अढ़ाई सदी पुरानी टैक्स ड्योढी का अस्तित्व व इतिहास बना पहेली

अमृतसर, 19 अक्तूबर (सुरिंदर कोछड़) : सिख शासन काल की भीतरी अमृतसर शहर में  कटड़़ो की बनाई गई चुंगी ड्योढियों में मौजूदा समय सिर्फ एक ही ड्योढी शेष बची है। जिसका अस्तित्व और ऐतिहासिक महत्ता पर्यटकों, स्थानीय शहरी, इतिहास के जानकारों और रख-रखाव से संबंधित विभागों के लिए पहेली बनी हुई है। इस कमी के कारण यह शेष बची रह गई 250 वर्ष पुरानी विरासत ड्योढी खंडर में तबदील होती जा रही है। वर्णनीय है कि सिख मिसलों के अस्तित्व में आने के बाद मिसलों के बहुत से सरदारों द्वारा अमृतसर में अपने-अपने नाम पर कटड़े बसा कर उनमें अपनी रिहायश के लिए महलनुमा हवेलियों और रिहायशी किले बनाये थे।  अमृतसर में संबंधित इतिहास दस्तावेज़ों के अनुसार मिसल काल के समय अमृतसर में 65 के लगभग कटडे बसाये गए थे और लगभग हर कटड़े में एक-दो बड़े बाज़ार या मंडिया स्थापित की गई थीं। ये कटड़े एक तरह के शहर  में ही ‘मिनी सिटी’ (छोटे नगर) बने हुए थे और बताया जाता है कि यदि एक कटड़े का व्यक्ति अपराध करके दूसरे कटड़े में भाग जाता है तो दूसरे कटड़े के हाकम को    उसको पनाह या कड़ी से कड़ी सज़ा देने का भी अधिकार प्राप्त था। एक कटड़े के व्यापारी द्वारा दूसरे कटड़े की मंडी से सामान खरीदने पर बकायदा उस कटड़े के प्रमुख मार्ग पर स्थापित किए गए टैक्स ड्योढी के अधिकारी को टैक्स भी देना पड़ता था। उपरोक्त टैक्स ड्योढियों में श्री दरबार साहिब के पिछले बाज़ार में सिर्फ चूड़ा बाज़ार में ड्योढी ही आज शेष बची रह गई है, जबकि कटड़ा हरी सिंह भंगी वाली ड्योढी रख-रखाव की कमी के कारण कुछ समय पहले ढह गई। वर्णनीय है कि भंगी मिसल के प्रमुख हरी सिंह भंगी के समय कटड़ा हरी सिंह के निवासियों के जान-माल पर चोरी डाके से उनकी सुरक्षा करने के लिए चौकीदारी टैक्स भी लिया जाता था। पहले सभी कटड़ों के शासन अपने-अपने कटड़े से हाऊस टैक्स लेकर अपने पास रख लेते थे, पंरतु जब महाराजा रणजीत सिंह ने अमृतसर को अपने अधिकार में लिया तो उसका आदेश जारी करते हुए टैक्स की रकम खजाने में जमा करवाने के आदेश जारी किए।