राष्ट्रीय चरित्र के बिना कैसे सशक्त होगा देश ?

भारत वर्ष के लिए हम बड़े गौरव से कहते रहे हैं, अब भी कहते हैं कि यहां अनेकता में भी एकता है, परन्तु अब नए प्रकार की एकता दिखाई दे रही है। देश तो चौथी अर्थव्यवस्था बन कर दुनिया में नाम कमा रहा है, परन्तु अपने देश के बहुत-से लोग भ्रष्टाचार के सहारे धन कमाकर नए रिकार्ड बनाने का काम कर चुके हैं, कर रहे हैं। ताजा उदाहरण है एक भारतीय राजस्व सेवा का अधिकारी का पोल खुला। सोना, चांदी, रुपया निश्चित ही भ्रष्टाचार से लिया है। जिस खेत की रक्षा के लिए उसे भारत सरकार ने इस पद पर सुशोभित किया था या यूं कहिए कि वह अपनी योग्यता के बल पर भारतीय राजस्व सेवा का अधिकारी बना, वही राजस्व तो इकट्ठा करने लगाए।  साढ़े तीन किलो से ज्यादा सोना उसके घर में मिला। कई किलो चांदी भी मिली। नोटों के अंबार लग गए और सरकार यह जानकारी दे रही है कि उसके घर से जो दस्तावेज़ मिले हैं, वह भारतीय राजस्व सेवा का अधिकारी है तो कम से कम इतनी संपत्ति तो उसके घर में होनी ही चाहिए। सदाचार से या भ्रष्टाचार से, यह उसका विवेक है।
अब ज़रा प्रवर्तन निदेशालय की बात देखिए, बड़े-बड़े अधिकारी जिनके नाम से बेईमान रईस डरते हैं, पर वे भी उनसे ज़रूर डरते होंगे जिनको कथित मोटी रिश्वत लेकर वे छोड़ देते हैं। अभी ताज़ी घटना है जब ईडी का एक अधिकारी संभवत: उड़ीसा में अपनी टीम के साथ रेड करने गया, परन्तु उसने भी बीस लाख रुपये की रिश्वत पहले ही ले रखी थी। उसकी कितनी धन संपत्ति है जांच चल रही है। यह तो बहुत बार लिखा जा चुका कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि जो भ्रष्टाचारियों को पकड़ने जाते हैं, क्या उनके अपने हाथ साफ  हैं? पिछले दिनों देखा कि पंजाब का एक अधिकारी जिसे एनआईए में लिया गया, परन्तु भारत सरकार ने उसका पंजाब का रिकार्ड देखा ही नहीं। अब कुएं के स्थान पर सागर का मंथन करेंगे। खुलकर खेलने के लिए सुअवसर है। इसी मई मास में एक इंजीनियर भी पकड़े गए। दो करोड़ से ज्यादा रुपया और सोना-चांदी, ज़मीन-जायदाद तो रहती ही है।
अधिकारियों की क्या बात करनी है जब एक वरिष्ट जस्टिस के घर में आग लग गई। उस आग ने यह बता दिया कि 15 करोड़ से ज्यादा नोट घर में हैं, जो अंधेरों में कमाए गए और आग ने दुनिया को दिखा दिए। मैं कोई समाचारों का पुलिंदा इकट्ठा नहीं कर रही। यह बताना चाहती हूं कि संस्कार विहीन शिक्षा और आदर्श विहीन राजनीति देश को कहां ले जा सकती है। जहां एक ओर नगर निगमों में कर्मचारी महीनों तक वेतन न मिलने के कारण तड़पते हैं और देश के लाखों कर्मचारी कच्ची नौकरी अर्थात ठेके की नौकरी की चक्की में पिस रहे हैं, वहां एक बार भी विधायक और मंत्री बन जाने वाले कुछ लोग भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ने की तैयारी में रहते हैं। कितना आसान काम है विधायक बन जाओ और अपने शहर में जो भी नई इमारत बनने लगे उसे नक्शा ठीक न बनने या बिना नक्शा बनाने का नोटिस चिपकाकर डरा दो और फिर चांदी की चाबी लगाकर उस इमारत को अवैध से वैध बना दो। पंजाब के मुख्यमंत्री ने ऐसे विधायक को जेल की सलाखों के पीछे भेजा और उसकी सारी जुंडली को भी। इससे पहले वह अपने स्वास्थ्य मंत्री को भी जेल की हवा का आनंद दिलवा चुके हैं। कुछेक अस्पतालों में क्या हो रहा है? नशे के टीके, नशे के कैप्सूल, नशे की गोलियां बेचने का सबसे बड़ा और सुरक्षित स्थान अस्पताल हैं। पंजाब में और देश में ऐसे बहुत-से लोग पकड़े गए, जो नशीली दवाइयां बेच कर अनेक परिवारों के दीपक बुझा गए। नौजवानों को मौत के मुंह में भेज दिया, परन्तु स्वयं तो उनके घरों में रौशनी बढ़ गई। बंगले एक से चार हो गए। अस्पताल दो से दस हो गए। 
 पंचायत से लेकर संसद तक के चुनावों में कहीं भी किसी चुनावी आचार संहिता का पालन नहीं होता अन्यथा पंचायत और निगम के चुनावों में भी करोड़ों रुपये खर्च करने वाले कभी चुनाव आयोग, इनकम टैक्स अधिकारियों के ध्यान में नहीं आए। संसद और विधानसभा की तो बात ही छोड़िए। अब तो पैसे के बल पर और बाहुबलियों के सहारे चुनाव लड़े जा रहे हैं। 
भारत सरकार से यह प्रश्न है कि हमारी सारी भौतिक प्रगति क्या करेगी जब देश का चरित्र ही नहीं रहेगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कितने जासूस अब सुरक्षा कर्मियों को मिल रहे हैं, ये सभी पहले क्यों नहीं मिले। यह वे लोग हैं जो अपने देश का सौदा, सम्मान का सौदा चंद चांदी के सिक्कों के लिए दुश्मनों से करते हैं।

#राष्ट्रीय चरित्र के बिना कैसे सशक्त होगा देश ?