आंखों का मोल पहचानें

बेशकीमती हैं हमारी आंखें। इनका महत्व वही समझ सकता है जिनके पास आंखें न हो यानी जो अंधा हो। आंखें हैं तो जहान है वरना अंधेरा ही अंधेरा है। यह कितने आश्चर्य की बात है कि जब तक हम जागते रहते हैं, तब तक हर पल आंखों से काम लेते रहते हैं लेकिन इनकी देखभाल पर जरा भी ध्यान नहीं देते। 
प्रकृति प्रदत्त इस अनमोल उपहार को संभाल कर रखना कदापि कठिन नहीं है। आवश्यकता है अपनी व्यस्त दिनचर्या से कुछ समय निकालने की। कुछ बहुत साधारण लेकिन महत्वपूर्ण क्रियाएं व सावधानियां आंखों की ज्योति और सुंदरता के लिए अत्यंत उपयोगी है।
आंखों की मसाज - दोनों हथेलियों को मिलाकर इतनी बार रगड़ें कि हथेलियां गर्म हो जाएं। हथेलियों को आंखों पर रखकर सेंक करें एवं हल्के से दबाकर गोल घुमाकर आंखों की मसाज करें। हल्का सा दबाव डालें व छोड़ें।
पलकें झपकाना - लगातार टीवी, मोबाइल, कम्प्यूटर या किसी चीज को घूरकर देखते रहने और पलक न झपकाने से आंखों की ज्योति व सुंदरता नष्ट होने लगती है। ऊपरी पलकों को अंतराल में झपकाते रहना चाहिए।
नेत्र स्नान - जिस प्रकार शरीर की स्वच्छता के लिए प्रतिदिन स्नान आवश्यक है, उसी तरह नेत्रों की स्वच्छता के लिए नेत्र स्नान आवश्यक है। दिन में पांच बार मुंह में ठंडा पानी भरकर दोनों आंखें बंद कर 15-20 बार हल्के हाथों से आंखों पर पानी के छींटे मारें, इससे थकान भरी आंखों को काफी आराम मिलता है।
जल पट्टी - आंखों व गर्दन के चारों ओर तथा पेट पर ठंडे पानी की पट्टी लपेटकर 15-20 मिनट लेटे रहें। बीच-बीच में पट्टी को पलटें या पानी में भिगोकर रखें। यह आंखों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
सूर्य दर्शन - उगते सूर्य की लालिमा को खुली आंखों से निहारें। सूर्य थोड़ा ऊपर उठकर तेज हो जाए, तब पलकें बंद कर सूर्य की तरफ मुंह करके थोड़ी देर ठहरें। चांदनी रात में चद्रंमा को निहारें। 
आंखों का व्यायाम - दीवार पर एक बिंदु को केंद्र बनाकर पूर्ण एकाग्रता से देखें। यह क्रि या 2-3 मिनट तक करें, यह आंखों के लिए उपयोगी व्यायाम है। सर्वांगासन नेत्र विकार दूर करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। रात को सोते समय पैरों के तलुओं को गीले तौलिये से रगड़ते हुए पोंछें और तलुओं पर तेल की मालिश करें। इससे आंखों की ज्योति बढ़ती है।
आहार - विहार - आंखों की ज्योति व सुंदरता के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार आवश्यक है। निश्चित समय पर दोनों वक्त का सादा,सुपाच्य व ताजा भोजन करें। खूब चबा-चबाकर खाएं। तेज मिर्च- मसालेदार भोजन से परहेज करें। सुबह-शाम दोनों वक्त शौच के लिए जाएं और कब्ज न होने दें। मौसमी फलों व हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन प्रचुर मात्रा में करें। आंखों को तेज रोशनी व धूल आदि से बचाकर रखें। 

(स्वास्थ्य दर्पण)