कर्मठ बनिए 

निरन्तर लगाव का भाव रखना,
हद और सरहद जमीन की होती है।

भारतीय अंधेरे भी हैं मुट्ठी बांधे,
हाथापाई की झड़प चीन की होती है। 

शब्द के प्रयोग से प्रभाव शून्य होता,
सम्मान सदैव मनहर मौन की होती है। 

हर युद्ध का पथप्रदर्शक धर्म रहा,
अधिकांश वाद-विवाद कौम की होती है।

किस्मत ज़रूर एक मौका देती सबको,
यश, प्रशंसा निरन्तर मेहनत की होती है।

जीभ तो हर जुबान में है बड़ी,
पर बेहतरीन जवाब समय की होती है। 

हमेशा न्यायोचित निष्कर्ष निकालना, 
स्वास्थ्य की उत्तमता परहेज की होती है। 

बराती, बाजे के साथ आते हैं आप,
कोहिनूर के आगे चर्चा दहेज की होती है। 

न करो कभी अन्न का अपमान तुम,
मेहनती रक्त की बूंद किसान की होती है।

कर्मठ बनिए जीत ज़रूर जाएंगे,
अदालत की वकालत भगवान की होती है।

-प्रतिभा पाण्डेय