गन्ना उत्पादकों का आंदोलन समाप्त

जालन्धर, 5 दिसम्बर जालन्धर/चंडीगढ़/फगवाड़ा/मुकेरियां/दसूहा (मेजर सिंह/हरकवलजीत सिंह/प्रिथीपाल सिंह बोला/विजय छाबड़ा/निरंकार सिंह रामगढ़िया/भुल्लर/कौशल): सरकार द्वारा गन्ना उत्पादकों की मांगें माने जाने के बारे दिए आश्वासन के बाद फगवाड़ा में हाईवे रोक कर बैठे किसान संगठनों के नेताओं ने आंदोलन समाप्त कर दिया है। चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री व सरकारी अधिकारियों की निजी चीनी मिल मालिकों के साथ हुई बैठक में किसानों का गन्ना 310 रुपए प्रति क्ंिवटल खरीदने व निजी चीनी मिलों द्वारा तुरंत पिराई शुरू करने के समझौते के बाद गन्ना उत्पादकों का आंदोलन समाप्त होने का रास्ता खुल गया। पिछले वर्ष का 400 करोड़ रुपए के लगभग बकाया 15 जनवरी, 2019 तक अदा करने व गन्ने की चालू खरीद की अदायगी शीघ्र शुरू करने के आश्वासन के बाद सायं लगभग 7 बजे संघर्षशील संगठनों के नेताओं ने हाईवे पर जाम समाप्त कर दिया। वर्णनीय है कि गन्ना मिल मालिकों के साथ 3 दिसम्बर को मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक बेनतीजा रहने के बाद उत्पादकों ने 4 दिसम्बर से फगवाड़ा में अनिश्चित के लिए हाईवे जाम कर दिया था। इससे पहले पंजाब में निजी चीनी मिलें जिनके द्वारा राज्य का 70 प्रतिशत गन्ने की पिराई की जाती है, के न चलने के कारण राज्य में उठे ज़ोरदार किसान आंदोलन से चिंतित राज्य सरकार द्वारा आज इन 7 चीनी मिलों से समझौता करके मिलों को चालू करने के लिए रास्ता साफ किया गया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा की गई बैठक के बाद राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सरकार द्वारा गन्ने की खरीद पर किसानों को 25 रुपए प्रति क्विंटल सीधा बोनस दिया जाएगा, जबकि गन्ने का निर्धारत मूल्य 310 रुपए में से 285 रुपए का भुगतान निजी चीनी मिलों द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री निवास पर निजी चीनी मिलों के मालिकों से हुई बैठक के दौरान राज्य सरकार द्वारा ये चीनी मिलें किसानों के गन्ने के भुगतान के लिए प्राप्त किए 200 करोड़ रुपए के कज़र् पर बनता 65 करोड़ का ब्याज भी इन मिलें को आगामी एक सप्ताह में जारी करने का फैसला लिया गया है। सूचना के अनुसार निजी चीनी मिलों के मालिकों ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिया कि राज्य सरकार द्वारा 65 करोड़ रुपए जारी होने के बाद किसानों के गन्ने का बकाया 130 करोड़ रुपए की राशि किसानों को आगामी एक महीने में दी जाएगी लेकिन किसानों की मांग के अनुसार इस राशि पर बनता ब्याज किसानों को नहीं दिया जाएगा। निजी चीनी मिल मालिकों मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि गन्ने की खरीद के लिए किसानों को पर्ची जारी करने की प्रक्रिया 2 दिनों तक शुरू हो जाएगी, जबकि ये चीनी मिलें भी 4 से 6 दिनों में चालू हो जाएगी। मुख्यमंत्री की इस बैठक में कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह, राज्य के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा, मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, वित्त कमिश्नर विकास विश्वजीत खन्ना, मुख्यमंत्री  के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह और प्रमुख सचिव वित्त अनिरुद्ध तिवारी भी उपस्थित थे, जबकि निजी चीनी मिलों द्वारा रजिंदर सिंह चड्ढा, कमल ओसवाल, राणा इंद्रपाल सिंह, जरनैल सिंह वाहद और कुनाल यादव बैठक में उपस्थित थे। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बैठक के बाद दावा किया कि आज की बैठक में हुए समझौते से निजी चीनी मिल मालिक और राज्य सरकार के मध्य चल रहा डैडलाक खत्म हो गया और अब यह निजी चीनी मिलें चलनी शुरू हो जायेगी वहीं दूसरी ओर पंजाब की प्राईवेट चीनी मिलों को जल्द चालू किए जाने, गन्ना किसानों की 400 करोड़ से ज्यादा की बकाया राशि तुरंत दिए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर किसान संगठनों द्वारा शुरु किए गए संघर्ष दौरान बुधवार भी पूरा दिन (जी.टी. रोड) मुख्य हाइवे किसानों द्वारा जाम रखा गया। मंगलवार सायं हज़ारों किसानों ने मेहटां नज़दीक क्लब कबाना होटल नज़दीक हाइवे की दोनों सड़कों को जाम कर दिया था, पूरी रात किसान सड़क पर ही डटे रहे। किसानों द्वारा हाईवे पर ही टैंट लगा दिए गए व रजाइयां बिछाकर हाइवे पर ही किसान पूरी रात बैठे रहे। बुधवार पूरा दिन भी किसानों ने हाइवे पर अपना रोष धरना जारी रखा जो सायं तक जारी रहा। धरना दे रहे किसानों के लिए लंगर का प्रबंध किया गया था। कई बार मुख्य सड़क पर आई एंबुलेंस को किसानों द्वारा रास्ता दे दिया गया। प्रशासन द्वारा पुलिस के पुख्ता प्रबंध किए गए व जालन्धर व लुधियाना को जा रहे ट्रैफिक को अन्य रुटों पर चलाया गया। जिसके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कुछ मिनटों का रास्ता पूरा करने के लिए वाहन चालकों को कई किलोमीटर लंबा रास्ता अपनाना पड़ा व ट्रैफिक जाम जैसी मुसीबतों से दो-चार होना पड़ा। शहर के अनेक स्कूलों द्वारा बुधवार छुट्टी का ऐलान कर दिया गया और जो कुछ स्कूल खुले भी उनमें भी बच्चों को जल्द छुट्टी कर दी गई। पूरा दिन क्षेत्र में किसान नेताओं का ज़िलाधीश मोहम्मद तैय्यब से बैठकों का सिलसिला जारी रहा। किसान नेता मनजीत सिंह राय ने शाम करीब 5 बजे किसानों को मुख्यमंत्री द्वारा कुछ मांगें माने जाने की बात कह हाइवे पर लगाया धरना खत्म करने की स्वीकृति मांगी, लेकिन कुछ किसान सारी मांगें माने जाने पर अड़े रहे, जिस पर किसान नेता पुन: ज़िलाधीश से बातचीत के लिए चले गए व शाम करीब साढ़े 6 बजे ज़िलाधीश कपूरथला मोहम्मद तैय्यब व एस.एस.पी. कपूरथला सतिंदर सिंह किसानों के बीच पहुंचे। मंच से जिलाधीश ने किसानों की मांगें पंजाब सरकार द्वारा मान लेने का ऐलान किया। जिसमें गन्ने का भाव 310 रुपये प्रति क्विंटल जिसमें से 285 रुपये मिल वाले व 25 रुपये पंजाब सरकार द्वारा किसानों को अदा किया जाएगा व किसानों की बकाया राशि 15 जनवरी तक देने की बात कही गई है व मिलें जल्द शुरु करने की बात भी कही गई है। अंत में 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक फगवाड़ा-जालंधर हाइवे बंद रहने के बाद करीब 7 बजे सायं किसानों द्वारा धरना समाप्त कर हाईवे को चालू कर दिया गया। जिस पर आम जनता व वाहन चालकों को भारी राहत मिली। पंजाब सरकार द्वारा चाहे चीनी मिलों व किसानों के बीच चल रही तकरार को समाप्त करते हुए गन्ने के मूल्य में की गई 35 रुपए प्रति क्ंिवटल की वृद्धि से 25 रुपए की सब्सिडी चीनी मिलों को देने की घोषणा दोपहर को कर दी गई थी परन्तु फिर भी किसानों द्वारा चीनी मिल मुकेरियां व चीनी मिल दसूहा के विरुद्ध अपनी मांगें मनवाने के लिए यह रोष धरना देर रात तक जारी रहा। किसान मांग कर रहे थे कि सड़कों पर खड़ी सैकड़ों गन्ना ट्रालियों को तुरंत चीनी मिलों के अंदर दाखिल किया जाए। चीनी मिल मुकेरियां व दसूहा मैनेजमैंट के बाद दोपहर शुरू हुई किसान संगठनों की बातचीत अंत में देर रात लगभग 8.30 बजे पूरी हुई तथा दोनों चीनी मिलों के विरुद्ध रोष धरना किसान संगठनों ने समाप्त करने की घोषणा कर दी। रोष धरने की समाप्ति पर आम जनता व पुलिस प्रशासन ने सुख की सांस ली तथा पिछले चार दिनों से जालन्धर-पठानकोट राष्ट्रीय मार्ग व दसूरा होशियारपुर रोड पर ठप्प हुए यातायात को दोबारा बहाल कर दिया गया। पगड़ी सम्भाल जट्टा के प्रधान कंवलप्रीत सिंह काकी, गुरप्रताप सिंह, सतनाम सिंह बागड़िया, मास्टर शीशम सिंह गुरदासपुर, सुलक्खन सिंह जग्गी, ठाकुर जगदेव सिंह, अमरजीत सिंह कानूनगो, निशान सिंह संघिया व दसूहा रोष धरने के नेताओं संघर्ष कमेटी के प्रधान जंगवीर सिंह व बाजवा ने किसानों द्वारा चीनी मिलों के विरुद्ध छेड़े गए संघर्ष में दिए गए सहयोग के लिए समूह किसानों का व किसान संगठनों का धन्यवाद किया है।