बीज से बाज़ार तक : किसान कल्याण को समर्पित सरकार
भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है, जहां किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना का एक मजबूत स्तंभ है। जब किसान मिट्टी को जोतता है तो वह सिर्फ फसल नहीं, बल्कि देश के करोड़ों नागरिकों के लिए जीवन और समृद्धि का बीज बोता है। कृषि क्षेत्र करोड़ों लोगों को आजीविका देता है। साथ ही, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास का प्रमुख आधार भी है। ऐसे में राष्ट्र की प्रगति के लिए हमारे किसान भाइयों-बहनों की उन्नति आवश्यक है।
पहले के समय में हमारे किसान फसल लागत से नाममात्र का लाभ कमा पाते थे, पर आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट नीति बनाई कि हर फसल पर उसकी लागत से ऊपरए कम से कम 50 प्रतिशत मुनाफा सुनिश्चित होगा। आज खरीफ रबी की प्रमुख फसलों के डैच् में 1ण्8 से 3ण्3 गुना तक की वृद्धि की गई है। कभी धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2013-14 में 1310 रुपये प्रति क्ंिवटल था, जो 2025-26 में बढ़कर 2369 रुपये हो गया है। इसी तरह ज्वार का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1500 से बढ़कर 3699, बाजरा 1250 से 2775, रागी 1500 से 4886, मक्का 1310 से 2400, तूर (अरहर) 4300 से 8000, मूंग 4500 से 8768, उड़द 4300 से 7800, मूंगफली 4000 से 7263, सूरजमुखी बीज 3700 से 7721, सोयाबीन (पीला) 2560 से 5328, तिल 4500 से 9846, रामतिल 3500 से 9537, कपास 3700 से 7710 रुपये प्रति क्ंिवटल हो गया है। रबी फसलों में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1400 से 2425, जौ 1100 से 1980, चना 3100 से 5650, मसूर 2950 से 6700, रेपसीड/सरसों 3050 से 5950, कुसुम्भ 3000 से 5940, पटसन 2400 से 5650 और कोपरा 5250 से 11582 रुपये प्रति क्ंिवटल तक बढ़ाया गया है। इन सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिलना सुनिश्चित हुआ है।
2004-14 के मुकाबले 2014-2025 के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी गई फसलों की मात्रा और भुगतान में भी रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। धान की खरीद 45 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन से बढ़ कर 76 करोड़ 8 लाख मीट्रिक टन (1ण्7 गुना), गेहूं 22 करोड़ 54 लाख से 33 करोड़ 37 लाख (1.4 गुना), दलहन 6 लाख 29 हजार से 1 करोड़ 80 लाख (28.6 गुना), तिलहन 47 लाख 75 हजार से 1 करोड़ 27 लाख (2.7 गुना), वाणिज्यिक फसलें 35 लाख 27 हज़ार से 80 लाख 83 हजार (2.3 गुना) और सभी न्यूनतम समर्थन मूल्य सलें मिलाकर 69 करोड़ 87 लाख से 113 करोड़ 92 लाख मीट्रिक टन (1.6 गुना) हो गई हैं। किसानों को भुगतान की गई डैच् राशि भी सभी फसलों के लिए 7 लाख 41 हजार करोड़ से बढ़कर 23 लाख 61 हजार करोड़ रुपये ;3ण्2 गुनाद्ध हो गई है। धान के लिए 4 लाख 44 हजार करोड़ से 14 लाख 16 हजार करोड़ (3.2 गुना), गेहूं के लिए 2 लाख 56 हजार करोड़ से 5 लाख 65 हज़ार करोड़ (2ण्2 गुना), दलहन के लिए 19 सौ करोड़ से 98 हजार करोड़ (51 गुना), तिलहन के लिए 9 हजार करोड़ से 65 हजार करोड़ (7.1 गुना), वाणिज्यिक फसलों के लिए 26 हजार करोड़ से 1 लाख 33 हजार करोड रुपये का भुगतान हुआ है। ये आंकड़े किसानों के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धताए किसानों की मेहनत का सम्मान और उनकी आर्थिक मजबूती का प्रमाण हैं।
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि दलहनए तिलहन और वाणिज्यिक फसलों जैसे तिलए मूंगफली और सूरजमुखी में भी रिकॉर्ड डैच् वृद्धि होए ताकि किसानों को फसल विविधता का लाभ मिले और उनकी आय में स्थिरता आए। केंद्र सरकार ने केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने तक ही खुद को सीमित नहीं रखाए बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि यह लाभ सीधे किसानों के खाते में पहुंचे। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से हमने पारदर्शिता और गति के साथ किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम दिलाया है। यह एक ऐसी कृषि क्त्रांति हैए जो हमारे किसान भाइयों.बहनों का जीवन व खेती की दशा-दिशा बदल रही है। अब किसान निश्चिंत होकर खेती करता हैए क्योंकि उसे पता है कि उसकी फसल का उचित मूल्य व समय पर भुगतान सुनिश्चित मिलना है।
आज केंद्र सरकार बीज से बाजार तकए हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से किसानों को अपनी मिट्टी की सेहत जानने और सही फसल चुनने में मदद मिल रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं से आर्थिक सुरक्षा दे रही है। ई-नाम के जरिए डिजिटल बाजार से जुड़कर किसानों को बेहतर दाम मिल रहा है। ड्रोन और स्मार्ट सिंचाई तकनीक खेती को आसान और आधुनिक बना रहे हैं। इसके साथ ही, प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरणए और कृषि यंत्रों पर अनुदान के माध्यम से हमने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का हरसंभव प्रयास किया है।
आज का युग विज्ञान और तकनीक का है। खेती को उन्नत और विकसित बनाने के लिए हमारे वैज्ञानिक कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं। लैब में होने वाली रिसर्च लैंड तक पहुंचे और किसान सीधे विज्ञान से जुड़ेए इसके लिए देशभर में विकसित कृषि संकल्प अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत 29 मई से 12 जून तक देश के 700 से अधिक जिलों में 16 हजार वैज्ञानिक गांव.गांव जाकर किसान भाइयों-बहनों को उन्नत खेती की तकनीकए बेहतर बीज, जैविक खाद और जलवायु अनुकूल खेती के तरीकों की जानकारी दे रहे हैं, जिससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि उन्नत कृषि के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी और गति मिलेगी। इन सभी पहलों और उपलब्धियों के साथए मोदी सरकार ने किसानों के हित में ऐतिहासिक व निर्णायक कदम उठाए हैं। तकनीकी नवाचारों के साथ ये पहलें किसानों को आत्मनिर्भर, समृद्ध व खुशहाल बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं। यह प्रतिबद्धता भविष्य में भी अटूट रहेगी, ताकि हमारे किसान सशक्त बने व देश कृषि महाशक्ति की ओर अग्रसर हो।