बैंगनी समुद्री घोंघा

बैंगनी समुद्री घोंघा एक मोलस्क अर्थात कठोर आवरणधारी जीव है। अंग्रेजी में इसे परपल सी स्नैल कहते हैं। बैंगनी समुद्री घोंघा अत्यंत रोचक और असाधारण समुद्री घोंघा है। यह पानी की सतह पर हवा के बुलबुलों का एक घोंसला तैयार करता है और जीवनभर इसी के सहारे उल्टा तैरता रहता है। तैरते समय इसके आवरण का ऊपरी भाग हमेशा नीचे की ओर रहता है।
बैंगनी समुद्री घोंघा हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के उष्णकटिबंधीय भागों में पाया जाता है। प्रतिवर्ष उष्णकटिबंधीय सागर तटों पर इसके लारवों के खाली आवरणों का ढेर सा लग जाता है। इससे यह लगता है कि विश्व के गर्म सागरों में इसकी संख्या बहुत अधिक है। कभी-कभी गर्मियों में गर्म जलधाराओं के साथ बहते हुए मृत अथवा मृतप्राय बैंगनी समुद्री घोंघे समशीतोष्ण सागर तटों पर भी आ जाते हैं।
बैंगनी समुद्री घोंघा विश्व के अधिकांश सागरों और महासागरों के प्लैंकटन का एक प्रमुख भाग है। इसका घोंसला बड़ा विलक्षण होता है एवं यह इसे बड़े विलक्षण ढंग से तैयार करता है। बैंगनी समुद्री घोंघे का घोसला हवा के बुलबुलों के एक गुच्छे के रूप में होता है। इसे यह अपने शरीर के अगले भाग और पैर की सहायता से तैयार करता है। बैंगनी समुद्री घोंघा अपना घोंसला तैयार करने के लिए सर्वप्रथम अपने पैर का नीचे वाला सिरा पानी की सतह के बाहर निकालता है और इसमें हवा का एक बुलबुला फंसाता है। अब यह इस बुलबुले को पानी के भीतर अपने पैर के मध्य भाग के पास लाता है एवं इस पर एक चिपचिपे पदार्थ का लेप करता है। यह चिपचिपा पदार्थ इसके पैर के मध्य भाग और शरीर के आगे के भाग से निकलता है। वास्तव में यह चिपचिपा पदार्थ एक विशेष प्रकार का झाग होता है, जो हवा को अपने भीतर भर कर बुलबुले का रूप ले लेता है। लेप हो जाने के बाद भी हवा का बुलबुला पूरी तरह पारदर्शक बना रहता है, लेप के बाद यह इतना मजबूत और कठोर हो जाता है कि सुई चुभाने पर भी नहीं फूटता।  बैंगनी समुद्री घोंघे के आंखें नहीं होतीं। इसके मुंह के पास काले रंग की एक संस्पर्शिका होती है। इसी के सहारे यह अपने शिकार की खोज करता है। बैंगनी समुद्री घोंघा प्लैंकटन में बहुतायम से पाया जाने वाला जीव है तथा यह प्लैंकटन के अन्य जीवों का शिकार करता है। बैंगनी समुद्री घोंघा उन सभी जीवों का शिकार करता है, जिनसे यह जीत सकता है और जिन्हें खा सकता है। इसका प्रमुख भोजन विभिन्न प्रकार के क्रस्टेशियंस, बारनेकल के लारवे, कोपपाड, हेलेबेट्स नामक कीट एवं वेलेल्ला है। इसके साथ ही यह स्वजातिभक्षी भी है अर्थात अपनी ही जाति के छोटे-छोटे समुद्री घोंघे भी खा जाता है। बैंगनी समुद्री घोंघे का प्रजनन बड़ा रोचक और आकर्षक होता है। बैंगनी समुद्री घोंघे में आंतरिक निषेचन होता है एवं यह निषेचित अंडे अपने द्वारा छोड़ी गई वेलेल्ला की प्लेट के नीचे की सतह पर देता है। अधिकांश जातियों के बैंगनी समुद्री घोंघों के अंडे कैप्सूलों के भीतर बंद रहते हैं एवं कैप्सूल एक-दूसरे से जुड़े हुए होते हैं और एक लड़ी के रूप में दिखाई देते हैं। प्रजनन काल में एक बैंगनी समुद्री घोंघा 200 से लेकर 600 तक कैप्सूल निकालता है। बैंगनी समुद्री घोंघे के कैप्सूलों की संख्या इसकी जाति और आकार पर निर्भर करती है। अर्थात कुछ जातियों के बैंगनी समुद्री घोंघे अधिक अंडे देते हैं और कुछ जातियों के कम। इसी प्रकार समुद्री घोंघा जितना बड़ा होता है, उतने अधिक कैप्सूल निकालता है। इसके प्रत्येक कैप्सूल में 17 से लेकर 5,000 तक अंडे होते हैं, अर्थात यह 30 लाख तक अंडे निकालता है। बैंगनी समुद्री घोंघे के अंडों की संख्या भी इसकी जाति एवं आकार पर निर्भर करती है। कुछ जातियों के बैंगनी समुद्री घोंघे अपने बुलबुले वाले घोंसले की नीचे की सतह पर अंडे देते हैं। कुछ समय बाद अंडे फूटते हैं और इनसे लारवे निकल आते हैं। ये कुछ समय तक सागर में स्वतंत्रता रूप से विचरण करते हैं और फिर बच्चा बैंगनी समुद्री धोंघे में परिवर्तित हो जाते हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर