न मेस्सी माराडोना बने और न रोनाल्डो पेले बन सके

रूस में खेले जा रहे फीफा विश्व कप का फ्रांस बनाम अर्जेंटीना मैच का टीवी पर सीधा प्रसारण हम बहुत दिलचस्पी से देख रहे थे। उतार-चढ़ाव वाले इस रोमांचक मैच में जब 19 वर्षीय क्यलियन म्बप्पे ने फ्रांस के लिए अपना दूसरा गोल दागा और एक तरह से लिओनेल मेस्सी की ‘महानता की ओर जाती यात्रा’ पर विराम लगा दिया तो मन में एक सवाल कौंधा- क्या हम मेस्सी को फिर कभी विश्व कप में खेलते हुए देख पायेंगे? यही सवाल मन में क्रिस्टीअनो रोनाल्डो के बारे में भी जहन में आया। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि म्बप्पे ने दुनिया को अपना टैलेंट दिखाया, मेस्सी पर हावी हो गये और ब्राजील के लीजेंड पेले के बाद विश्व कप मैच में दो गोल करने वाले पहले किशोर बने। पेले ने यह कारनामा मात्र 17 वर्ष की उम्र में कर दिखाया था। म्बप्पे में अगले पेले की क्षमता व संभावना है, लेकिन इस विश्व कप से साबित हुआ कि अतीत में मेस्सी व रोनाल्डो ने जो अपने प्रदर्शनों से यह सपने दिखाए थे कि वह अगले पेले या माराडोना हो सकते हैं, वह बुरी तरह से चकनाचूर हो गये। न मेस्सी माराडोना बन सके और न ही रोनाल्डो पेले बने। दोनों मेस्सी (अर्जेंटीना) व रोनाल्डो (पुर्तगाल) ने अपने-अपने देशों के लिए 2006-2018 के बीच चार विश्व कप खेले, लेकिन अपनी जबरदस्त प्रतिभा के बावजूद वह अपने को पेले या माराडोना की तरह फुटबॉल के सर्वकालिक महानतम खिलाड़ियों की पंक्ति में स्थापित न कर सके। अब बढ़ती आयु के चलते उन्हें शायद ही कतर विश्व कप में पांचवां अवसर मिले। मेस्सी ने 2006 विश्व कप में 3 गेम खेले, 122 मिनट मैदान में रहे, 1 गोल किया, 1 में सहयोग किया और उनकी टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंची। 2010 विश्व कप में 5 गेम खेले, 450 मिनट मैदान में रहे, 0 गोल किया, 3 में सहयोग किया और उनकी टीम क्वार्टरफाइनल तक पहुंची। 2014 विश्व कप में 7 गेम खेले, 693 मिनट मैदान में रहे, 4 गोल किये, 1 में सहयोग किया और उनकी टीम फाइनल में पहुंच कर हार गई। 2018 विश्व कप में 4 गेम खेले, 360 मिनट मैदान में रहे, 1 गोल किया, 2 में सहयोग किया, 1 पेनल्टी मिस की और उनकी टीम अंतिम 16 तक पहुंची। अब रोनाल्डो का प्रदर्शन देखते हैं- 2006 विश्व कप में 6 गेम खेले, 484 मिनट मैदान में रहे, 1 गोल किया, 0  में सहयोग किया और उनकी टीम सेमीफाइनल तक पहुंची। 2010 विश्व कप में 4 गेम खेले, 360 मिनट मैदान में रहे, 1 गोल किया, 1 में सहयोग किया और उनकी टीम अंतिम 16 तक पहुंची। 2014 विश्व कप में 3 गेम खेले, 270 मिनट मैदान में रहे, 1 गोल किया, 1 में सहयोग किया और उनकी टीम ग्रुप स्तर तक ही रही। 2018 विश्व कप में 4 गेम खेले, 360 मिनट मैदान में रहे, 4 गोल किये, 0 में सहयोग किया और उनकी टीम अंतिम 16  तक पहुंची। इन दोनों खिलाड़ियों ने विश्व कप को अलविदा, शायद हमेशा के लिए, एक ही रात में, छह घंटे के भीतर लेकिन 2000 किमी के फासले पर कहा। हर किसी की आंख का तारा होने के बाद, अब एकांत उनका नया पता होगा, सर्वकालिक महान होने की उनकी यात्रा पर अचानक 30 जून को विराम लग गया। कजान एरीना में मेस्सी असहाय देखते रहे कि एक 19 साल के लड़के म्बप्पे ने उनके पैरों तले का कालीन छीन लिया यह संदेश देते हुए कि अब अलविदा कहने का समय आ गया है। दूसरी तरफ  रूस के दक्षिण में ब्लैक सी के किनारे रोनाल्डो की नाव एक और तूफान को बर्दाश्त न कर सकी और डूब गई। ईरान ने पहले नाव में छेद कर दिया था और फिर केवानी तूफान ने उसे डुबो दिया। जीवन चरित्र से भी बड़े यह दो नाम- मेस्सी व रोनाल्डो- स्वयं खेल का प्रतीक बन गये थे और पिछले 15 वर्षों से अपने क्लबों व देशों की सिकुड़ती सीमाओं को संभालने का प्रयास करते आ रहे थे। अपने करियर की सबसे बड़ी ट्राफी लेने का मेस्सी का यह चौथा प्रयास था और दौड़ इस बात की भी थी कि इस बहस पर विराम लगाया जाये कि अर्जेंटीना का महानतम खिलाड़ी कौन है। मेस्सी के अनगिनत ट्राफियों, जो भरपूर आनंद उन्होंने दर्शकों को अपने सुसंस्कृत लेफ्ट फुट  से दिया, के बावजूद माराडोना अब भी कह सकते है ‘मैं ही राज्य हूं’। रोनाल्डो का संघर्ष अपने आप से अधिक था, क्योंकि वह हर बोल्ड, सुंदर व जीतने वाली चीज की चाहत रखते हैं। अपनी तमाम नौटंकी के बावजूद भावना उनके चेहरे पर मेकअप ही प्रतीत हुई है और बेस्ट बनने की चाहत में उन्होंने अपने शरीर पर बहुत मेहनत की है। पिछले एक दशक के दौरान इन दोनों ने ही संसार का सारा ध्यान आकर्षित किया है, वह चाहे अपनी लीग में टॉप स्कोरर होने की दौड़ हो या घरेलू खिताब जीतने का प्रयास। लेकिन कांटिनेंटल प्रतियोगिताओं में वह कभी आमने-सामने नहीं आये। रूस ने उन्हें ‘असल युद्ध’ का अवसर प्रदान किया अगर दोनों 30 जून के अपने-अपने मुकाबले जीत जाते तो अर्जेंटीना व पुर्तगाल आमने-सामने होते और यह बहस भी तय हो जाती कि दोनों में कौन बेहतर है। लेकिन यह हो न सका और दोनों ही विश्व कप के लिहाज़ से नेपथ्य में गुम हो गये।