धूप का चश्मा खरीदने से पहले...

ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अत्यंत तीक्ष्ण किरणों से जगत के द्रव्य तथा प्राणियों के स्नेही (जलीय सार भार) को ग्रहण (शोषण) कर लेता है। इस ऋतु में प्रचण्ड गर्मी और तेज गर्म हवाओं के कारण यूं तो सम्पूर्ण जीवन ही कठिन हो जाता है, परन्तु आंखों की कोमलता पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।
तपती धूप में नंगी आंखों से बाहर घूमने का दुष्परिणाम बहुतों को भुगतना पड़ता है। आंखें लाल-लाल हो जाती हैं और दुखने लग जाती हैं। यह इसलिए होता है कि आंखें गर्मी की तपिश को बर्दाश्त नहीं कर पातीं।
इससे बचने के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि तेज धूप में बाहर निकलने से पहले धूप का रंगीन चश्मा अवश्य पहन लिया जाये। चश्मा नहीं पहनने से कड़ी धूप में सूरज की किरणों में जो रेडियेशन होता है, उससे आंखों की पुतलियां झुलस भी सकती हैं, जिसके कारण नज़रें कमज़ोर हो जाती हैं।
धूप का चश्मा सूरज की किरणों की तीव्रता कम कर देता है। यही नहीं, तेज धूप में चश्मा नहीं पहनने से आंखों को सिकोड़कर देखने की आदत-सी पड़ जाती है, जिसके कारण आंखों के आसपास धारियां जैसी पड़ जाती हैं जो खूबसूरत चेहरे पर बदनुमा धब्बा बनाकर सुंदरता को हर लेती हैं।
चश्मा खरीदते समय इसकी क्वालिटी पर भी ध्यान देना होता है, जिसे प्राय: लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। चश्मा पहनते समय इसकी क्वालिटी की भी जांच नहीं करते। स्वस्थ आंखों के लिए ऐसा शौक उचित नहीं है। आप चश्मा अवश्य खरीदिये मगर आंखों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर न कि केवल शौक के लिए।
चश्मा खरीदते समय हमेशा विश्वस्त दुकान पर जाकर अच्छी कंपनी द्वारा निर्मित चश्मा ही खरीदें। फुटपाथों पर बिक रहे चश्मे किसी भी हक में आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हो सकते। फुटपाथी चश्मों के लैंस सामान्य होते हैं, जो धूप में अत्यधिक गर्म होकर आंखों की सुरक्षा के बजाय उन्हें और भी गर्म कर डालते हैं। ये चश्मे स्वास्थ्य को अन्य प्रकार से भी हानि पहुंचाते हैं।चश्मे में प्रयुक्त होने वाले लैंस की जांच स्वयं भी की जा सकती है। चश्मे को एक हाथ से पकड़ कर सामने की वस्तु को देखें। अब लैंस को कभी तिरछा व कभी सीधा करें। दायें-बायें करते हुए लैंस में से झांकिये। ऐसा करने से अगर सामने वाली वस्तु आड़ी तिरछी दिखे तो समझ लीजिए कि वह चश्मा आपके योग्य नहीं है।
जहां तक चश्मे के रंगों का सवाल है तो स्लेटी अथवा भूरे रंग का लैंस ही लें, क्योंकि ये रंग आंखों को शीतलता का अहसास कराते हैं। इनसे आंखों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता। वैसे फैशन की दृष्टि से बाज़ार में लाल, पीला, हरा, नीला आदि कई रंगों में लैंस उपलब्ध होते हैं।


—पूनम दिनकर