भारी बिकवाली के बाद अंत में 98 प्रतिशत शेयरों में निवेश बढ़ा

मुंबई, 22 मार्च (एजैंसी): गत सप्ताह वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस की दहशत रुकने का नाम ही नहीं ले रही है और क्रूड ऑयल के दाम और टूटकर अंत में 19.84 डॉलर प्रति बैरल रह गये हैं। जहां दुनियाभर के शेयर बाजारों में मंदे की दहशत निरंतर बनी हुई है। हालांकि अंतिम सत्र के दौरान निवेशकों ने अपनी हिम्मत दिखाई जो अंतिम कार्यसत्र के दिन 98 प्रतिशत के करीब लिवाली बढ़ने से बीएसई-30 शेयरों का सूचकांक एक दिन पूर्व की तुलना में 1627.76 अंक उछलकर 29915.96 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह एनएसई भी इसी अवधि में 8333.95 से बढ़त लेकर 8745.45 अंक पर बंद हुआ। रुपये में डॉलर की तुलना में भारी गिरावट आ गई है। इसी तरह अन्य मुद्राएं भी अमेरिकन डॉलर की अपेक्षा काफी नीचे चली गयी हैं। आलोच्य सप्ताह वैश्विक स्तर के शेयर बाजारों में मंदे का दलदल बन गया है। बीएसई सूचकांक पिछले तीन सप्ताह के अंतराल  11 हजार अंक के लगभग लुढ़क गया है। इसी तरह एनएसई सूचकांक भी उक्त अवधि में 2500 अंक के आसपास लुढ़क गया है। फिलहाल पूर्व दो सप्ताह से यह नोटिस किया गया है कि पूरे चार दिन बिकवाली के बाद अंतिम सत्र में दोनों इंडैक्स उछल गये थे। वैश्विक स्तर पर कोविद-19 कोरोना महामारी के चलते सभी क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था पर भी प्रत्येक देश की सरकार चौकस हो गयी है। अमेरिकन डॉलर की तुलना में सभी देशों की मुद्राएं काफी टूट गयी हैं। 
ऐसी भयावह स्थिति पैदा हो गयी है कि अर्थव्यवस्था सिकुड़ सकती है। जिस हिसाब से इस महामारी से निपटने हेतु पश्चिमी तथा एशियाई देशों ने अपने अरब डॉलरों में पैकेज की तैयारी की है। वॉलस्ट्रीट न्यूयार्क इंडैक्स बीते तीन सप्ताह से अब तक करीब 6 हजार अंक से भी अधिक टूट चुका है। जापान का निक्की सूचकांक एवं हांगकांग सूचकांक भी 5-6 हजार अंक के आसपास गिर चुका है। मंदे का ट्रेंड चलने के बाद टे्रड ठंडा पड़ जाता है। फिलहाल अंतिम सत्र के दौरान बीएसई व निक्की सूचकांक अंत में सुधरकर बंद हुआ। गत वीरवार की तुलना में शुक्रवार अंतिम सत्र के दौरान क्रूड ऑयल 6 डॉलर के करीब टूटकर 19.84 डॉलर प्रति बैरल रह गया। हालांकि कोरोना वायरस के कारण देश-विदेश के शेयर बाजार क्षतिग्रस्त हो गये है। इससे जो मंदा आया है वह शेयरों में निवेश बढ़ाने का अच्छा अवसर प्रदान कर रहा है। मुद्राओं में भारी उथल-पुथल हो गयी है तथा विदेशी मुद्राओं का आउटफ्लो बढ़ जाने से रिजर्व भंडार से मुद्राओं की निकासी भारी मात्रा में हो जाने से रुपया काफी टूट गया है। गुड्स टे्रड में घरेलू बिक्री के अलावा विदेशों से भी गुड्स की खरीद-फरोख्त लगभग समाप्त हो गयी है। बिक्री घटने से घरेलू कंपनियों को ऑर्डर में कमी आने के अलावा परचेजिंग मैनेजिंग इंडैक्स (पीएमआई) घटने का अंदेशा बढ़ गया है।