भारतीय महिला हाकी टीम की ड्रैग फ्लिक्कर गुरजीत कौर

भारतीय महिला हाकी टीम ने 1980 के मास्को ओलम्पिक में पहली बार भाग लिया था और दूसरी बार 2016 के रियो ओलम्पिक में 36 वर्ष के बाद क्वालीफाई किया था और अब तीसरी बार टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई होने का गौरव प्राप्त हुआ था। महिला हाकी टीम में टोक्यो ओलम्पिक खेलने वाली ड्रैग फ्लिक्कर गुरजीत कौर पंजाब की ही देन है, जिसे इस समय गोल मशीन का नाम भी दिया गया है। गुरजीत कौर का हाकी का सफर बहुत ही चुनौतियों भरा रहा है। इसकी हाकी के सफर की शुरुआत खेल विंग कैरों (तरनतारन) से कोच शरनजीत सिंह की देख-रेख में हुई। गुरजीत कौर का जन्म 24 अक्तूबर, 1995 को जिला अमृतसर के गांव मियादी कलां में एक साधारण किसान परिवार में पिता सतनाम सिंह और माता हरजिन्दर कौर के घर हुआ। इस गांव में कोई की खेल मैदान नहीं था, बहुत ही पिछड़ा होने के कारण खेलों का कोई नामोमिशान भी नहीं था परन्तु पिता सतनाम सिंह को खेलों का शौक था और उन्होंने गुरजीत कौर और छोटी बेटी को अच्छी पढ़ाई और खेलों के लिए गांव से 20 किलोमीटर दूर अजनाला में एक निजी स्कूल में दाखिल करवाया। वह प्रतिदिन अपनी बेटियों को साइकिल पर स्कूल छोड़ने जाते थे। आर्थिक तंगी के कारण 2006 में सतनाम सिंह ने अपने गांव से 70 किलोमीटर दूर स्पोर्ट्स विंग कैरों के खेल होस्टल में दोनों बहनों को 6वीं कक्षा में दाखिल करवा दिया ताकि उनको अच्छी खुराक, रहन-सहन और अच्छा खेल प्रशिक्षण मिल सके। गुरजीत कौर ने 2011 तक कौरों खेल विंग में रह कर अपनी खेल को बुलंदियों तक पहुंचाया और नैशनल स्कूल खेलों में पंजाब का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए गुरजीत कौर ने लायलपुर खालसा कालेज जालन्धर में दाखिला ले लिया और यहां से उसके करियर की असल शुरुआत हुई। इसने बिना ड्रैग फ्लिक्कर पंजाब महिला  हाकी टीम का हिस्सा बन कर नैशनल चैम्पियनशिपों में अपनी पहचान बनाई। 2017 कनाडा हाकी सीरीज़ में उसका चयन हुआ और वह लगातार भारतीय हाकी की अहम सदस्य ेके रूप में उपस्थिति दर्ज करवाती रही है। गुरजीत कौर ने 2017 की विश्व हाकी लीग राऊंड 2 में भाग लिया। 2017 की विश्व हाकी लीग के सैमीफाइनल में खेलने का गौरव हासिल किया। 2017 के एशिया कप और 2018 के विश्व हाकी कप लंदन में तीसरी सर्वोत्तम गोल करने वाली खिलाड़ी बनने का गौरव प्राप्त किया। इसने टूर्नामैंट में 8 गोल किये और 7 पैनल्टी कार्नरों को गोल में तबदील करके क्वार्टर फाइनल में कज़ाकिस्तान के खिलाफ हैट्रिक भी बनाई। वह गोल मशीन के नाम से प्रसिद्ध हुई। गुरजीत कौर की ड्रैग फ्लिक्कर में सुधार डच्च कोच सजोरिड मरिंजे ने किया और डच्च कोच तून शिपमैन ने भी इसके खेल को काफी सीमा तक सुधारा। इसे विश्व की एक महान ड्रैग फ्लिक्कर बनने में बहुत सहायता की। गुरजीत कौर ने 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों, आस्ट्रेलिया में भाग लिया और अच्छा प्रदर्शन किया तथा भारत चौथे स्थान पर रहा। इसके बाद 2018 के हाकी विश्व कप में भी गुरजीत कौर ने 2 गोल किये और उसने 2018 में जकार्ता एशियन खेलों में भारतीय महिला हाकी टीम का नेतृत्व किया और रजत पदक प्राप्त किया। इस जीत  में गुरजीत कौर द्वारा ड्रैग फ्लिक से किये गोलों ने भारत की स्थिति काफी मज़बूत की है। 


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