भगवान राम समय से परे क्यों हैं ?

हमारे इतिहास में ऐसी कई घटनाएं घटित हुई हैं जिन्होंने मानव सभ्यता पर अमिट छाप छोड़ी है। इनमें से एक भगवान श्री राम के जीवन की कहानी है। भगवान श्री राम की कहानी समय की परीक्षा पर पूरी तरह खरा उतरती है और सदियों से लोगों के विश्वास को रूपायित करती आ रही है।
कुछ समय पहले तक ये बातें भी होने लग पड़ी थीं कि राम तो किसी एक की कोरी कल्पना है। हालांकि ऐतिहासिक खोजों ने इस असमंजस को दूर कर दिया है और भगावन श्री  राम के अस्तित्व की पुष्टि की गई है। बहुत-से इतिहासकारों ने रामायण की घटनाओं की प्रमाणिकता का समर्थन किया है, जिसमें 7,000 वर्ष पहले धरती पर श्री राम की मौजूदगी को दर्शाती तारीखें भी शामिल हैं। श्री राम की अयोध्या से श्रीलंका तक की यात्रा, रास्ते में लोगों को एकजुट करना, इस ऐतिहासिक वृत्तांत का एक महत्वपूर्ण भाग है।  रामायण का प्रभाव सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है, यह पूरे विश्व में फैला हुआ है। रामायण बाली, इण्डोनेशिया तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया के अन्य भागों में प्रचलित है। सुदूर-पूर्व, विशेषकर जापान में भी रामायण की प्रचीन कथा का प्रभाव देखा जा सकता है। राम के नाम की गूंज विश्व स्तर पर फैल गई है। जर्मनी में ‘रामबख’ जैसे स्थान इसका जीवन्त उदाहरण हैं।  
‘राम’ का अर्थ है ‘आत्मा का प्रकाश’। जो हमारे हृदय में प्रकाशमान है, वह राम है। राम हमारे दिलों में चमक रहा है। श्री राम का जन्म माता कौशल्या तथा पिता राजा दशरथ के घर हुआ था। संस्कृत में ‘दशरथ’ का अर्थ है ‘दस रथों वाला’। यहां दस रथ हमारी पांच ज्ञान इन्द्रियों तथा पांच क्रिया इन्द्रियों का प्रतीक है। ‘कौशल्या’ का अर्थ है ‘कुशल’। राम केवल वहीं पैदा हो सकता है, जहां ज्ञान की पांच इन्द्रियों तथा क्रिया की पांच इन्द्रियों के संतुलन कार्य में कुशलता हो। श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, जिसका अर्थ है ‘वह जगह जहां कोई युद्ध नहीं हो सकता’। जब मन सभी भीरती द्वन्द्वों से मुक्त होता है, तभी हमारे भीतर ज्ञान का प्रकाश पैदा होता है। राम हमारी ‘आत्मा’ हैं, लक्ष्मण ‘चेतना’ हैं, सीता जी ‘मन’ हैं, और रावण ‘अहं’ तथा ‘नकारात्मकता’ का प्रतीक है। जिस प्रकार पानी का स्वभाव बहना है, उसी प्रकार मन का स्वभाव डोलना है। मन के रूप में सीता जी सुनहरी हिरण पर मोहित हो गईं। हमारा मन वस्तुओं की ओर मोहित हो जाता है और उन की ओर आकर्षित हो जाता है। अहं के रूप में रावण ने मन के रूप में सीता जी का हरण कर लिया और उन्हें साथ ले गया। इस प्रकार सीता जी मन के रूप में आत्मा के रूप में श्री राम से दूर हो गई। फिर ‘पवनपुत्र’ हनुमान जी ने सीता जी को वापिस लाने में श्री राम जी की मदद की। इसलिए सांस एवं जागरूकता की मदद से मन को आत्मा अर्थात राम से मिला दिया जाता है। इस प्रकार पूरी रामायण हमारे भीतर प्रतिदिन घटित होती रहती है।
भगवान राम ने एक अच्छे पुत्र, शिष्य तथा राजा के गुणों का एक आदर्श उदाहरण पेश किया, जिस कारण उन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ भी कहा जाता है। एक सम्मानीय राजा के रूप में भगवान श्री राम में ऐसे गुण थे जो उनके राज्य को विशेष बनाते थे। भगवान श्री राम ने हमेशा अपने लोगों की भलाई के दृष्टिगत फैसले लिए। महात्मा गांधी ने भी राम राज्य जैसे आदर्श समाज की कल्पना की थी, जहां प्रत्येक व्यक्ति की ज़रूरतें पूरी होने, तथा सभी के लिए न्याय होना चाहिए, भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए और अपराध को सहन नहीं किया जाना चाहिए। ‘राम राज्य’ अपराध मुक्त समाज को दर्शाता है।