देवी लाल परिवार के साथ गहरे रिश्ते थे स. प्रकाश सिंह बादल के

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल का निधन पंजाब के साथ-साथ हरियाणा व देश के लिए भी एक बड़ा सदमा है। प्रकाश सिंह बादल और पूर्व उप-प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के परिवारों की दोस्ती लोगों के लिए एक मिसाल रही है। दोनों ही परिवारों ने न सिर्फ पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक रिश्ते निभाए बल्कि हर संकट के समय में एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े रहे। सरदार प्रकाश सिंह बादल का गांव बादल और चौधरी देवीलाल के गांव चौटाला आस-पास ही पड़ते हैं। बादल परिवार और चौधरी देवीलाल परिवार दोनों का ही डबवाली शहर से विशेष रिश्ता रहा है। 1966 में हरियाणा अलग प्रदेश बनने के बाद चाहे डबवाली हरियाणा में चला गया लेकिन उससे पहले संयुक्त पंजाब के समय दोनों राजनेताओं का सीधा संबंध डबवाली के साथ रहा है। प्रकाश सिंह बादल और चौधरी देवीलाल दोनों ही किसानों के बड़े नेता थे और 1966 से पहले संयुक्त पंजाब में दोनों पंजाब विधानसभा में विधायक हुआ करते थे और दोनों ही राजनीति में सक्रिय थे।
बादल बनाम देवीलाल 
हरियाणा अलग राज्य बनने के बाद किसानों के मुद्दे पर चौधरी देवीलाल और प्रकाश सिंह बादल ने करनाल में इकट्ठे आन्दोलन शुरू किया था और गिरफ्तारियां भी दी थीं। एक समय ऐसा आया जब चौधरी देवीलाल थोड़ा सा राजनीति से अलग होकर अपने तेजाखेड़ा फार्म हाउस पर आराम करने लग गए थे और उसी दौरान हरियाणा के रोड़ी विधानसभा क्षेत्र के विधायक का निधन होने से रोड़ी हल्के में 1974 में उप-चुनाव आ गया था। प्रकाश सिंह बादल के अनुरोध पर ही देवीलाल ने वह उप-चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और उस समय अकाली दल का पूरा संगठन रोड़ी हल्के के हर गांव में झोंक दिया और चौधरी देवीलाल को भारी बहुमत से जिताकर ही लौटा था। उस समय हरियाणा में चौधरी बंसीलाल की सरकार थी और रोड़ी उप-चुनाव में कांग्रेस की ओर से बंसीलाल के रिश्तेदार इंद्राज बैनीवाल को उम्मीदवार बनाया गया था। 
दोनों बने मुख्यमंत्री
रोड़ी उपचुनाव के बाद चौधरी देवीलाल एक बार फिर हरियाणा की राजनीति में छा गए और एमरजैंसी में जेल में रहने के बाद 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की सरकार बनी और हरियाणा में चौधरी देवीलाल व पंजाब में प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री बने थे। दोनों ने मुख्यमंत्री बनते ही डबवाली में इकट्ठे एक जनसभा की और लोगों से यह कहा कि आज से हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री हम नहीं बल्कि इस इलाके की जनता मुख्यमंत्री है। दोनों के राजनीतिक और सामाजिक रिश्तों को हिन्दू-सिख एकता के प्रतीक के तौर पर देखा जाता था। हरियाणा अलग बनने के बाद हरियाणा के सिख मतदाताओं पर प्रकाश सिंह बादल का विशेष प्रभाव हुआ करता था और वह हर चुनाव में चौधरी देवीलाल परिवार के पक्ष में लोगों से मतदान करने की अपील करने के लिए हरियाणा जरूर आया करते थे। दूसरी तरफ देवीलाल भी पंजाब विधानसभा में विधायक, मुख्य संसदीय सचिव और संयुक्त पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे और उनका पंजाब के प्रति विशेष लगाव होने के कारण पंजाब के हिन्दू मतदाताओं पर भी उनका काफी प्रभाव माना जाता था। इसी के चलते वह हर चुनाव में प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाले अकाली दल के समर्थन में मतदाताओं से वोट की अपील करने जरूर आया करते थे।
देवीलाल ने निभाईं रस्में
प्रकाश सिंह बादल व देवीलाल के प्रति घनिष्ठता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब प्रकाश सिंह बादल की बेटी की शादी आदेश प्रताप सिंह कैरों के साथ होनी थी तो उस समय प्रकाश सिंह बादल जेल में थे। उस समय प्रकाश सिंह बादल के परिजनों व रिश्तेदारों ने उन्हें सलाह दी कि वह बेटी की शादी के लिए कुछ दिनों की जमानत ले लें अथवा पैरोल ले लें ताकि बेटी की शादी की रस्मों में शामिल हो सकें। बताया जाता है कि प्रकाश सिंह बादल ने उस समय यह कहते हुए जमानत लेने से इन्कार कर दिया था कि देवीलाल उनके बड़े भाई हैं और बेटी की शादी की रस्में उनकी जगह पर उनके बड़े भाई देवीलाल निभाएंगे और इसी के मुताबिक देवीलाल ने ही प्रकाश सिंह बादल की गैर हाज़िरी में उनकी बेटी की शादी की रस्में निभाई थीं। देवीलाल देश के उपप्रधानमंत्री बनने के बाद किसी प्रोटोकाल की परवाह किए बगैर दक्षिण की जेल में बंद प्रकाश सिंह बादल से मिलने वहां भी गए थे।
बादल को जेल में मिलने गए चौटाला
देवीलाल के निधन के बाद उनके बड़े बेटे व पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने बादल परिवार के साथ पारिवारिक, सामाजिक व राजनीतिक रिश्तों को उसी तरह पूरी दृढ़ता, सत्कार व सम्मान के साथ निभाया और बादल परिवार के हर अच्छे-बुरे वक्त में उनके साथ खड़े नजर आए। एस.वाई.एल. पर दोनों परिवारों का अपना स्टैंड अलग-अलग होने के बावजूद दोनों परिवारों के पारिवारिक, सामाजिक व राजनीतिक रिश्तों में कभी कोई खटास नहीं आई। पंजाब में कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार बनने के बाद प्रकाश सिंह बादल को गिरफ्तार करके पटियाला जेल भेज दिया गया था। उस समय ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। प्रकाश सिंह बादल के जेल जाने के तुरंत बाद ओम प्रकाश चौटाला ने पंजाब सरकार व पटियाला जेल प्रशासन को सूचित किया कि वह प्रकाश सिंह बादल के साथ मुलाकात करने के लिए पटियाला जेल आ रहे हैं। उस समय पंजाब के एक बड़े राजनेता ने ओम प्रकाश चौटाला को फोन करके पटियाला जेल न आने का आग्रह किया और कहा कि पड़ोसी राज्य का एक मुख्यमंत्री किसी अपराधी को मिलने जेल जाए तो अच्छा नहीं लगता, लेकिन ओम प्रकाश चौटाला ने यह आग्रह ठुकराते हुए कहा कि ऐसे राजनीतिक आरोपों में अक्सर राजनेता जेल जाते रहते हैं और उन्हें मिलना कोई गुनाह नहीं है। ओम प्रकाश चौटाला वहां पटियाला जेल में गए और बादल से मुलाकात करके ही वापस लौटे।
दिग्विजय की शादी में पहुंचे बादल
अभी चौटाला परिवार में दरार पड़ने और परिवार और पार्टी में फूट पड़ने के बावजूद डॉ. अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला अक्सर स. प्रकाश सिंह बादल से मिलने और उनका हाल-चाल जानने जाया करते थे। दूसरी तरफ ओम प्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला भी स. प्रकाश सिंह बादल के साथ पहले की तरह जुड़े हुए थे। जिस दिन दुष्यंत चौटाला को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई, उस समय दुष्यंत चौटाला के शपथ ग्रहण समारोह में ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला ने तो अपनी दूरी पूरी तरह बरकरार रखी लेकिन प्रकाश सिंह बादल शपथ ग्रहण समारोह में न सिर्फ पहुंचे बल्कि मंच पर मौजूद रहकर परिवार के मुखिया के तौर पर दुष्यंत चौटाला को आशीर्वाद भी दिया। इतना ही नहीं, अभी कुछ दिन पहले दुष्यंत चौटाला के भाई और डॉ. अजय चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय चौटाला की शादी का समारोह था। उस समारोह में भी ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला शामिल नहीं हुए और उन्होंने अपनी दूरी बनाए रखी, लेकिन प्रकाश सिंह बादल दिग्विजय के शादी समारोह में विशेष रूप से पहुंचे हालांकि उनकी तबीयत ज्यादा ठीक नहीं थी। हरियाणा के लोगों की जुबान पर ऐसी हजारों घटनाएं हैं जो प्रकाश सिंह बादल के हरियाणा के साथ रिश्तों और देवीलाल परिवार के रिश्तों की गहराई को बताने के लिए अक्सर लोग चर्चा किया करते हैं। 


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