सम्भव है हकलाहट का निदान

हकलाहट से ग्रसित बच्चों की प्रतिभा और आत्मविश्वास दब जाता है जिससे उनका करियर डूब जाता है। इसीलिये ऐसे बच्चों के अभिभावकों को अपने बच्चे की हकलाहट को दूर करने हेतु गण्डे-ताबीज या भाग्य के भरोसे रहने की बजाय उनकी सही चिकित्सा करानी चाहिये।
वैसे आधुनिक शोधों के अनुसार, बच्चों में हकलाहट प्राय: शारीरिक और मानसिक वजह से होती है। शारीरिक कारणों में गर्भावस्था के दौरान भू्रण को पर्याप्त ऑक्सीजन न पहुंचना, प्रसव के पूर्व या उसके उपरांत भू्रण को अंदरूनी क्षति पहुंचना, गले के वोकल कार्ड में खराबी, जिह्वा या तालू में से कोई विकार होने से, सिर के पिछले हिस्से में चोट पहुंचने से या आनुंवशिकी दोष होने की वजह से होता है।
इसी तरह मानसिक कारणों में माता पिता, दादा दादी, मामा मौसी, नाना नानी में से किसी को यह बीमारी होना, घर का वातावरण कलहपूर्ण और घुटन भरा होना, माता पिता में से किसी का बच्चे के प्रति दमनकारी रवैय्या और आत्मविश्वास की अत्यधिक कमी का होना प्रमुख हैं।
पहले ऐसे बच्चों के लिये पर्याप्त चिकित्सकीय और मार्गदर्शन की सुविधायें न के बराबर थीं लेकिन अब ऐसा नहीं है। हर छोटे-बड़े शहर में प्राय: स्पीच थेरेपी सेंटर पाये जाते हैं। इस बीमारी के इलाज हेतु ऐलोपैथी और होम्योपैथी दोनों चिकित्सा लाभप्रद हैं। इसके अलावा अभिभावकों को निम्न उपाय भी आजमाने चाहिये। जैसे:-
हमेशा हकलाहट के शिकार बच्चे का मनोबल बनाये रखें। उसे चिढ़ायें या दुत्कारें नहीं।
बच्चे को घर में खुला वातावरण दें ताकि वह निस्संकोच अपने मन की बात घरवालों के साथ शेयर कर सके।
अक्सर ऐसे बच्चों की रेट ऑफ स्पीच (बोलने की गति) बहुत तीव्र होती है जिसकी वजह से बोलने के बीच में जटिल वाक्य का उच्चारण करते समय वे हकलाने लगते हैं।
उसे धीरे-धीरे दर्पण (आइने) के सामने बुलवा कर सही बातचीत का अभ्याय करायें।
बच्चे को खेलकूद, संगीत, स्काउटिंग, योग या मार्शल आर्ट की क्लासेज में भर्ती कराये।
विभिन्न सामाजिक समारोहों में उसे खुलकर भाग लेने को कहे। लोगों से उसका परिचय करवाकर, उसे उनसे बोलने को प्रोत्साहित करे।
जिन लोगों या जिन शब्दों के उच्चारण करते वक्त बच्चा तुतलाता या हकलाता है तो ऐसे में बच्चे को जबरर्दस्ती बोलने को न कहें।

(स्वास्थ्य दर्पण)