भविष्य को बचाने की नई उम्मीद जैव ईंधन

भविष्य को बचाने की नई उम्मीद जैव ईंधन

पूरी दुनिया पिछले कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव झेल रही है और जलवायु परिवर्तन के कारण सामने आ रही प्राकृतिक आपदाओं की संख्या एवं तीव्रता निरन्तर बड़ रही है। जलवायु परिवर्तन के ही कारण हमारा पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ गया है, जिसका असर अब जीवन के लगभग हर क्षेत्र में स्पष्ट देखने को मिल रहा है। जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारण मनुष्यों द्वारा पारम्परिक जीवाश्म ईंधन का बड़े स्तर पर दोहन किया जाना भी है, जिसका पर्यावरण पर बेहद खतरनाक प्रभाव देखा जा रहा है। यही कारण है कि पारम्परिक जीवाश्म ईंधन के बजाय अपरम्परागत जीवाश्म ईंधन को इस्तेमाल करने की ज़रूरत महसूस की जा रही है। ईंधन के अपरम्परागत स्रोतों में ऐसे जीवाश्म स्रोत शामिल हैं, जो पारम्परिक जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में कार्य कर सकते हैं। जैव ईंधन को हमारा भविष्य बचाने के लिए एक उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर 9 सितम्बर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस’ (वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन) की शुरुआत भी की जा चुकी है। इस गठबंधन में अमरीका, ब्राजील और भारत जैसे प्रमुख जैव ईंधन उत्पादक और उपभोक्ता देश शामिल हैं जबकि 19 देश और 12 अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी इस गठबंधन में शामिल होने अथवा समर्थन करने के लिए सहमत हो चुके हैं। इस गठबंधन के तहत विभिन्न देश सह-विकास के लिए एक साथ आएंगे और साथ ही परिवहन क्षेत्र में जैव ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करते हुए अन्य उत्पादन प्रक्रियाओं में भी तकनीकी प्रगति में तेज़ी लाई जाएगी। जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भारत की पहल पर बनाए गए इस गठबंधन के प्रमख उद्देश्यों में प्रौद्योगिकी प्रगति को सुविधाजनक बनाना, टिकाऊ जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देना, हितधारकों के व्यापक स्पेक्ट्रम की भागीदारी के जरिये मज़बूत मानक सेटिंग, बायोफ्यूल मार्किट को मजबूत करना, वैश्विक बायोफ्यूल कारोबार को सुविधाजनक बनाना, तकनीकी सहायता प्रदान करना इत्यादि शामिल हैं।
पहले यह जान लें कि आखिर जैव ईंधन है क्या? जैव ईंधन पर्यावरण के अनुकूल ऐसा ईंधन है, जिसके उपयोग से कार्बन उत्सर्जन को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। जैव ईंधन को ऊर्जा के किसी भी स्रोत, जो जैविक सामग्री हो, जैसे कृषि अपशिष्ट, फसल, पेड़ अथवा घास से निकाला जाता है। पारम्परिक जीवाश्म ईंधन की तुलना में जैव ईंधन में सल्फर नहीं होता और कार्बन मोनोऑक्साइड तथा विषाक्त उत्सर्जन भी कम होता है। कार्बन के किसी भी स्रोत से जैव ईंधन का उत्पादन किया जा सकता है। चूंकि जैव ईंधन को बायोमास संसाधनों की मदद से बनाया जाता है, इसीलिए इसे पुन: बनाया जा सकता है। एक ओर जहां जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन उत्सर्जन होता है और यह हमारे वातावरण तथा पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है, वहीं जैव ईंधन न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करता है बल्कि कच्चे तेल पर हमारी निर्भरता को कम करने की कुंजी भी है। पारम्परिक ईंधन का वैकल्पिक संस्करण जैव ईंधन पर्यावरण को बेहतर बनाता है। जैव ईंधन ऊर्जा का नवीकरणीय और जैव निम्नीकरणीय स्रोत होता है, जो नवीकरणीय संसाधनों से बनता है और जीवाश्म डीज़ल की तुलना में अपेक्षाकृत कम ज्वलनशील है। यह कृषि अपशिष्ट अथवा पेड़-पौधों और फसलों, वनस्पति, पशु अपशिष्ट, शैवाल, औद्योगिक अपशिष्ट इत्यादि किसी भी प्रकार की जैविक सामग्री से उत्पन्न हो सकता है, जिसमें काफी बेहतर चिकनाई वाले गुण होते हैं। एक ओर जहां कोयले अथवा तेल के जलने से वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है और ये ईंधन ग्लोबल वार्मिंग का बहुत बड़ा कारण बनते हैं, वहीं जैव ईंधन मानक डीज़ल की तुलना में कम हानिकारक कार्बन उत्सर्जन का कारण बनता है और ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव को कम करता है। भारत उन्नत जैव ईंधन क्षेत्र के उत्पादन के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहा है।
ब्राजील के 35वें राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा का मानना है कि जैव ईंधन के बढ़ते उपयोग का दुनिया के कई गरीब देशों में आय सृजन, सामाजिक समावेशन और गरीबी कम करने में एक अमूल्य योगदान होगा। इसी प्रकार भारतीय मूल के जाने-माने अमरीकी राजनीतिज्ञ बॉबी जिंदल का कहना है कि हमें नवीकरणीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए वैकल्पिक ईंधन के विकास को बढ़ाना चाहिए, जैसे इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए मकई और चीनी का उपयोग करना या बायोडीजल का उत्पादन करने के लिए सोयाबीन का उपयोग करना। पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मुताबिक हम ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए अपना रास्ता नहीं बना सकते लेकिन सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और उन्नत जैव ईंधन जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों में तेजी से निवेश करना चाहिए। अधिकांश पर्यावरणविदों का यही मानना है कि जहां जीवाश्म ईंधन बहुत कीमती हैं, वहीं जैव ईंधन सबसे बुद्धिमान ऊर्जा विकल्प है और जो चीज लागत प्रभावी, कुशल, टिकाऊ एवं नवीकरणीय हो, वह सदैव बेहतर होती है।
भारत में विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन के उपयोग की ओर कदम बड़ाए जा चुके हैं, जिनमें बायोइथेनॉल, बायोडीजल, ड्रॉप-इन ईंधन, बायो-सीएनजी, उन्नत जैव ईंधन इत्यादि प्रमुख हैं। जैव ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित करने वाली कई योजनाएं शुरू की जा चुकी हैं। केन्द्र सरकार द्वारा जून 2018 में जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति को स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसका लक्ष्य 2030 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण और 5 प्रतिशत बायोडीजल मिश्रण के लक्ष्य तक पहुंचना है। यह योजना उन्नत जैव ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है। जहां तक विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन की बात है तो बायोइथेनॉल के लिए इथेनॉल का उत्पादन गन्ना, चुकंदर, मक्का, कसावा जैसी स्टार्च युक्त सामग्री और लकड़ी से बने कचरे, वानिकी अवशेषों और औद्योगिक कचरे से किया जाता है। बायोडीजल के आधार तत्व खाने योग्य वनस्पति तेल, एसिड तेल, पशु वसा इत्यादि होते हैं। बायोमास, कृषि अवशेष, औद्योगिक अपशिष्ट आदि से उत्पादित तरल ईंधन को ड्रॉप-इन ईंधन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। उन्नत जैव ईंधन फीडस्टॉक, गैर-खाद्य फसलों तथा औद्योगिक कचरे से उत्पन्न होते हैं। ऐसे ईंधनों में कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन कम होता है। तीसरी पीढ़ी के (3जी) जैव ईंधन, जैव हाइड्रोजन और जैव-मेथनॉल से प्राप्त ईंधन को उन्नत जैव ईंधन कहा जा सकता है। बायो-सीएनजी बायो-गैस का एक शुद्ध रूप है, जिसकी संरचना जीवाश्म ईंधन के समान है और इसे बनाने में जानवरों के गोबर, खाद्य अपशिष्ट तथा सीवेज के पानी का इस्तेमाल होता है।
बहरहाल, जैव ईंधन का उपयोग बड़ाए जाने के कई प्रमुख लाभ हो सकते हैं, जैसे इससे कच्चे तेल पर निर्भरता कम होने से जहां पर्यावरण में अपेक्षित सुधार होने की प्रबल संभावनाएं हैं, वहीं इससे खासकर ग्रामीण इलाकों में रोज़गार के अवसर उत्पन्न होंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऊर्जा पहुंचाई जा सकेगी, साथ ही परिवहन ईंधन की बढ़ती मांग को भी आसानी से पूरा किया जा सकेगा। इस समय वाहनों के लिए उपयोग होने वाले पारम्परिक ईंधन और प्राकृतिक गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं और आने वाले समय में इनके दामों में और बढ़ोतरी होगी। ऐसे में बढ़ती महंगाई के दौर में लोगों के समक्ष अपने बजट को बिगड़ने से रोकने का एक ही उपाय नज़र आता है कि वे बिजली चालित वाहनों का उपयोग करें लेकिन इन वाहनों की कीमतें अभी इतनी ज्यादा है कि हर व्यक्ति के लिए यह विकल्प भी इतनी आसान नहीं दिखता। चूंकि जैव ईंधन नवीकरणीय बायोमास संसाधनों के माध्यम से बनाए जाते हैं, इसलिए इनके उपयोग को बढ़ावा देने से पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है। माना जा रहा है कि जैव ईंधन पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचा, बगैर इस सदी की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में बड़ी मदद करेगा।    -मो-9416740584