गुणों से भरपूर अशोक वृक्ष


अशोक का पेड़ दिखने में जितना सुंदर होता है, इसके गुण उससे भी कहीं ज्यादा सुंदर होते हैं। यह कई बीमारियों को दूर करने में सहायक है। अशोक के पेड़ की छाल व पत्तों में अनेक औषधीय गुण होते हैं। अशोक के पत्तों में भरपूर मात्रा में हाइपोग्लाइसेमिक गुण पाया जाता है। अगर इनका नियमित सेवन किया जाए तो ये रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में काफी मदद करते हैं। इससे शरीर में इंसुलिन बनने की क्रिया में भी सुधार होने लगता है। अशोक के पेड़ के विभिन्न हिस्से हमें कई तरह के संक्त्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसमें पाए जाने वाले मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुणों की मदद से शरीर के अंदरूनी और बाहरी संक्त्रमणों का इलाज किया जा सकता है। अशोक का पेड़ दस्त रोकने में मदद करता है। अशोक की छाल दस्त जैसी समस्याओं को रोकने में भी मदद करती है।
अशोक की छाल का सेवन करने के लिए इसको पीसकर गुनगुने पानी के साथ लिया जाता है। अशोक के पत्तों का सेवन करने से पहले पानी में उबालें और ठंडा करके पानी पी लें। इस पेड़ के पत्तों या छाल को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा चमकदार, मुलायम और संक्त्रमण के विरुद्ध मजबूत हो जाती है। अशोक की छाल में हीमैटाक्सिलिन, टेनिन, केटोस्टेरॉल, ग्लाइकोसाइड, सैपोनिन, कार्बनिक कैल्शियम तथा लोहे के यौगिक पाये जाते हैं। टेनिन एसिड के कारण इसकी छाल सख्त होती है। यह बहुत तेज और मंदता का प्रभाव पैदा करने वाली होती है। इसलिए रक्त प्रदर के दौरान होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव पर इसका बहुत अच्छा नियंत्रण होता है। 
अशोक वृक्ष में लगने वाली फलियां आठ से दस इंच लंबी चपटी, एक से दो इंच चौड़ी दोनों सिरों पर कुछ टेढ़ी होती हैं। ये ज्येष्ठ माह में लगती हैं। प्रत्येक में चार से दस की संख्या में बीज होते हैं। फलियां पहले जामुनी लेकिन पकने पर काले रंग की हो जाती हैं। बीज के ऊपर की पपड़ी रक्ताभ वर्ण की, चमड़े के सदृश मोटी होती है। औषधीय प्रयोजन में छाल, पुष्प व बीज प्रयुक्त होते हैं। अशोक के पेड़ की कई किस्में होती हैं कुछ किस्में बागीचों की फेंस बनाने और उनकी शोभा बढ़ाने के लिए होती हैं। मुख्य रूप से इसकी दो किस्में हैं असली अशोक और नकली अशोक। नकली किस्म बगीचे कीं शोभा बढ़ाने वाली होती है, जबकि असली अशोक कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। अशोक की छाल बाहर से शुभ्र धूसर, स्पर्श करने से खुरदरी और अंदर से लाल रंग की होती है। यह स्वाद में कड़वी होती है। मिलावट के बतौर कहीं-कहीं आम के पत्तों को अशोक के पत्ते के साथ मिला दिया जाता है। 
अशोक का वास्तुशास्त्र में भी खूब उपयोग होता है। इसे घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है। घर में अशोक का वृक्ष होने से सुख, शांति व समृद्धि बनी रहती है। चूंकि अशोक का वृक्ष हमेशा हरा-भरा रहता है। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में और पर्यावरण को समृद्ध बनाने में योगदान देता है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सैंटर