बनें ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट पाएं सेहतमंद करियर

ऑक्यूपेशनल थैरेपी स्वास्थ्य का एक पुनर्वास कार्यक्रम है। ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट उन लोगों के साथ काम करते हैं, जो किसी वजह से शारीरिक या मानसिक रूप से पूर्ण नहीं होते, उनमें दिमागी या शारीरिक रूप से कोई कमी होती है। ऑटिज्म और अल्झाइमर के पीड़ितों को भी यह थैरेपी दी जाती है। ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट को संक्षेप में  ओटी कहते हैं। यदि आपकी शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों, अपाहिजों और किसी वजह से शारीरिक गतिविधियों से लाचार लोगों की मदद करने में रूचि है तो यह क्षेत्र आपके लिए है। यह मेडिकल क्षेत्र है, लेकिन मेडिकल से ज्यादा सेवा क्षेत्र है। ऑक्यूपेशनल थैरेपी के तहत पीड़ितों को शारीरिक गतिविधियों के कार्यक्रम करवाये जाते हैं। किसी ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट के पास मेडिकल ज्ञान से ज्यादा धैर्य, संयम और उम्मीद से भरा होना जरूरी है। क्योंकि ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम लोगों की जिंदगी को सुगम बनाने में अधिकतम मदद करते हैं।  ऑटिज्म या इमोशनल डिसऑर्डर के शिकार बच्चों और न्यूरोलॉजिकल या साइकेट्रिक डिसऑर्डर से प्रभावित वयस्कों को ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट ही मदद के जरिये इस लायक बनाते हैं कि वो सामान्य नहीं तो कम से कम जितनी संभव हो सामान्य जिंदगी जी सकें। ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट बनने के लिए 10+2 विज्ञान विषयों से पास होना ज़रूरी है। चूंकि एक जमाने में इस क्षेत्र में कम लोग आने की इच्छा रखते थे, इसलिए आराम से एडमिशन मिल जाता था, लेकिन हाल के सालों में ओटी की मांग इसलिए भी बहुत तेजी से बढ़ी है क्योंकि मेडिकल क्षेत्र का विकास बहुत तेज रफ्तार से हो रहा है। नतीजतन अब इस क्षेत्र में जाने के लिए एंट्रेंस एग्जाम को पास करना होता है। साढ़े तीन साल के इस कोर्स के बाद किसी को भी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों, रिहैबिलिटेशन सेंटर, मेंटल हेल्थ केयर सेंटर और एडल्ट डे केयर सेंटर में आराम से नौकरी मिल जाती है। चूंकि भारत में बहुत तेजी से अस्पतालों और तमाम तरह के स्वास्थ्य केंद्रों का विकास हो रहा है इसलिए जितने छात्र इस कार्यक्रम के लिए चुने जाते हैं, उन सबको नौकरी आसानी से मिल जाती है। इस क्षेत्र में कई बार डॉक्टरों से भी बेहतर कमाई होने की गुंजाइश रहती है; क्योंकि देश में ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्टों की काफी कमी है और मरीजों की संख्या में लगातार बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है। जहां तक आय का सवाल है तो शुरुआत में किसी भी ओटी को 25 से 30 हजार रुपये की आराम से नौकरी मिल जाती है। एक साल के बाद जैसे-जैसे आप अनुभवी होते जाते हैं और कुछ खास चीजों पर विशेषज्ञता हासिल कर लेते हैं, उसी हिसाब से आपकी सैलरी बढ़ती जाती है। यहां तक कि देश में कई ओटी 70-80 लाख रुपये सालाना कमाते हैं।

—नरेंद्र कुमार