धुंध बनी ‘समझौते’ में रुकावट


अमृतसर, 2 जनवरी (सुरिन्द्र कोछड़) : घनी धुंध का असर भारत-पाकिस्तान मध्य चलने वाली रेल गाड़ी समझौता एक्सप्रैस पर भी पड़ा है। जिसके चलते समझौता एक्सप्रैस अपने निर्धारित समय से करीब दो घण्टे की देरी से भारत पहुंची। जिस पर भारतीय रेलवे अधिकारियों द्वारा साफ तौर पर पाकिस्तान को चेतावनी दी गई कि यदि आगे से समझौता एक्सप्रैस निर्धारित समय पर न भेजी गई तो गाड़ी को ज़ीरो लाइन गेट से वाघा वापिस भेज दिया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार समझौता एक्सप्रैस सुबह सोमवार को दोपहर 12.30 बजे की बजाय करीब 2 घंटे की देरी के साथ 2.20 बजे अटारी पहुंची। जिस के कारण भारतीय रेलवे, कस्टम व इमीग्रेशन अधिकारियों द्वारा जांच और अन्य कार्रवाईयां मुकम्मल करने के उपरान्त गाड़ी को वापिस रवाना करने में देरी होने के कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वर्णनीय है कि भारत व पाकिस्तान में हुए शिमला समझौते के अधीन 22 जुलाई 1976 को अटारी-लाहौर में यह समझौता एक्सप्रैस आरम्भ की गई थी। आरम्भ में इस गाड़ी के लिए दोनों देशों में तीन साल के लिए समझौता हुआ और यह गाड़ी रोज़ाना चलाई जाती रही। बाद में जुलाई 1991 में भारत व पाकिस्तान में रेल सम्पर्क जारी रखने के लिए एक अन्य समझौता हुआ। जिसके पश्चात् मई 1994 में इस गाड़ी को सप्ताह में दो दिन चलाने के लिए समझौता हुआ। आरम्भ में एक गाड़ी के डिब्बे यात्रियों को वाघा से दिल्ली तक लेकर जाते थे, परन्तु बाद में पाकिस्तानी गाड़ी के डिब्बे अटारी में रोक कर वहां से यात्रियों को दूसरी गाड़ी में भेजे जाने की व्यवस्था की जाने लगी। 14 अप्रैल 2000 से इसका सफर घटा कर तीन किलोमीटर कर दिया गया। मौजूदा समय यह गाड़ी अटारी-वाघा के बीच केवल तीन किलोमीटर का रास्ता तय करती है और यह विश्व में सबसे कम दूरी तय करने वाली गाड़ी बन चुकी है। इस गाड़ी के लिए 6 माह डिब्बे भारतीय रेल व 6 माह के लिए पाकिस्तान रेलवे उपलब्ध करवाती है।