युद्ध के गहराते बादल
पश्चिमी एशिया में इज़रायल तथा हमास में रक्तिम युद्ध चलते हुए लगभग 11 मास का समय हो गया है। इज़रायल के साथ लगती गाज़ा-पट्टी पर इज़रायल के विरुद्ध लगातार सक्रिय रहे आतंकवादी संगठन हमास का कब्ज़ा है। वर्ष 1948 में इज़रायल के अस्तित्व में आने के बाद वहां पहले बसे फिलिस्तीन के नागरिकों को वैस्ट बैंक तथा गाज़ा पट्टी में धकेल दिया गया था। उसी समय से ही ज्यादातर अरब देश किसी न किसी रूप में इज़रायल के साथ लड़ते आ रहे हैं। ईरान तथा कुछ अन्य पड़ोसी देशों ने तो इज़रायल के अस्तित्व को ही खत्म करने का प्रण किया हुआ है। उस समय से ही इस यहूदी राज्य को लेकर चलते आ रहे कड़े घटनाक्रम के दौरान कई अरब देशों के इज़रायल के साथ कड़े टकराव हुए।
कई बार कुछ देशों के साथ समझौते हुए परन्तु इसके बावजूद कई दशकों से यह कड़ा टकराव चला आ रहा है। फिलिस्तीनियों के अलग-अलग देशों में फैले ग्रुपों ने अपने-अपने संगठन बना कर कई अरब देशों की सहायता लेकर इज़रायल के विरुद्ध अपना युद्ध जारी रखा हुआ है। पश्चिमी किनारे पर बसे शरणार्थियों के साथ-साथ गाज़ा की छोटी-सी पट्टी में भी 23-24 लाख फिलिस्तीनियों का डेरा है। समय-समय पर उभरे आतंकवादी संगठनों में हमास का दबदबा अधिक बना रहा है। हमास संगठन 1987 में बनाया गया था। इसका पहला प्रमुख अहमद यासिन था। उसके बाद हानिया का उभार हुआ। गाज़ा पट्टी में चुनावों द्वारा हमास ने 2006 में प्रशासन सम्भाल लिया था। पिछले समय में हानिया हमास के प्रमुख के रूप में उभरा, जिसने लगातार इज़रायल के साथ टकराव जारी रखा। 7 अक्तूबर, 2023 को हमास के आतंकवादियों ने इज़रायल पर हमला किया। इसमें उन्होंने लगभग 1200 लोगों को मार दिया तथा सैकड़ों को बंधक बना कर गाज़ा पट्टी ले आए। उसके बाद इज़रायल की ओर से गाज़ा पट्टी पर निरन्तर हमले किए गए, जिनमें अब तक हज़ारों ही आम फिलिस्तीनी, जिनमें ज्यादातर बच्चे एवं महिलाएं शामिल थीं, मारे गये। इससे इज़रायल पर युद्ध रोकने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ा। संयुक्त राष्ट्र ने भी उसे बार-बार शुरू किए युद्ध को खत्म करने की अपीले कीं, क्योंकि घटित इस मानवीय दुखांत में अधिकतर निर्दोष व्यक्ति मारे जा रहे थे, परन्तु हमास ने कुछ एक को छोड़ कर इज़रायल के ज्यादातर बंधकों को अपने कब्ज़े में रखा। इस मामले पर समझौते के लिए किए गए यत्न भी सफल नहीं हो सके। इन यत्नों में मिस्र, कतर एवं अमरीका आदि शामिल हैं, परन्तु दूसरी तरफ ईरान, लेबनान तथा यमन इज़रायल को नुकसान पहुंचाने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा रहे हैं।
इज़रायल को कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ रही है। परन्तु उसने अभी तक गाज़ा पट्टी एवं इसके अन्य क्षेत्रों में हमास नेताओं को निशाना बना कर अपने हमले जारी रखे हुए हैं। विगत दिवस ईरान में वहां के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए हमास प्रमुख हानिया आये हुए थे, जोकि कतर में रह रहे थे। तेहरान में वह इज़रायल के मिसाइल हमले में मारे गए। इससे ज्यादातर अरब देशों में गुस्सा भड़क गया। ईरान के प्रमुख आयातुल्लाह अली खामनेई ने इज़रायल द्वारा की गई इस कार्रवाई का बदला लेने की घोषणा कर दी है, जिससे दक्षिणी एशिया के इस क्षेत्र में भयानक युद्ध छिड़ने का ़खतरा बन गया है। यह भी कि इस युद्ध के विश्व भर में फैलने की सम्भावनाएं भी बनती दिखाई देती हैं, जिसके परिणाम बेहद विनाशकारी हो सकते हैं। इज़रायल के साथ हर पक्ष से खड़े रहे शक्तिशाली देश अमरीका में नवम्बर के महीने में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जहां इज़रायल की प्रत्येक पक्ष से सहायता करने की घोषणा की थी, वहीं वह यह भी चाहते थे कि यह युद्ध खत्म होना चाहिए। इस चुनाव के बाद अस्तित्व में आने वाले नए अमरीकी प्रशासन का इस युद्ध पर भी प्रभाव पड़ने की सम्भावना है। इस समय की बड़ी ज़रूरत यह है कि विश्व के बड़े देश एक साझे मंच पर एकजुट होकर हर हाल में इस युद्ध को खत्म करवाने के लिए यत्नशील हों ताकि विश्व को किसी और बड़े तथा विनाशकारी युद्ध से बचाया जा सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द