गगनयान मिशन - नए अंतरिक्ष युग से उठा पर्दा

देश की पहली अंतरिक्ष मानव उड़ान के लिए चयनित एयरफोर्स के चार पायलटों के नामों का प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खुलासा करते ही देश के नये अंतरिक्ष युग से पर्दा उठ गया। 27 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के तिरुवनंतपुरम स्थित केंद्र पर आयोजित एक कार्यक्रम में इन चार अंतरिक्ष यात्रियों को देश से मिलवाया। देश की इस पहली मानव उड़ान के लिए के तैयार हो रहे अन्तरिक्ष यात्री हैं-ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला। अपनी पहली उड़ान पर जाने के लिए प्रतीक्षारत इन अंतरिक्ष  यात्रियों से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘ये चार नाम या चार इंसान नहीं हैं, ये 140 करोड़ आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाने वाली शक्तियां हैं। 40 साल के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है। इस बार टाइम भी हमारा है, काउंटडाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है।’ प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर यह भी कहा- ‘मैं चाहता हूं कि हर देशवासी इन अंतरिक्ष यात्रियों का खड़े होकर अभिनंदन करे। हर राष्ट्र की विकास यात्रा में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जो वर्तमान के साथ ही आने वाली पीढ़ियों को भी परिभाषित करते हैं। आज भारत के लिए यह ऐसा ही क्षण है, हमारी आज की पीढ़ी बहुत सौभाग्यशाली है, जिसे जल, थल, नभ और अंतरिक्ष में ऐतिहासिक कार्यों का यश मिल रहा है।’
प्रधानमंत्री मोदी और इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने इन अंतरिक्ष यात्रियों की वर्दियों पर पर सुनहरे पंखों की डिजाइन वाला बैज ‘विंग’ लगाते हुए इन्हें ‘भारत का सम्मान’ बताया। गौरतलब है कि इसरो के बेहद महत्वाकांक्षी ‘मैन मिशन’ के तहत इन चार में से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा, भेजे जाने के तीन दिन बाद इन्हें वापस आना होगा। इसरो इस मिशन के लिए पिछले दो सालों से लगातार परीक्षण कर रहा है और अब तक उसे कई महत्वपूर्ण कामयाबियां भी मिली हैं- मसलन पिछले साल अक्तूबर में हुए एक अहम परीक्षण में यह बात स्पष्ट हुई कि रॉकेट में गड़बड़ी होने पर भी चालक दल सुरक्षित बाहर निकल सकता है। निश्चित रूप से यह एक बहुत बड़ी राहत की बात ही नहीं है बल्कि अन्तरिक्ष यात्रियों के हौसलों को नए पंख देने की भी बात है। इसरो इस साल अपने कई परीक्षणों को अंजाम देने के बाद एक टेस्ट फ्लाइट के तहत रोबोट को अंतरिक्ष में भेजेगा, उसके बाद अगले साल यानी 2025 में इन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा।
मालूम हो कि इन अन्तरिक्ष यात्रियों को बेहद मुश्किल शारीरिक और मानसिक परीक्षणों के बाद चुना गया है। इन्हें एयर फोर्स पायलटों के एक बड़े समूह से छांटकर लिया गया है। इनकी रूस में 13 महीने तक कठिन ट्रेनिंग हो चुकी है और अब ये भारत में भी उसी ट्रेनिंग को जारी रखे हुए हैं। इसरो ने अपने इस महत्वाकांक्षी मिशन को लेकर एक वीडियो भी साझा किया है जिसके जरिये हम जान सकते हैं कि वास्तव में भारत की पहली मानव उड़ान को सफल बनाने के लिए ये अंतरिक्ष यात्री जो कि एयरफोर्स के टॉप टेस्ट पायलट हैं, कितनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस वीडियो में इन्हें जिम में पसीना बहाते से लेकर स्विमिंग और योगा जैसे व्यायाम करते देखा जा सकता है। साथ ही यह भी नोट किया जा सकता है कि सिर्फ इन अन्तरिक्ष यात्रियों में ही नहीं इनके मिशन के साथ जुड़े हर भारतीय के चेहरे में एक विशेष रोमांच और गर्व मौजूद है। वास्तव में महान राष्ट्रों की निशानी यही है कि उन्हें कामयाबी रोमांचित भी करती है और यह उनका कायाकल्प भी करती है। ठीक वैसे ही जैसे महान देश आपदा में एकजुटता दिखाते हुए उससे पार पाते हैं। इसरो का यह मिशन ऐसा है कि इससे सिर्फ भारत के अन्तरिक्ष क्षेत्र को ही छलांग लगाने का मौका नहीं मिलेगा, बल्कि यह कामयाब मिशन हर भारतीय को उसके मनोवैज्ञानिक धरातल में भी चार्ज करेगा। इसरो का यह मिशन भारतीयों में ‘भारतीय गौरवबोध का संचार करेगा।’
प्रधानमंत्री मोदी इस मिशन से रूबरू होते हुए कहा, ‘मुझे ये जानकर बेहद खुशी हुई कि गगनयान में इस्तेमाल हुए अधिकतम इक्विपमेंट्स भारत में बने हैं। ये गजब इत्तफाक है कि जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए टेकऑफ कर रहा है, ठीक तभी भारत का गगनयान भी हमारे स्पेस सेक्टर को नई ऊंचाई तक ले जाने वाला है।’ लेकिन इन दो भिन्न-भिन्न कामयाबियों का एक साथ जुड़े होना महज संयोग नहीं है, वास्तव में किसी राष्ट्र के महान सफर में कामयाबियों के ऐसे ही सिलसिले चला करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर जब कहते हैं, ‘महिला वैज्ञानिकों के बिना ऐसे किसी मिशन की कल्पना नहीं की जा सकती’ तब वह भविष्य की उन सुनहरी कामयाबियों की रूपरेखा तय कर रहे होते हैं, इस मिशन से जो कामयाबी महिला सशक्तिकरण को मिलने वाली है। भारत के इसी सामर्थ्य से आज दुनिया रह रहकर चौंक रही है। यह धुप्पल में मिली सफलता नहीं है। भारत ने पिछले 10 सालों में लगभग 400 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं, जबकि इससे पहले के 10 वर्षों में मात्र 33 सैटेलाइट लॉन्च किए थे। इतनी हैरान करने वाली अन्तरिक्ष क्षेत्र में सफलता इतिहास में किसी भी दूसरे देश को नहीं मिली। नि:संदेह भारत के इस स्पेस मिशन में महिलाओं का भी जबर्दस्त योगदान है। असाधारण चंद्रयान हो या गगनयान, भारत की महिला वैज्ञानिकों के बिना ऐसे किसी भी मिशन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
प्रधानमंत्री के तिरुवनंतपुरम दौरे के बाद भारत के मानव अन्तरिक्ष अभियान की तस्वीर पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट हो गयी है। इस मौके पर इसरो के वैज्ञानिकों ने व्योम-मित्र नामक उस रोबोट से भी देश का परिचय कराया जिसे इस साल अंतरिक्ष में भेजा जाना है। चूंकि गगनयान मिशन अंतरिक्ष में भारत की पहली मानव उड़ान है, इसलिए इसरो बहुत सजगता से पूरी तैयारी कर रहा है। अगर भारत अपनी इस परियोजना में सफल होता है तो वह अंतरिक्ष में इंसान पहुंचाने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले सोवियत संघ, अमरीका और चीन ने अंतरिक्ष में इंसान पहुंचाने में सफलता हासिल की है। पिछले साल अगस्त में देश ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तब झंडे गाड़े थे, जब हम अपने रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नज़दीक उतारने वाले दुनिया के पहले देश बने थे। इसके कुछ ही हफ्तों बाद दुनिया तब हैरान रह गयी जब इसरो ने सूर्य की ओर भारत का पहला ऑब्जर्वेशन मिशन आदित्य-एल1 भेजा। ये इस समय कक्षा में मौजूद रहते हुए सूर्य पर नज़र रख रहा है और दुनिया को सूर्य से संबंधित वो जानकारियां दे रहा है जो अब के पहले कभी नहीं मिली थीं।लेकिन भारतीय अभियानों का सिलसिला यहीं नहीं थमने वाला अगले कुछ दशकों में ही हमारा अन्तरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन भी होगा। साथ ही 2040 तक चंद्रमा की सतह पर कोई भारतीय चहलकदमी भी करेगा।
 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर