपने कारण थे हाथी से दोस्ती न करने के। हाथी तोते की तरह आसमान में उड़ नहीं सकता था। जो आसमान की सैर न कर सके उससे दोस्ती करने का क्या फायदा। इसके बावजूद हाथी हिम्मत हारने वालो में से न था। वह जंगल के एक-एक जानवर व पक्षी के पास दोस्ती का ऑफर लेकर गया, लेकिन उसके विशाल आकार को देखते हुए हर किसी ने दोस्ती न करने का बहाना बना दिया।
हाथी निराश हो गया। वह उदास ही अकेला जंगल में घूमने लगा। एक दिन उसने देखा कि डर के मारे जंगल के सभी जानवर इधर उधर भाग रहे हैं और पक्षी शोर मचाते हुए पेड़ों पर से उड़ रहे हैं। हाथी की समझ में न आया कि यह सब क्यों हो रहा है। किसी को कुछ बताने की फुर्सत ही न थी, हर कोई अपनी जान बचाने में लगा हुआ था। आखिरकार हाथी ने एक भालू को रोककर उससे कारण मालूम किया। भालू ने बताया कि जंगल में टाइगर आ गया है और हर कोई उससे जान बचाने के लिए भाग रहा है। भालू भी भाग गया।
हाथी ने आते हुए टाइगर को रोका और बहुत प्यार से उससे कहा, ‘ये खून खराबा मत करो।’
‘तुम अपने काम से काम रखो, मेरे काम में टांग मत अड़ाओ,’ टाइगर ने गुस्से में जवाब दिया।
यह सुनते ही हाथी ने एक ज़ोर की लात टाइगर के मारी। वह दूर जाकर गिरा और फिर जंगल छोड़कर भाग गया। सभी जानवर सुरक्षित हो गये। उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ कि दोस्ती साइज़ के हिसाब से नहीं की जाती बल्कि दोस्त वो है जो वक्त पर काम आ जाये। सब जानवर व पक्षी हाथी के दोस्त हो गये। अब वह जंगल में अकेला न था।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर