बधाई पत्रों का रोचक इतिहास

 

बधाई पत्रों का इतिहास काफी पुराना है। प्राचीनकाल से लेकर अब तक बधाई पत्र बदलाव के कई दौर से गुजरा है। आज के भाग-दौड़ की जिंदगी में भी बधाई पत्रों का अपना एक खास महत्व है। आज विभिन्न अवसरों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के आकर्षक से आकर्षक बधाई पत्र बाज़ार में उपलब्ध हैं। विशेष तौर पर क्रिसमस और नववर्ष के अवसर पर बधाई पत्रों की मांग प्राय: बढ़ जाती है। लेकिन आज के बदलते परिवेश में बधाई पत्रों की मांग में थोड़ी कमी अवश्य आई है। ये मन मोहक बधाई पत्र न केवल आपसे दूर परिवार के अन्य सदस्य व मित्रों के सारे गिले-शिकवे को दूर कर देते हैं, बल्कि उनके मन में आपके प्रति प्रेम का भाव जगाते हैं और संबंधों को अधिक प्रगाढ़ बनाते हैं। लेकिन इन मनमोहक बधाई पत्रों को देखकर आपके मन में यह प्रश्न अवश्य उठता होगा कि बधाई पत्र को सबसे पहले किसने बनाया और सर्वप्रथम किसे भेजा होगा? बधाई पत्रों का इतिहास काफी दिलचस्प और रोचक है। आइए, आपको बताते हैं बधाई पत्रों के रोचक इतिहास को। 
प्राचीनकाल में लोग विभिन्न शुभ अवसरों पर बधाई के रूप में रंग-बिरंगे फूलों का गुलदस्ता बनाकर एक-दूसरे को प्रदान करते थे। नववर्ष के शुभ अवसर पर लोग सफेद फूल एक-दूसरे को प्रदान करते थे, ताकि वर्ष भर शांति का माहौल बना रहे। सफेद फूल शांति का प्रतीक माना जाता था। 
जापान के लोगों ने 10वीं शताब्दी में लकड़ी के छोटे तख्तों पर ‘बधाई’ लिखकर भेजने की परंपरा की शुरूआत की। इस तख्ती को छोटी बच्चियां लोगों को प्रदान करती थी। जर्मनी के लोगों ने पान व केले के पश्रों को विभिन्न रंगों में रंगकर एवं उस पर आकर्षक कलाकृति बनाकर एक-दूसरे को बधाई दिया करते थे। सभ्यता का जब थोड़ा विकास हुआ, तो लोगों ने बधाई संदेश भेजने के लिए पशुओं के खाल का प्रयोग करना शुरू कर दिया। इन खालों पर सुगंधित द्रव्य छिड़ककर उस पर बधाई संदेश भेजा करते थे, ताकि इन खालों से सड़न की बदूब न आए।
रोमनों के शासनकाल में वेलेन्टाइन-डे के अवसर पर प्रेमी युगल एक-दूसरे  को कविता के रूप में बधाई देने की परंपरा की शुरूआत की। कुछ समय बाद क्रिसमस और नववर्ष के शुभअवसर पर बधाई पत्र भेजने की परंपरा की शुरूआत हुई। चीन और मिस्र के प्राचीन स्थलों की खुदाई से प्राप्त वस्तुओं से पता चलता है कि प्राचीनकाल में लोग बधाई संदेश विभिन्न प्रकार के पदकों, चिरागों व तांबे के सिक्कों पर अंकित कर भेजा करते थे। रोम में बधाई संदेश भेजने का तरीका काफी रोचक और दिलचस्प था। रोम के लोग जैतून के वृक्ष की डाल की आकृति बनाकर, उस पर बधाई संदेश अंकित कर एक-दूसरे को भेजा करते थे। वहीं मिस्र में इत्र की बोतलों पर शुभकामना संदेश अंकित कर भेजने की परंपरा थी। 
संसार का पहला बधाई पत्र किसने भेजा? तो इसका श्रेय जाता है एक सोलह वर्षीय बालक विलियम मा इम्ले को। विलियम मा इम्ले ने सन 1842 में पांच इंच लंबा और साढ़े तीन इंच चौड़ा एक बधाई पत्र अपने मित्र को भेजा था। इस बधाई पत्र में ईसा मसीह के जीवन से संबंधित विभिन्न घटनाओं को चित्रित किया गया था। यह बधाई पत्र आज भी ब्रिटिश संग्रहालय में सुरक्षित है। 
बधाई पत्र पहला व्यवसायीकरण सन् 1843 में हुआ। बधाई पत्र के इस व्यवसायीकरण का श्रेय जाता है- प्रसिद्ध चित्रकार जॉन हॉर्सले को। हॉर्सले ने एक 5-3 इंच के आकार का एक बधाई पत्र बनाया, जिसे विभिन्न आकर्षक चित्रों से सजाया गया था। यह आकर्षक बधाई पत्र उनके मित्र हेनरी के दिल को छू गया और उसने उस बधाई पत्र के एक हज़ार प्रतियां तैयार करवाकर, एक शिलिंग प्रति कार्ड की दर से बाज़ार में बेच दिया। इसके बाद तो बधाई पत्रों का व्यवसायीकरण तेज़ी से फलने-फूलने लगा।  जर्मनी के प्रख्यात उद्योगपति वोस्टन लुईस प्राग ने सन् 1875 में विभिन्न अवसरों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के आकर्षक बधाई पत्रों को प्रकाशित करवाया। बधाई पत्रों का यह व्यवसायीकरण का प्रयोग सफल रहा और अमरीका में यह व्यवसाय तेज़ी से फैलने लगा। यूनिसेफ ने भी सन् 1950 में विभिन्न प्रकार के आकर्षक बधाई पत्रों को प्रकाशित करवाया। आज भी यूनिसेफ 5 भाषाओं में बधाई पत्रों को प्रकाशित करवाता है और इससे प्राप्त आय को संयुक्त राष्ट्र संघ के बाल कल्याण कोष में जमा कर दी जाती है।  संसार का सबसे बड़ा बधाई पत्र वियतनाम में युद्धरत सैनिकों के उत्साहवर्द्धन के लिए भेजा गया था। एक लाख लोगों के हस्ताक्षर युक्त यह बधाई पत्र 10 दिसम्बर 1967 को भेजा गया था। यह बधाई पत्र 7 किलोमीटर लंबा था और इस बधाई पत्र का वजन दो टन था।  व्यवसायिक उद्देश्य से बनाया गया संसार का सबसे बड़ा बधाई पत्र 67 सेंटीमीटर चौड़ा एवं 132 सेंटीमीटर चौड़ा था। यह बधाई पत्र क्रिसमस के अवसर पर बैंडफोर्ड में बनाया गया था। बधाई पत्रों के इतिहास में संसार का सबसे छोटा बधाई पत्र सन् 1920 में लंदन की एक टेलिफोन कंपनी के मालिक ने बनवाया था और इस बधाई पत्र को ‘ प्रिंस ऑफवेल्स ’ को भेजा था। इस बधाई पत्र को चावल के दाने पर स्याही से लिखा गया था। इस बधाई पत्र में मात्र 22 शब्द अंकित थे। 
 आज के आधुनिक परिवेश मे भी बधाई पत्रों का महत्व कम नहीं हो पाया है। एक आकर्षक बधाई पत्र आपसे रूठे संगे-संबंधियों व मित्रों के मन में आपके प्रति प्रेम का भाव जगाकर बिगड़े संबंधों को मधुर बनाता है। 
-मो. 09135014901