विंडमिल का पहले प्रयोग कब हुआ ?

‘दीदी, ये विंडमिल क्या होती है?’
‘विंडमिल एक मशीन है जो हवा की ऊर्जा को कार्य में बदलती है।’
‘किसलिए?’
‘विंडमिल का सबसे आम प्रयोग अनाज पीसना या वाटर पंप करने का है।’
‘अच्छा।’
‘विंडमिल में हवा से चलने वाला एक पहिया होता है जिसे विंडव्हील कहते हैं। इसमें एक शाफ़्ट से अनेक बराबर के संतुलित वेन लगे होते हैं, जैसे तुम छत के पंखे में पंखुड़ी देखते हो। इन वेन को सेल्स भी कहते हैं।’
‘तो विंडमिल हवा से चलती है। मगर कैसे?’
‘जब हवा सेल्स से टकराती है तो विंडव्हील घूमने लगता है और शाफ़्ट भी घूमती है। यह घूमता हुआ बल शाफ़्ट से गियरों में जाता है या मशीन के पार्ट्स में जोकि काम करते हैं।’ 
‘विंडमिल का पहले प्रयोग कब हुआ होगा?’
‘विंडमिल के सिद्धांत के बारे में तो प्राचीन समय से ही जानकारी थी, लेकिन 12वीं शताब्दी से पहले इसके प्रयोग की जानकारी कम ही है। यह वह समय था जब यूरोप में विंडमिल का बहुत अधिक इस्तेमाल होने लगा था।’
‘तब भी उन्हें विंडमिल ही कहते थे।’
‘सबसे पहली प्रकार की विंडमिल को पोस्ट या जर्मन मिल कहते थे। उसमें एक स्थिर वर्टिकल पोस्ट होता था, जिसके इर्द-गिर्द पूरी मिल घूमती थी ताकि विंडमिल हवा का सामना कर सके। एक अन्य प्रमुख प्रकार की विंडमिल टावर थी, जिसे टरेट या डच मिल भी कहते थे। इसमें विंडमिल और शाफ़्ट को घूमते हुए टरेट पर सेट किया जाता था, एक स्थिर टावर पर।’
‘इन विंडमिल्स से कितनी हॉर्सपावर मिलती होगी?’
‘दो से आठ हॉर्सपावर जर्मन टाइप के लिए और 6 से 14 हॉर्सपावर डच टाइप के लिए। आधी हॉर्सपावर तो ट्रांसमिशन में खो जाती थी, इसलिए यह कोई बहुत प्रभावी मशीन न थीं। लेकिन इनका बड़ी संख्या में प्रयोग किया जाता था, जब तक कि 18वीं शताब्दी में स्टीम पॉवर विकसित न हुई। 17वीं शताब्दी में अकेले नीदरलैंड में 8,000 से अधिक विंडमिल थीं। सिंचाई के लिए पानी पंप करने हेतु छोटी विंडमिल भी बहुत पॉपुलर थीं।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर