आंखों को प्रभावित कर रहा है कोविड और ब्लैक फंगस

भारत में कोविड-19 की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। अब तक 2.5 करोड़ से अधिक कोविड-19 मामलों के साथ, भारत में मौतों की दर चौंकाने वाली है। चूंकि वायरस हर दिन अपनी पहुंच बढ़ा रहा है, इसलिए आपके लिए सतर्क रहना, कोविड-19 सुरक्षा व्यवहार का पालन करना और इसकी जटिलताओं से अवगत होना समझदारी है। इससे भी अधिक भयावह बात यह है कि अभी तक इस वायरस के संपूर्ण प्रभावों का ठीक से पता नहीं चल पाया है। सार्स-सीओवी-2 संक्रमण से जुड़े सबसे आम लक्षण थकान, बुखार और सूखी खांसी हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में मरीज़ों ने अपने संक्रमण के दौरान आंखों संबंधित लक्षण भी बताए। अध्ययन में बताया गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 18 प्रतिशत से अधिक कोविड-19 रोगियों ने आंखों में दर्द, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता का अनुभव किया। इसके अलावा, कोविड प्रभावित रोगियों को दिये गए स्टेरॉयड लीवर, किडनी और आंखों के लिए गंभीर दुष्प्रभाव पैदा करते हैं। कोविड रोगियों में स्टेरॉयड के अत्याधिक और लम्बे समय तक उपयोग से आंखों की गंभीर समस्या होती है जिसमें अंधापन हो सकता है। स्टेरॉयड के उपयोग से ग्लूकोमा और मोतियाबिंद भी होता है, जो लम्बे समय में अंधापन और पूर्ण दृष्टि हानि का कारण बन सकता है। अगर रोगी ज़्यादा समय तक इससे प्रभावित रहता है तो उसे तुरंत डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।  ब्लैक फंगस कुछ कोविड रोगियों में पाया जाने वाला एक आक्रामक फंगल संक्रमण, पलक के गिरने का कारण बन सकता है जिस वजह से आंखों में लाली, दर्द, सूजन, आंखों का बड़ा दिखना, आंखों का छोटा दिखना, नज़र कमज़ोर होना या बिल्कुल खत्म हो जाना, डबल दिखना जिसको जिम्लोपिया भी कहते हैं आदि लक्षण शामिल हैं। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं हुआ तो यह आंख के ऊपर की हड्डी तोड़कर दिमाग में जा सकता है।  सभी कोविड रोगियों, उनके परिवारों और यहां तक कि जो वायरस से सुरक्षित हैं, उन्हें किसी भी कोविड से संबंधित आंखों के रोगियों को तुरंत अपने नेत्र विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए। कोविड-19 के दौरान हर समय लोगों को अपनी आंखों और स्वास्थ्य की रक्षा करने की सलाह दी जाती है। कोविड रोगियों और यहां तक कि उनके परिवारों के लिए उचित दवाएं लेना और आंखों की उचित देखभाल करना रिकवरी व्यवस्था में एक सख्त समावेश होना चाहिए।