सतनाम सिंह टूटे सपने को फिर देखने का साहस

साल 2015 में 22 वर्षीय सतनाम सिंह ने इतिहास रचा जब वह एनबीए ड्राफ्ट के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। लेकिन एक वर्ष पहले उनके लिए स्थितियां बहुत ही निराशाजनक थीं। एनबीए की विकासशील डी-लीग में सतनाम टेक्सास लीजेंड्स के साथ अपने दूसरे सत्र में थे। वह कहते हैं, ‘मैं बस बैठा रहता था, खेलने का अवसर ही नहीं मिलता था, मेरा दिमाग खराब हो रहा था। मेरा दिल टूट गया। मैं सोचता कि मैं यहां क्यों बैठा हूं जब मुझे खेलने के लिए समय ही नहीं मिल रहा है?’ अपने दो सत्र में सतनाम कुल 27 गेम्स में उतरे और प्रति मैच उनके खेलने का औसत समय रहा मात्र 7.1 मिनट। इसलिए जब उनका कांट्रेक्ट समाप्त हो गया तो उन्होंने अपना बस्ता बांधा और घर लौट आये। वह बताते हैं, ‘वहां पर मेरा कोई इम्प्रूव (सुधार) नहीं हुआ। मैंने कुछ चीजें सीखीं, लेकिन उन्हें ट्राई करने का अवसर ही नहीं मिला। उन सबका शुक्रिया जिन्होंने एनबीए को मेरे लिए पॉसिबल किया, लेकिन अगर आप बेंच पर बैठे रहेंगे तो कुछ नहीं कर सकते। मैंने अपने आपसे कहा- ‘ओ के सतनाम, यहां कुछ नहीं हो रहा। घर वापस जाओ और हर किसी को दिखा दो कि तुम खेल सकते हो’।
सतनाम वापस आ गये, उदास और खाली जेब के साथ। वह कहते हैं, ‘वास्तव में मामला बहुत ही खराब था। मेरे पास अपने परिवार के लिए कुछ नहीं था। मेरे पिता खेत पर काम करने का प्रयास करते हैं, जबकि उनकी सेहत इसकी इज़ाजत नहीं देती। मेरी मां घर संभालती है। मेरा भाई, बेचारा, उसे अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी कि खेत पर पिता की मदद कर सके। उसका अपना कोई जीवन है ही नहीं। हमें बहन की शादी की व्यवस्था करनी पड़ी। मुझे बहुत चीजों का ध्यान रखना है और मुझे डी-लीग से कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ। कुछ नहीं हुआ। मेरे तीन साल बर्बाद हुए।’ भारत लौटने के कुछ माह बाद, सतनाम ने देश की पहली प्रोफेशनल लीग यूनाइटेड बास्केटबॉल अलायन्स (यूबीए) के साथ करार किया और अब इस वर्ष के अंत में वह इस लीग के पांचवें सत्र में हिस्सा लेंगे। वह कहते हैं, ‘इससे कुछ बात ठीक हो गई है। मेरे हाथ में कुछ पैसा होगा तो मन पर से बोझ हट जायेगा और मैं अच्छा खेल सकूंगा। लेकिन अगर पैसा नहीं होगा तो कैसे खेल सकता हूं?’
लेकिन जब 2015 में सतनाम को एनबीए ड्राफ्ट के लिए चुना गया था, तब भविष्य बहुत उज्जवल प्रतीत हो रहा था। ग्रामीण पंजाब का एक लड़का संसार में प्रोफेशनल बास्केटबॉल के शिखर पर पहुंच गया था। लेकिन चीजें वैसी नहीं निकलीं जैसी भारत ने उम्मीद की थी। सतनाम ने सीधे हाई स्कूल से एनबीए में छलांग लगाई थी। ड्राफ्ट के समय वह 19 साल के थे और फ्लोरिडा की आईएमजी अकादमी में पांच साल गुजार चुके थे। बेहतर यह होता कि वह कॉलेज जाते और अमेरिका की एनसीएए (नेशनल कॉलेजिएट एथलेटिक एसोसिएशन) लीग में हिस्सा लेते और फिर आगे बढ़ते। लेकिन इसके लिए अकादमिक आवश्यकताएं थीं, जिन्हें सतनाम पूरा नहीं करते थे। वह कहते हैं, ‘मेरे लिए सबसे बड़ी समस्या कॉलेज न जाने की थी। अगर मैं वहां पैदा हुआ होता और ढंग से पढ़ा होता तो स्थितियां अलग होतीं। मैं तीन-चार वर्ष कॉलेज बास्केटबॉल खेलता और बेहतर होता जाता। मैं 19 साल का था और अधिकतर ड्राफ्ट स्टार 21-22 साल के होते हैं।’
सतनाम स्वीकार करते हैं कि उन्हें अपना वजन कम करना पड़ा। वह यह भी मानते हैं कि उन्हें अपने फुटवर्क, स्पीड व शूटिंग पर भी कार्य करना पड़ा। हाल के वर्षों में सेंटर की भूमिका बहुत बदल गई है, उसे पतला व एथलेटिक होने के साथ कोर्ट पर तेज मूव करना पड़ता है। सतनाम ने कड़ी मेहनत की, चावल व रोटी छोड़ी, लगभग 20 किलो वजन कम किया। डी-लीग (अब जी-लीग) में अपना पहला प्रोफेशनल मैच सतनाम ने 13 नवम्बर 2015 को खेला। उस दिन वह कोर्ट पर 9 मिनट 34 सेकंड रहे, चार अंक स्कोर किये और 6 रिबाउंड बनाये। यह सबसे अधिक समय था जो उन्हें एक मैच में खेलने के लिए मिला था। वह कहते हैं, ‘मैं खेलने के लिए तैयार था, लेकिन वह ऐसा नहीं समझते थे। मैं कोच के मन में तो नहीं घुस सकता कि देख लूं क्या चल रहा है। मैं कोई मांग भी नहीं कर सकता।’ दरअसल, सतनाम से उम्मीद थी कि भारतीय बास्केटबॉल के लिए वह वही करेंगे जो याओ मिंग ने चीन के लिए किया। इस जिम्मेदारी का बोझ बहुत था। इस बारे में वह कहते हैं, ‘कुछ बोझ तो था। एनबीए के लगभग 70 वर्ष के इतिहास में कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं था। जब किसी ने मुझे यह बताया तो मेरे मुंह से निकला- ‘ओह माई गॉड’। मेरे एक कंधे पर मेरा परिवार था और दूसरे पर 1.3 बिलियन लोग। यह बहुत वजन था। लेकिन एक बार जब ड्राफ्ट समाप्त हो गया तो बोझ भी उतर गया। मैंने हल्का महसूस किया। मुझ लगता है कि मैंने देश के लिए अच्छा काम किया है। मैं यहां अपने कठिन परिश्रम की वजह से हूं। इसी वजह से उन्होंने ‘वन इन अ बिलियन’ (डाक्यूमेंट्री) बनाई। अब मुझे अपनी कड़ी मेहनत जारी रखनी है।’
अब सतनाम के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी है। वह खेल रहे हैं और उनके अनुसार पिछले 6 माह में उनके खेल में 50 प्रतिशत सुधार आया है। वह अभी 22 साल के हैं और अमेरिका में फिर से खेलने की आशा लिए हुए हैं। वह अपने खेल की ऑनलाइन वीडियो अपलोड करेंगे, इस उम्मीद में कि एनबीए स्काउट व कोच उन्हें नोटिस करें। वह कहते हैं, ‘लोगों ने मुझे खेलते हुए नहीं देखा है। कोई टीम मुझे क्यों लेगी अगर वह जानती ही नहीं है कि मैं कैसा खेलता हूं।’ कुल मिलाकर सतनाम के लिए अमेरिकी सपना टूटा जरूर है, लेकिन उन्होंने अभी अमेरिकी सपना देखना बंद नहीं किया है।  

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर