सीबीआई की प्रतिष्ठा को बचाने हेतु लेना पड़ा कड़ा फैसला : केन्द्र

नई दिल्ली, 5 दिसम्बर (भाषा/उपमा डागा पारथ) : केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो शीर्ष अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग में हस्तक्षेप करने की कार्रवाई को आवश्यक बताते हुए बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि इनके झगड़े की वजह से देश की प्रतिष्ठित जांच एजेन्सी की स्थिति बेहद हास्यास्पद हो गई थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसफ की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अपनी बहस जारी रखते हुए कहा कि इन अधिकारियों के झगड़े से जांच एजेन्सी की छवि और प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही थी। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि केन्द्र का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जनता में इस प्रतिष्ठित संस्थान के प्रति भरोसा बना रहे। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इन दोनों अधिकारियों के बीच चल रही लड़ाई से सरकार अचम्भित थी कि ये क्या हो रहा है। वे बिल्लियों की तरह एक दूसरे से लड़ रहे थे। अटार्नी जनरल ने केन्द्र की ओर से बहस पूरी कर ली। सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग की ओर से बहस शुरू की जो कल भी जारी रहेगी। केन्द्र ने आलोक वर्मा के खिलाफ अस्थाना की शिकायत पर केन्द्रीय सतर्कता आयोग की रिपोर्ट का अवलोकन किया था जिसमे कुछ सिफारिशें की गई थीं। इसके बाद ही दोनों अधिकारियों को अवकाश पर भेजा गया था। बाद में, न्यायालय ने सीवीसी को वर्मा के खिलाफ शिकायत की जांच का निर्देश दिया था। सीवीसी ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी थी। शीर्ष अदालत आलोक वर्मा को जांच ब्यूरो के निदेशक के अधिकारों से वंचित करने और उन्हें अवकाश पर भेजने के सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही है।