एक ख़्वाब जो साकार हुआ...! कृति सेनन

मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये’। फिल्म ‘उमराव जान’ की इस पंक्ति को कृति सेनन ने सच कर दिखाया है। उन्होंने 2020 में अपनी डायरी में सपने के तौर पर लिखा था कि वह राष्ट्रीय पुरस्कार जीत रही हैं। उनका यह सपना अब सच हो गया है। उन्हें 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में फिल्म ‘मिमी’ (2021) में उनकी शानदार अदाकारी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ज़ाहिर है कि सपने केवल देखने से साकार नहीं होते हैं, उनके लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। कृति सेनन ने यही किया, राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने की ठानी, उसके लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन फिर भी उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि मात्र 3 वर्ष में ही उनका सपना साकार हो जायेगा। फिर भी इस उपलब्धि के लिए ईश्वर को शुक्रिया कहना तो बनता ही है, इसलिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के अगले दिन वह अपने पिता राहुल सेनन, मां गीता सेनन और एक्टर-सिंगर बहन नूपुर सेनन के साथ मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर गईं।
राष्ट्रीय पुरस्कारों की जिस समय घोषणा हुई तो कृति सेनन एक मीटिंग में थीं। उन्होंने जैसे ही अपना नाम सुना तो कुछ पलों के लिए स्तब्ध रह गईं जैसे सांप सूंघ गया हो, फिर दौड़कर अपने पिता से लिपट गईं, मां व बहन को कॉल किया, जो खुशी से नाचने लगीं। वह एक ऐसा भावनात्मक पल था जिसे कृति सेनन कभी नहीं भूल सकेंगी। 33 वर्षीय कृति ने ‘मिमी’ में मध्य वर्ग की एक ऐसी लड़की की भूमिका निभायी है जो फिल्म अभिनेत्री बनना चाहती है, लेकिन मुंबई में संघर्ष करने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं। वह संतानहीन विदेशी जोड़े को अपनी कोख किराये पर दे देती है ताकि पैसे का इंतज़ाम हो सके। उसकी कोख में विदेशी भ्रुण पलने लगता है, लेकिन भ्रुण में आशंकित अपंगता की रिपोर्ट मिलने पर विदेशी जोड़ा मैदान छोड़कर भाग जाता है। कृति के पास गर्भपात कराने का विकल्प था, लेकिन वह जीव हत्या नहीं करना चाहती और बच्चे को जन्म देकर उसकी परवरिश के लिए अपना जीवन समर्पित कर देती है।
अपनी इस सफलता के बारे में कृति सेनन बताती हैं, ‘मैं जब भी नेशनल अवार्ड कहती हूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हर प्रकार का सम्मान मेरे लिए बहुत मायने रखता है। एक गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से होने के कारण मेरे लिए तो फिल्मोद्योग का हिस्सा होना ही बहुत बड़ी बात थी। ‘मिमी’ जैसा अवसर तो किसी भी एक्टर के लिए दुर्लभ होता है। नेशनल अवार्ड का सपना हर एक्टर देखता है, लेकिन बहुत कम को ही यह मिल पाता है। मुझे अपने डेब्यू करने के दस साल के भीतर ही इसका मिलना बहुत बड़ी बात है...मुझे इतनी जल्दी की उम्मीद नहीं थी।’
इतना सम्मानित पुरस्कार मिलने से चीज़ें अवश्य बदल जाती हैं। यह पुरस्कार कृति सेनन के जीवन व फिल्मों के चयन को कितना प्रभावित करेगा? इस बारे में वह फिलहाल नहीं सोच रही हैं। उनका फोकस अधिक अच्छा काम करने पर है। वह बहुत महत्वकांक्षी हैं और बेहतर से बेहतर करना चाहती हैं। उनका मानना है कि उन्होंने अभी तक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं किया है, लेकिन उसके लिए प्रयासरत हैं। वह अपने काम में निरंतर सुधार लाना चाहती हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार ने उन्हें अधिक आत्मविश्वासी बना दिया है। अगर पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट हों और मां भौतिकशास्त्र की प्रोफेसर तो घर में तालीम का माहौल होना स्वाभाविक है। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कृति सेनन ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। परिवार को उम्मीद थी कि कृति सेनन किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में उच्च पद पर अच्छी नौकरी करेंगी, लेकिन मॉडलिंग में सफलतापूर्वक हाथ आज़मा चुकीं कृति के सपने तो कुछ और ही थे, जिन्हें साकार करने के लिए उन्होंने दिल्ली छोड़कर स्वप्न नगरी मुंबई में बसना तय किया। परिवार ने बहुत मना किया कि वह यह अनिश्चित कदम न उठाएं, लेकिन उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी और मुंबई के लिए रेल पर सवार हो गईं। यह दस साल पहले की बात है।
आज जब 33-वर्षीय कृति पीछे मुड़कर देखती हैं, तो अपने खट्टे-मीठे व उतार-चढ़ाव वाले सफर पर उन्हें विश्वास नहीं होता है कि उन्होंने इतना कुछ हासिल कर लिया है- बॉलीवुड में घर, एक एक्टर के तौर पर उनका विकास और उनके व्यक्तित्व में ज़बरदस्त निखार। कृति ने एक तमिल फिल्म करने के बाद बॉलीवुड में ‘हीरोपंती’ (2014) से अपने हिंदी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर का ‘बेस्ट डेब्यू’ अवार्ड भी मिला था। तब से उन्होंने अपनी फिल्मों के चयन में खासी विविधता दिखायी है। ‘दिलवाले’ (2015) जहां एक्शन थ्रिलर थी तो ‘बरेली की बर्फी’ (2017) मध्यवर्गीय जीवन का एक अंश, और इसी तरह जहां ‘लुका चुप्पी’ (2019) जहां लिव-इन रिलेशनशिप पर कॉमेडी तो ‘पानीपत’ (2019) ऐतिहासिक नाटक और ‘मिमी’ (2021) में सरोगेट मदर। शायद इस विविधता के कारण ही कृति अपने एक दशक के सफर को ‘लर्निंग एक्सपीरियंस’ (सीखने का अनुभव) और ‘आत्मखोज की यात्रा’ कहती हैं। खुद की तलाश की इस यात्रा के बारे में कृति बताती हैं, ‘एक एक्टर के रूप में मैंने अपनी प्रक्रिया की तलाश की और यह अति संतोषजनक यात्रा रही है। मैं किस्मत की धनी हूं और शुक्रगुज़ार भी कि मुझे इतने अलग-अलग प्रकार के अवसर मिले जिनके कारण एक एक्टर के रूप में मेरा विकास हुआ है। अपनी पहली फिल्म के दौरान तो मुझे कैमरा का एंगल भी नहीं मालूम था और न यह कि फिल्म निर्माण वास्तव में होता कैसे है ...मैं हमेशा ही विचारशील रही हूं और मुझमें सीखने के लिए हमेशा जोश रहता है। अपनी इस आदत से मुझे बहुत लाभ हुआ है।’

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर