प्रशासनिक सेवाओं की कोचिंग के लिए प्रशंसनीय है शिरोमणि कमेटी का ़फैसला

विगत सप्ताह इन कॉलमों में एक सिख, पंजाबी तथा अमरीकी भारतीय अजयपाल सिंह बंगा के विश्व की सबसे प्रतिष्ठत और महत्त्वपूर्ण आर्थिक संस्था विश्व बैंक का अध्यक्ष बनने पर खुशी का इज़हार करते हुये सिखों की देश तथा पंजाब के महत्त्वपूर्ण पदों पर कम होती संख्या तथा चिन्ता का प्रगटावा किया गया था। सिख बच्चों को उच्च शिक्षा तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में आगे बढ़ाने के लिए सिख संस्थाओं को कार्यक्रम बनाने का निवेदन भी किया गया था। हमारे लिए तथा सिख जगत के लिए खुशी की बात है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी ने पहल करके प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं की तैयारी के लिए 25 सिख बच्चों के पहले बैच को प्रत्येक सहायता देने का ़फैसला किया है। नि:सन्देह यह हमारे लेख का प्रभाव नहीं परन्तु यह अच्छा फैसला है, जिसके लिए शिरोमणि कमेटी बधाई की पात्र है। मौजूदा समय में 350 आवेदनों में 11 योग्य बच्चों का चयन किया गया है, 14 अन्य बच्चे भी चुने जाएंगे। चुनाव कमेटी के सदस्यों डा. केहर सिंह, प्रो. बृजपाल सिंह, काहन सिंह पन्नू, प्रो. अजायब सिंह, डा. मदनजीत कौर सहोता, डा. अमरजीत सिंह तथा सुखमिन्दर सिंह आदि ने प्रशासकीय सेवाओं की तैयारी के लिए अलग-अलग चरणों में जांच-पड़ताल करके इन 11 बच्चों का चयन किया है। चयन कमेटी के सदस्य काहन सिंह पन्नू का यह कहना अच्छा लगा कि उन्होंने चयन कमेटी के सदस्यों का कोई पदाधिकारी या अधिकारी किसी बच्चे की सिफारिश न करे। अच्छी बात है कि इस पर क्रियान्वयन भी किया गया।
नि:सन्देह इसके लिए शिरोमणि कमेटी के प्रधान हरजिन्दर सिंह धामी तथा महासचिव गुरचरन सिंह ग्रेवाल बधाई के पात्र  हैं, परन्तु यह सिर्फ शुरुआत है। जैसे ‘रुई की गठरी में से पूनी कातने की शुरुआत’ की गई हो। अच्छा हो यदि इसे आगे बढ़ाया जाए तथा सिर्फ 25 बच्चों तक ही सीमित न रखा जाए, अपितु पंजाब में इस काम के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में कम से कम 4 स्थायी केन्द्र खोले जाएं तथा देश में  हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र तथा अन्य सिख जनसंख्या वाले प्रदेशों के संयुक्त केन्द्र भी बनाए जाएं। जहां योग्य सिख बच्चों को सिर्फ प्रशासकीय परीक्षाओं की तैयारी न करवाई जाए, अपितु सेना में बड़े अधिकारी बनाने के लिए एन.डी.ए., मैडीकल की नीट, एल.एल.बी. के लिए अच्छे कालेजों में दाखिल हेतु कलैट, इंजीनियरिंग, आर्थिक शिक्षा तथा अन्य विशेष क्षेत्रों की उच्च स्तरीय शिक्षा में अच्छे कालेजों तथा विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए प्रतियोगी परीक्षा में सफल करवाने के लिए भी विद्यार्थियों के लिए कोचिंग का प्रबन्ध हो। इस उद्देश्य के लिए 10वीं पास या +2 पास बच्चों का चयन किया जाए।
परन्तु यह सब कुछ सिर्फ शिरोमणि कमेटी नहीं कर सकती। अन्य सिख संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए। दिल्ली गुरुद्वारा  कमेटी, च़ीफ खालसा दीवान जिसके प्रमुख इन्द्रबीर सिंह निज्झर इस समय पंजाब के मंत्री भी हैं, को भी अपना योगदान डालना चाहिए, परन्तु अन्य गुरुद्वारा कमेटियां, सिख सामाजिक संस्थाएं तथा धनाढ्य सिखों के साथ-साथ सिखों में लगभग समाप्त हो चुकी दसवंध निकालने की परम्परा को फिर से सक्रिय किया जाना चाहिए ताकि इस काम के लिए पैसों की कमी न आए। परन्तु यह सुनिश्चित बनाया जाए कि दसवंध की राशि के पैसे-पैसे का पारदर्शी हिसाब संगत के सामने हो तथा यह पैसा सिर्फ शिक्षा, उपचार आदि जैसे जन-हितैषी कार्यों पर ही खर्च किया जाए। नि:सन्देह शिरोमणि कमेटी की शुरुआत अच्छी है परन्तु इसे लगातार जारी रखा जाए तथा इसके लिए नियुक्त अध्यापक  हेतु परिणाम आधारित पुरस्कारों तथा वेतनों का प्रबन्ध भी अच्छी तरह किया जाए। कहीं शायर अब्बास ताबिश के शे’अर जैसी हालत न हो।
मसरूफ हैं कुछ इतने कि हम कार-ए-मुहब्बत,
आगाज़ तो कर लेते हैं, जारी नहीं रखते।
उच्च कोटि के सेवानिवृत्त सिख भी ध्यान दें
बहुत बड़ी संख्या में सिख सेवानिवृत्त वाइस चांसलर, बड़े कालेजों के डिपार्टमैंट (विभाग प्रमुख) प्रिंसीपल, सेवानिवृत्त सेना अधिकारी, न्यायाधीश, आई.ए.एस., आई.पी.एस. तथा अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ हमारे पास हैं। अच्छी बात होगी यदि प्रत्येक क्षेत्र के यह लोग जो आपस में आम तौर पर एक-दूसरे को जानते भी होते हैं, अपने-अपने क्षेत्रों में सिख बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए तथा उस क्षेत्र में ऊंचे पदों पर पहुंचाने के लिए मिल कर संस्थाएं बनाने तथा कोचिंग सैंटर खोलने के लिए आगे आएं। जहां सिख बच्चों का भविष्य तो उज्जवल होगा ही, पूरी कौम का भविष्य भी संवर जाएगा।
विदेशी सिख भी पहल करें
विदेशों में रहते सिखों के नेताओं को भी चाहिए कि वह जातियों के नामों पर अलग-अलग शहर में मुकाबले के गुरुद्वारा साहिब के निर्माण के स्थान पर विदेशों में जन्मे तथा पंजाब से पढ़ने के लिए गए सिख बच्चों को सिर्फ पी.आर. लेने तथा नागरिक बनने को ही उनकी मंज़िल न बनने दें, अपितु एजुकेशन सोसायटियां बनाकर स्थानीय गुरुद्वारा कमेटियों की मदद लेकर, योग्य सिख विद्यार्थियों को उन देशों के मुकाबले की परीक्षाओं की तैयारी हेतु तैयार करें ताकि वह वहां के नागरिक बनने के उपरांत, उन देशों के उच्च पदों पर बैठ कर श्री गुरु नानक देव जी के ‘सरबत के भले’ के कथन पर क्रियान्वयन कर सकें तथा विश्व भर में सरकारों के ़फैसलों को प्रभावित करने में सक्षम हो सकें।
बम धमाकों की साज़िश?
नि:सन्देह शिरोमणि कमेटी का टास्क फोर्स तथा सी.सी.टी.वी. का प्रबन्ध करने वाली टीम की मेहनत से श्री दरबार साहिब (अमृतसर) के गलियारे में लगातार 3 बम धमाके करने वाले आरोपी पकड़े गए हैं, परन्तु इनके पकड़े जाने के बाद इनकी पहचान सिखों के रूप में होना एक अलग तरह की चिन्ता भी पैदा करती है तथा इस सन्देह को और पक्का भी कर रही है कि इसके पीछे ज़रूर कोई गहन साज़िश है। अपराध करने वाले लोग स्वयं ही अपने अपराध की वीडियो भी बना रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि उन्होंने अपने काम का सबूत किसी अन्य को दिखा कर बदले में कुछ लेना है। यह धमाके एक स्पष्ट प्रभाव दे रहे हैं कि यह किसी की जान-माल को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं करवाए जा रहे, अपितु यह कोई माहौल बनाने के लिए किसी विशेष वृत्तांत का प्रभाव बनाने के लिए करवाए जा रहे हैं। अच्छी बात है कि पंजाब की सभी राजनीतिक पार्टियां इसकी गम्भीर जांच के लिए एक स्वर हैं।
परन्तु हम समझते हैं कि यह मामला इतना गम्भीर है कि इसकी जांच पुलिस की सिट बना कर ही नहीं होनी चाहिए, अपितु इसकी जांच सम्मानीय या सेवानिवृत्त या काम कर रहे वरिष्ठ न्यायाधीशों के किसी पैनल से करवाई जाए।
इसके साथ ही शिरोमणि कमेटी को चाहिए कि वह अपने तौर पर भी एक सेवानिवृत्त सिख न्यायाधीश, एक सेवानिवृत्त सिख उच्च पुलिस अधिकारी तथा किसी फोरैंसिक विशेषज्ञ पर आधारित समानंतर जांच आयोग बनाए ताकि सच्चाई सामने आ सके कि यह साज़िश जिस स्तर पर तथा किस उद्देश्य से रची गई है?
किस लिये बुझने लगे अवल-ए-शब सारे चिऱाग,
आंधियों ने भी अगरचे कोई साज़िश नहीं की। 

(अंबरीक अम्बर)
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