एसआईआर को लेकर बंगाल का दृश्य भयावह

देश के नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर यानी विशेष मतदाता निरीक्षण अभियान चल रहा है। इनमें पश्चिम बंगाल का पूरा दृश्य भयभीत करने वाला है। जितनी बड़ी संख्या में वहां बीएलओ यानी बूथ लेवल ऑफिसर या मतदान केंद्र स्तर कर्मियों की मृत्यु या आत्महत्या की बातें उठाई जा रही है, वह अकल्पनीय है। पूरी तृणमूल कांग्रेस और स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग के विरुद्ध आक्रामक मोर्चा खोल दिया है। ममता ने आयोग को औपचारिक रूप से दो पत्र लिखे जिनमें इसे अनियोजित तरीके से आरंभ कर लोगों की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया तथा इसे तत्क्षण रोकने की भी मांग की। उनके पत्र में ऐसा न करने पर परिणाम के लिए उत्तरदायी होने की धमकी और चेतावनी दोनों थी। बंगाल पहला राज्य है जहां बीएलओ के बैनर से मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया। 28 नवम्बर को तृणमूल के प्रतिनिधिमंडल ने राजधानी दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात कर अपनी बातें रखीं। आयोग के हवाले से समाचार आया कि उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से एसआईआर की प्रक्रिया में बाधा न डालने तथा दुष्प्रचार न करने का अनुरोध किया। आयोग ने तृणमूल प्रतिनिधिमंडल से कहा कि राजनीतिक बयान आपका अधिकार है लेकिन दुष्प्रचार कर समस्याएं पैदा करना उचित नहीं है। आयोग ने बीएलओ की मृत्यु या आत्महत्या के आरोपों से भी इंकार किया। यद्यपि कुछ मामलों में जांच की भी बात की। निश्चय ही हमारे आपके अंदर एस आई आर की पूरी प्रक्रिया तथा उसकी तात्कालिक परिणतियों को लेकर अनेक प्रश्न और संदेह पैदा होंगे।
विचार करने की बात है की अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दृश्य ऐसे क्यों नहीं है? हमने बिहार एसआईआर के दौरान राजनीतिक नेताओं के तेवर देखें, राहुल गांधी की 16 दिनों की वोट अधिकार यात्रा हुई, उच्चतम न्यायालय में नामी वकीलों ने इसके विरुद्ध बहस की किंतु॒ प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई। इस समय भी उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। इसमें स्वयं मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि जब आप बिहार के बारे में बातें कर रहे थे तो हमें भी लगा कि कुछ गड़बड़ी हुई है और हमने वहां वॉलिंटियर्स नियुक्त किए। आपने कहा कि लाखों के नाम कट रहे हैं, एक व्यक्ति नहीं आया जिसने अपना नाम काटने का आरोप लगाया। दूसरे, आपने कहा कि लोगों को प्रक्रिया की जानकारी नहीं है जबकि दिखाई दिया कि गांव के स्तरों पर भी लोगों को पूरी जानकारी थी। इसी तरह की टिप्पणी अन्य न्यायाधीशों की भी आई है। आधार कार्ड पर भी न्यायालय ने प्रश्न किया कि किसी विदेशी नागरिक के पास आधार कार्ड है तो क्या उसे मतदान का अधिकार दे दिया जाएगा? स्पष्ट है कि एसआईआर की पूरी सुनवाई और मॉनिटरिंग के बाद उच्चतम न्यायालय किन सच्चाइयों पर पहुंचा है। एसआईआर की प्रक्रिया ऐसी जटिल नहीं है जिसके दबाव में या परेशान होकर बीएलओ को आत्महत्या करनी पड़ी या उसकी मृत्यु हो जाए। बिहार के अलावा अभी जिन राज्यों में हो रहे हैं वहां बी एल ओ लोगों को फोन करते हैं, पास जाते हैं, राजनीतिक पार्टियों के बीएलए बूथ लेवल एजेंट भी फोन करते हैं कि आपके पास फार्म पहुंचे नहीं पहुंचे आदि और सहयोग से सारा काम चल रहा है। थोड़े बहुत परिश्रम के बाद कागजात भी हो जा रहा है।
किंतु बंगाल की स्थिति भिन्न है। न भूलिए कि वहां एनआईए आतंकवाद के मामले में कार्रवाई करने जाती है तो उन पर हमले होते हैं और कार्रवाई के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल लाना पड़ता है। बंगाल में एसआईआर की सूचना के साथ कुछ मोहल्ले खाली हो गए और पता चला कि सारे बांग्लादेशी घुसपैठियों थे। बांग्लादेश की सीमा पर भीड़ दिखी जो बता रहे हैं कि घुसपैठ कर आए, उनके आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र बने और उन्होंने मतदान भी किया। टीवी वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग बीएसएफ  से कह रहे हैं कि हमें उस ओर जाने दीजिए। बावजूद पूरी तृणमूल कांग्रेस स्वीकार करने को तैयार नहीं की कोई बांग्लादेशी घुसपैठिया उनके यहां हैं। उल्टे मुस्लिम मतदाताओं का नाम काटने का ही आरोप लगा रहे। यह एक पहलू बताने के लिए पर्याप्त है कि बंगाल में बीएलओ के साथ क्या हो रहा होगा।
दो अन्य पहलू भी पर ध्यान दीजिए। चुनाव आयोग ने कहा है कि एसआईआर के दौरान कई राज्यों में विसंगतियां सामने आई है। 
चुनाव आयोग अपने संवैधानिक दायित्व के तहत मतदाता सूची के शुद्धिकरण का काम कर रहा है ताकि दुनिया छोड़ गये या अन्यत्र चले जाने वालों के नाम हट जाए तथा कोई नाम एक ही जगह की सूची में हो। लंबे समय से मांग थी की अलग-अलग चुनावों के लिए अलग-अलग मतदाता सूचियां की जगह एक राष्ट्रीय स्तर की सूची हो। एसआईआर की प्रक्रिया के बाद भारत वह लक्ष्य भी प्राप्त कर सकता है। बंगाल से आ रहे दृश्य बता रहे हैं कि सत्ता पाने और बनाए रखने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने किस तरह मतदाता सूची को दूषित किया हुआ है। -मो. 98110-27208

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