कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोट से नौकरियों को खतरा !

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और रोबोट के (भारतीय संदर्भ में जहां जनसंख्या 141 करोड़ हो चुकी है और बड़ी संख्या में युवा बेरोज़गार है) ज्यादा इस्तेमाल से लोगों की नौकरियां जाने का बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। यह बात दुनिया के बड़े अरबपति कारोबारी टेस्ला और एक्स के कारोबारी एलन मस्क ने स्टार्टअप के एक कार्यक्त्रम में फ्रांस में महत्वपूर्ण अंदाज में कही। भविष्य के लिए यह बात एकदम सटीक एवं सार्थक है। एक अन्य अरबपति कारोबारी इयान बैंक्स ने भी इस पर गम्भीर चिंता जताई है। यह बात सभी विकासशील देशों पर भी लागू हो सकती है। अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता नफ्ज़ पढ़ कर आपके मस्तिष्क की बात तुरंत पकड़ कर उस पर क्रियान्वयन करने लगेगा। अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता पल्स रेट द्वारा आपके मन की हर बात जानने में सक्षम हो सकती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तकनीक को वैज्ञानिकों ने मानव की सहायता के लिए और देश की बेहतरी के लिए अविष्कार किया है।
अभी तक तो अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन व इज़रायल  कृत्रिम बुद्धिमत्ता के मामले में काफी आगे हैं, परन्तु अब खाड़ी के देशों ने विगत 5 साल में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति के लिए केवल तेल के कुएं पर न निर्भर रह कर अन्य योजनाओं पर भी काम करना शुरू कर दिया है और आश्चर्यजनक रूप से यूएई, सऊदीअरबिया,  कतर, मिस, जॉर्डन, मोरक्को और अन्य देशों में यूरोप की तुलना में अब और ज्यादा खर्च करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तकनीक को अपने देश में बहुत मजबूत बना लिया है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता जितने फायदे हैं, उससे ज्यादा विकासशील देशों के लिए यह नुकसान देह भी हो सकती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता आपकी पल्स रीडिंग और मानसिक विचारधारा को केवल अंगूठे के इंप्रेशन में ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता का यंत्र पढ़ कर उस पर क्रियान्वयन कर सकता है। इस तकनीक से अमरीका तथा यूरोपीय देश अब तक दुश्मन की अनेक सूचनाएं बड़ी आसानी से प्राप्त कर उसका सामरिक उपयोग करने में लगे हुए हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग रूस अपनी टैक्नोलॉजी का उपयोग कर मिसाइल दागने में यूक्रेन के विरुद्ध कर रहा है और अब तक यूक्रेन यूरोपीय तथा नाटो देशों की मदद से इसी तकनीक के सहारे रूस के विरुद्ध अब तक टिका हुआ है। वैसे तो यूक्रेन और रूस का युद्ध में काफी नुकसान हुआ है परन्तु कृत्रिम बुद्धिमत्ता का भरपूर उपयोग दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ कर रहे हैं।
विकासशील देशों में इस तकनीक का विकास अभी काफी एडवांस नहीं है। इन परिस्थितियों में उनके लिए उनके सामरिक महत्व की चीजें छुपाना दुश्मन देशों के सामने कठिन हो जाएगा और उनकी खुफिया जानकारी शक्तिशाली देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम केवल एक सूत्र प्राप्त करने के बाद ही पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
खाड़ी के देश जिनमें सऊदी अरबिया, कतर, मिस्र, जॉर्डन व यूएई अपने बजट का 34 प्रतिशत बढ़ा हुआ हिस्सा कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक पर लगातार खर्च कर रहे हैं। खाड़ी के देश इस टैक्नोलॉजी का उपयोग इस वजह से कर रहे हैं क्योंकि यह उनकी भविष्य की योजनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे वे तेल की कमाई से हटकर अन्य साधनों से अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकें। यूएई पहला देश है जिसने 2017 ने इस तकनीक को अपनाया था इसके बाद खाड़ी के देशों में अब इस तकनीक को अपनाने की होड़ लग गई है। यह सभी देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक पर लगभग 3 अरब डॉलर खर्च कर चुके हैं। दूसरी तरफ  यदि इसका इस्तेमाल अति विशेषज्ञों द्वारा नहीं किया गया तो इसका दुरुपयोग जिन देशों के पास इस तकनीक से एडवांस टैक्नोलॉजी है, वह पूरी जानकारी निकालने में सक्षम होंगे।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग यूरोपीय देश न सिर्फ  सामरिक महत्व की चीज़ों में कर रहे हैं, बल्कि मेडिकल साइंस और अंतरिक्ष विज्ञान में भी पूरी तरह कर रहे हैं और इससे बहुत फायदे भी मिल रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव प्रजाति के लिए जितना फायदेमंद है दूसरी तरफ उतना ही हानिकारक भी है। इससे वैश्विक शांति को खतरा भी हो सकता है। राइट एक्टिविस्ट मानते हैं कि रोबोट की तरह इस प्रकार की विज्ञान पर आधारित चीज़ें मानव जाति को खत्म तो कर ही सकती हैं, साथ ही उनकी चिंता डेटा सुरक्षा प्रोपेगंडा सर्विलांस के विरुद्ध होने वाले नुकसान पर भी ज्यादा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लेकर खाड़ी के देशों ने इस तकनीक के इस्तेमाल पर दिशा निर्देश तय कर उसे जारी किया है। हालांकि इस पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। फिर भी इसका दुरुपयोग होने से मानव को खतरा भी हो सकता है। यह एक वैश्चिक चिंता का विषय है।
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