सरदार प्रकाश सिंह बादल-एक अनूठा व्यक्तित्व

सरदार प्रकाश सिंह बादल...यह सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि पंजाब, पंजाबियत, अपनेपन, भरोसे की वो पहचान है जो  सालों-साल से  देश के ललाट पर चमकदार पंजाबी स़ाफे की तरह बंधा है। बादल साहिब का अनूठा व्यक्तित्व था। उनकी हर मुलाकात स्मरणीय होती थी, प्रेरणा देती थी। जीवन में व्यक्ति को कैसा व्यवहार रखना चाहिए, इसका सबक सिखाती थी। मेरी उनसे मुलाकात 1970 के दशक में जनता पार्टी और अकाली दल की गठबंधन सरकार के दौरान हुई जब वह पंजाब के मुख्यमंत्री थे। पंजाब-चंडीगढ़ कालेज टीचर यूनियन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के ग्रेड के लिए आंदोलन कर रहे थे। काफी संघर्ष के बाद बादल साहिब ने हमारी मांगें मान लीं। इसके बाद जालंधर के दोआबा कॉलेज में यूनियन की ओर से मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल जी का धन्यवाद करने के लिए आयोजन किया गया। हमारे प्रिंसीपल श्री ओ.पी. मोहन ने कहा, ‘बादल साहिब, आप भलेमानस राजनीतिज्ञ हो। ऐसा बेहद कम होता है। हमारी प्रार्थना है कि आप यह भलमानसियत कभी मत छोड़िएगा।’ समूचे पंजाब में आदरणीय स. प्रकाश सिंह बादल जी की भलेमानस की छवि सदैव बनी रहेगी।
1998 में जब हिमाचल प्रदेश में हमने हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई तो मैं बादल साहिब से उनके घर पर जाकर मिला। वह बेहद प्रसन्न थे। केन्द्र में स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार थी। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में भी एनडीए गठबंधन की सरकारें थीं। उन्होंने कहा, ‘बहुत अच्छा हुआ कि एक छोटा-सा राज्य जो हमारे अधीन नहीं था, वहां भी आपने एनडीए की सरकार बना दी।’ वह मुझे छोड़ने बाहर निकले। उन्होंने देखा कि मैं अम्बैसेडर कार में था। कहने लगे, ‘कोई अच्छी-सी कार, हमारी कारों में जो खड़ी है, ले जाओ। अम्बैसेडर कार में कहां इतना लम्बा सफर करोगे।’
नैना देवी का क्षेत्र जिसे चंगर कहा जाता है, वहां पानी की बड़ी किल्लत होती थी। गर्मियों में वहां के लोग अपने मवेशियों के साथ पंजाब में अपने रिश्तेदारों के पास चले जाते थे। 1983 में जब पंजाब में सरदार दरबारा सिंह मुख्यमंत्री थे और हिमाचल में श्री वीरभद्र सिंह जी थे, तब पानी के लिए एक समझौता हुआ था लेकिन वह कागज़ों तक ही सीमित रह गया। 1998 में मेरे ध्यान में यह बात लाई गई। मैंने मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल जी को इस समस्या से अवगत कराया। हमने मुख्य सचिवों की एक बैठक तय की। बादल साहिब ने अपने मुख्य सचिव श्री आर.एस. मान को यह निर्देश देकर भेजा कि जाओ, जैसे धूमल साहिब कहें, वैसे समझौता कर लेना। दोनों राज्यों में सहमति बनी और आनन्दपुर हाइड्रो चैनल से 25 क्यूसेक पानी श्री नैना देवी क्षेत्र के लिए उठाने का फैसला हुआ। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि वह योजना सफल हुई। स. बादल साहिब के कारण चंगर क्षेत्र के लोगों के लिए पीने के पानी की समस्या का निदान हुआ और उस क्षेत्र में आज सिंचाई भी की जा रही है। गर्मियों में किसी को घर नहीं छोड़ना पड़ता।
चम्बा ज़िले के साथ पंजाब का गुरदासपुर ज़िला लगता है। वहां डैम बनने से हिमाचल के कई गांव विस्थापित हुए। उनसे कहा गया था कि प्रत्येक विस्थापित परिवार के एक सदस्य को रोज़गार दिया जाएगा। कई वर्ष बीतने के बाद भी किसी को रोज़गार नहीं मिला। मैं चम्बा में मिंजर के मेले में गया हुआ था। तब वहां लोगों ने यह मांग उठाई। मैंने वहीं से आदरणीय बादल जी को फोन मिलाया और इस समस्या को उनके ध्यान में लाया। बादल साहिब की यह महानता है कि उन्होंने फोन पर ही मेरी बात मान ली और कहा कि आप घोषणा कर दो कि डेढ़ सौ से ज्यादा जो विस्थापित परिवार हैं, उनमें से प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को रोज़गार दे दिया जाएगा और उन्होंने वादा पूरा भी कर दिया। लोगों को रोज़गार मिल गया।  प्रधानमंत्री वाजपेयी जी के आशीर्वाद से हमें औद्योगिक पैकेज मिला था। इससे बहुत से उद्योग भी आए, परंतु अधिकतर उद्योगपति चंडीगढ़ और पंचकूला में रहते थे। उन्हें पिंजौर घूम कर बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ आना पड़ता था। एक दिन प्रात:काल बादल साहिब से मिलने गया था। नाश्ते पर बातचीत हुई और चंडीगढ़-बद्दी के बीच सड़क बनाने हेतु उनकी सहमति मिल गई। इसके परिणामस्वरूप बनने वाली सड़क से चंडीगढ़ और बद्दी के बीच की दूरी मात्र 22 किलोमीटर रह गई।
जब भी चुनाव होते, मुक्तसर में माघी का मेला लगता या कोई और कार्यक्रम होता, बादल साहिब हमेशा बुलाते थे। एक बार चुनाव में गुरदासपुर व अमृतसर ज़िलों में चुनाव प्रचार करने के बाद हम जालंधर पहुंचे। हम अलग-अलग जगहों पर ठहरे थे। अगले दिन सुबह लुधियाना में जनसभा थी। सवेरे बारिश शुरू हो गई। समय पर पहुंचने के लिए हम सभी दौड़े पर बादल साहिब समय के हम से भी पक्के पाबंद निकले। वह हमसे भी पहले पहुंच गए। मंच पर लगाए गए सोफे भीग गए थे। सुरक्षा बलों ने बादल साहिब के लिए सोफे की एक सिंगल सीट जो सूखी थी, का प्रबंध कर दिया था। जब हम वहां पहुंचे तो बादल साहिब खड़े हो गए। हमारे लाख कहने पर भी बादल साहिब बैठे नहीं, जब तक मेरे लिए भी वैसी ही सीट नहीं लगा दी गई। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी थे बादल साहिब। पंजाब और हिमाचल के बीच किसी भी मुद्दे पर हमारी प्रार्थना अथवा सुझाव बादल साहिब बड़े भाई के तौर पर स्वीकार कर लेते थे।
जब यूपीए सरकार के समय न्यूक्लियर डील का मामला आया तब आडवाणी जी के आवास पर एनडीए के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित हुई। आडवाणी जी की उपस्थिति में जॉर्ज फर्नांडिस की अध्यक्षता में यह बैठक हुई थी। सभी से इस बारे में राय लेनी थी कि अगर इस पर वोटिंग होगी तो उनके सांसदों का इस पर क्या रुख होगा। सबसे पहले बादल साहब से पूछा गया। बादल साहब ने स्पष्ट कहा कि जब तक मैं हूं, वाजपेयी जी और आडवाणी जी जो निर्णय लेंगे, हमारी पार्टी उनका साथ देगी। जहां वह कहेंगे, हम वहीं वोट देंगे। इस मुद्दे पर संसद में मतदान हुआ तो अकाली दल के दो सांसदों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन कर दिया। बादल साहिब ने अपना वायदा निभाया और दोनों सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
 विनम्रता, सादगी, सज्जनता, सहनशीलता जैसे गुणों के धनी, मानव मूल्यों की प्रतिमूर्ति स. प्रकाश सिंह बादल जहां गए, वहां एक महान इन्सान, महान नेता, हिंदू-सिख एकता के सबसे बड़े पैरोकार के तौर पर कार्य किया। उन्होंने केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया में प्रकाश फैलाया। उन्हें हमेशा एक भलेमानुष राजनेता के तौर पर याद किया जाएगा। उनके चरणों में मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।


-पूर्व मुख्यमंत्री , (हिमाचल प्रदेश)