साधना जिनके हेयर स्टाइल का चलता था जादू

फिल्म ‘मेरे महबूब’ (1963) का एक आइकोनिक सीन यह है कि यूनिवर्सिटी में राजेंद्र कुमार और साधना आपस में टकरा जाते हैं और राजेंद्र कुमार पहली बार बुर्के में से साधना की आंखों को देखते हैं। इस सीन से अनगिनत लोग साधना की आंखों से प्रभावित हुए हैं, जिनमें एक्टर डैनी भी हैं, जिन्होंने इस नज़ारे को ‘अनफॉरगेटएबल’ यानी ‘कभी न भूलने वाला कहा था। दरअसल, साधना से संबंधित तीन अन्य बातें हैं जिन्हें भुलाने की कोशिश करने पर भी कभी भुलाया नहीं जा सकता। एक, उन्होंने फिल्मों में एक खास हेयरकट का ट्रेंड आरंभ किया जो ‘साधना कट’ के नाम से विख्यात हो गया और आज भी उसे ‘साधना कट’ ही कहा जाता है, हालांकि वह हॉलीवुड की एक्टेऊस ऑड्रे हेपबर्न से प्रेरित था। साधना का माथा काफी चौड़ा था, जो उन्हें अच्छा नहीं लगता था। इसलिए उन्होंने रोमांटिक फिल्म ‘लव इन शिमला’ (1960) में अपने सर के बाल माथे पर लाकर हेपबर्न की तरह डाल लिए जिससे उनका माथा छोटा दिखायी देने लगा और यही स्टाइल ‘साधना कट’ के नाम से मशहूर हो गया, जिसे उन्होंने अपनी आखिरी फिल्म तक जारी रखा। 
दूसरा यह कि फिल्म ‘मेरा साया’ में साधन पर एक सदाबहार गीत ‘झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में’ फिल्माया गया था। यह गाना इतना चर्चित हुआ कि लोग झुमके लेने के लिए बरेली जाने लगे, हालांकि बरेली अपने सुरमे व काजल के लिए विख्यात है। अब झुमका बरेली का ऐसा पर्याय बन गया है कि वहां कि नगर पालिका ने एक चौराहे का नाम ही झुमका चौक रख दिया है, जहां बड़ा सा झुमका बनाकर लगाया हुआ है। अंतिम यह कि जब भी कोई प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे से विदा हो रहा हो, उसे फिल्म ‘हम दोनों’ का यह युगल गीत ‘अभी न जाओ छोड़कर’ अवश्य याद आता है, जिसे ऱफी और आशा ने गाया है। 
साधना इस युगल गीत के लिए हमेशा याद की जायेंगी, हालांकि उन्होंने बड़े पर्दे पर एक से बढ़कर एक गीतों पर अदाकारी की है, जैसे फिल्म ‘वो कौन थी’ का यह क्लासिक गीत- ‘नैना बरसे रिमझिम रिमझिम’, ‘जो हमने दास्तां अपनी सुनायी आप क्यों रोये’ और ‘लग जा गले कि फिर’ या फिर ‘वक़्त’ का सदाबहार गीत ‘ये कौन आया, रोशन हो गई...।’ साधना बचपन से ही एक्ट्रेस बनना चाहती थीं, लेकिन उनके लिए स्टारडम के रास्ते उस समय खुले जब उनका परिवार देश विभाजन के दंगों में कराची से भागकर सायन, मुंबई के निकट बैरकों में आकर रहने लगा। 1955 में साधना को अपना पहला ब्रेक राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ में मिला, जिसमें वह ‘मुड़ मुड़ के न देख ... मुड़ मुड़ के’ गीत में कोरस गर्ल थीं। जब वह 15-वर्ष की थीं, तो वह जय हिंद कॉलेज के एक नाटक में काम कर रही थीं, उनके शानदार अभिनय को देखते हुए उन्हें भारत की पहली सिन्धी फिल्म ‘अबाना’ (1958) में शीला रमानी की छोटी बहन की भूमिका ऑफर हुई। इस भूमिका के लिए उन्हें एक रूपये का मेहनताना दिया गया था।
कहने का अर्थ यह है कि फिल्मी दुनिया में वह अपने पैर जमा नहीं पा रही थीं। फिर एक तस्वीर ने उनकी दुनिया बदल दी। एक फिल्म का प्रचार करते हुए उनकी यह तस्वीर फिल्म पत्रिका ‘स्क्रीन’ में प्रकाशित हुई थी। इस तस्वीर को जाने माने फिल्म निर्माता एस. मुखर्जी ने देखा और उन्हें अपनी फिल्म ‘लव इन शिमला’ में हीरोइन ले लिया। इस फिल्म के निर्देशक आर.के. नय्यर थे, जिनसे साधना की नज़दीकियां बढ़ गईं और दोनों ने छह साल बाद यानी 1966 में आपस में शादी कर ली। अपने माता-पिता की इकलौती संतान साधना के कोई औलाद नहीं हुई। शादी के 30 साल बाद नय्यर का निधन हो गया और साधना अकेली व मुसीबत में पड़ गईं। जिस मकान में वह रहती थीं, उस पर मुकदमा चल रहा था और साधना की तबियत भी खराब रहने लगी थी। इसके बावजूद उन्हें पुलिस व अदालत के चक्कर लगाने पड़ते थे। मुकदमा आशा भोंसले से चल रहा था, जिससे दोनों के बीच क़ाफी मनमुटाव हो गया था। 
बबिता साधना की फर्स्ट कजिन हैं, लेकिन दोनों आपस में मिलती नहीं थीं। इसी सबके चलते 25 दिसम्बर 2015 को साधना का निधन हो गया। साधना शिवदसानी, जो साधना व मिस्ट्री गर्ल के नाम से विख्यात हुईं का जन्म 2 सितम्बर 1941 को कराची, सिंध के एक सिंधी परिवार में हुआ था। साधना को जब बढ़ती उम्र के कारण हीरोइन की भूमिकाएं मिलना बंद हो गईं तो उन्होंने मां के किरदार निभाने की बजाय फिल्मों से रिटायरमेंट लेना बेहतर समझा। रिटायरमेंट के बाद वह रोज़ाना दो घंटे तक बागवानी करतीं, फिर कभी कभी मसाज लेतीं। लंच के बाद वह क्लब में जाकर ताश खेलतीं। 
शाम को वह टीवी देखतीं। हालांकि वहीदा रहमान, नंदा, हेलन, आशा पारीख आदि उनकी करीबी फिल्मी दोस्त थीं, लेकिन उनका ़गैर-फिल्मी दोस्तों का भी एक समूह था। रिटायरमेंट के बाद वह अपनी तस्वीरें खींचना पसंद नहीं करती थीं। एक फोटोग्राफर ने जिद की तो उन्होंने कमर की तरफ से अपनी तस्वीर लेने की अनुमति दी। वह चाहती थीं कि उनके प्रशंसक उन्हें वैसे ही याद रखें जैसी वह पर्दे पर दिखायी देती थीं। लेकिन 2014 में, जब वह 73-वर्ष की थीं, तो उन्होंने एक यादगार पब्लिक अपीयरेंस दिया था। रणबीर कपूर के साथ उन्होंने एक फैशन शो में पिंक साड़ी में रैंप वाक किया था, कैंसर व एड्स रोगियों के लिए चंदा एकत्र करने हेतु।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर