चड्ढा शुगर मिल द्वारा वायदे पूरे न करने पर लोगों में  रोष 

घुमान, 19 मई (गुरविंदर सिंह बमराह) : क्षेत्र श्री हरगोबिंदपुर जो गुरदासपुर जिले का सबसे पिछड़ा इलाका जाना जाता है, क्योंकि इस क्षेत्र में कई दशकों से सरकारों ने बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए न तो साधन पैदा किए न ही कोई उद्योग इस इलाके में लगाया, जिससे इसकी तरक्की हो सके परंतु कार्पाेरेट घरानों ने सरकार की इन कमजोरियों का लाभ सरकार से मिलकर लिया और ऐसे इलाकों में प्राइवेट मिलें लगाकर लोगों का शोषण किया। लोगों की कमजोरी का लाभ लेते हुए महंगे भाव की जमीने सस्ते भाव में लेकर, बड़ी बड़ी मिलें अरबों रूपए कमा रही हैं। इस तरह के ही हालात इस इलाके के पिछड़े गांव कीड़ी अफगाना, जोकि कस्बा हरचोवाल से 7-8 किलोमी दूर ब्यास दरिया के किनारे स्थित है, में चड्ढा ग्रुप द्वारा 2004-2005 में चीनी मिल लगाने के लिए लोगों से जमीन खरीद व लोगों को इस मिल लगने के साथ होने वाले लाभ के झूठे सपने दिखाए। 70 से 75 एकड़ रकबे में फैली इस मिल व फैक्टरी में क्या तैयार होना था, यह लोगों से छिपाकर रखा गया। अंत में वर्ष 2005 में चड्ढा ग्रुप द्वारा चीनी मिल शुरु करने के लिए सिख मर्यादा अनुसार पाठ करवाए गए। किसान यूनियन एकता के प्रधान जोगिंदर सिंह ने बताया कि लोगों में खुशी थी कि चीनी मिल शुरु होने से उनके गन्ने की यहां पिराई होगा, परंतु चड्ढा गुप ने चीनी मिल की अरदास करवाकर शराब की फैक्टरी चालू कर दी, परंतु जब इलाके के किसानों व लोगों को पता चला कि इन मिल वालों ने उनके साथ धोखा किया है, तो किसान संगठनों को साथ लेकर 2007 में लगातार छह दिन व रात बड़े स्तर पर धरना दिया गया था, जिससे प्रशासन जागा व चड्ढा मिल वालों ने भी किसान के आगे घुटने टेके और चीनी मिल चलाई और पांच वर्ष बाद 2010 में गन्ने की पिराई शुरु की। लोगों से किए वायदे पूरे न हुए : प्रधान जोगिंदर सिंह ने कहा कि मिल लगने से पहले करीब 2004 में चड्ढा ग्रुप द्वारा स्थानीय लोगों को अनेक सुविधाएं देने के वायदे किए गए थे, जिसमें स्थानीय गांवों के नौजवानों को नौकरियां, बच्चों के लिए स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने वाला पानी के प्रबंध, निशुल्क बिजली आदि शामिल थे, परंतु इनमें से एक भी वायदा पूरा न हुआ। फैक्टरी मालिकों की पहुंच ऊपर तक, सुनवाई की कोई उम्मीद नहीं - उपप्रधान सुल्तान : सतबीर सिंह सुल्तानी उप प्रधान किरती किसान यूनियन पंजाब का कहना है कि गन्ना पिराई बंद किए जाने को एक महीना हो चुका है, चीनी मिल तो पहले से ही बंद है, परंतु प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा इस मिल को सील करना लोगों की आंखों में धूल फेंकने के बराबर है। बाकी फैक्ट्रियों जैसे शराब, बीयर उसी तरह चल रही हैं, उनको भी सील करके जांच करनी चाहिए। सरकारों के निजी मिल वालों के बहुत करीबी संबंध हैं। इन बड़े लोगों की राजसत्ता तक पहुंच है। लोग सुनवाई की उम्मीद कहां से रखेंगे।