राष्ट्र हित में अमरीका के साथ संबंधों की समीक्षा करने की ज़रूरत

डोनाल्ड ट्रम्प के अपनी सरकार के उद्घाटन भाषण और राष्ट्रपति के रूप में पहले दिन उनके द्वारा जारी किये गये कार्यकारी आदेशों की झड़ी से पता चलता है कि ट्रम्प ने वही किया जो उन्होंने कहा था।  अमरीका को फिर से महान बनाने का दावा करते हुए ट्रम्प ने पनामा नहर पर कब्ज़ा करने की बात कही है, जिसका नियंत्रण 1977 में एक संधि द्वारा पनामा को सौंप दिया गया था। उन्होंने मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमरीका की खाड़ी कर दिया है और अमरीकी क्षेत्र का विस्तार करने के लिए और कदम उठाने का वायदा किया है जैसा कि हाल के इतिहास में किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति ने नहीं किया है। ट्रम्प ने मेक्सिको के साथ दक्षिणी सीमाओं में आपातकाल का आदेश दिया है और सीमा पार करने वाले आप्रवासियों को रोकने के लिए सेना को तैनात किया है। 
देश में जन्म से ही लोगों के नागरिकता के अधिकार को रद्द करने सहित अन्य आप्रवासी विरोधी फैसले लिए हैं। कार्यकारी आदेशों में अमरीका द्वारा पेरिस जलवायु संधि से हटने और देश के भीतर पर्यावरण संरक्षण उपायों को खत्म करने को शामिल किया गया है। तेल लॉबी विनियमन से इस स्वतंत्रता का अंधाधुंध दोहन करने के लिए तैयार है।  दूसरे, ट्रम्प प्रेसीडेंसी की एक खास विशेषता जो शपथ ग्रहण समारोह में स्पष्ट रूप से देखी गयी, वह है ट्रम्प के लिए टेक-बिलियनेयर्स और सुपर-रिच का समर्थन। दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क और प्रशासन में अन्य अरबपतियों द्वारा निभायी गई प्रमुख भूमिका शासन को एक धनिकतंत्र की तरह बनाती है। इस बात की अच्छी तरह से स्थापित आशंकाएं हैं कि सामाजिक सुरक्षा लाभ और कल्याणकारी उपाय संघीय सरकार और सामाजिक व्यय को कम करने के अभियान का शिकार होंगे।  इसके विपरीत यह एक ऐसा प्रशासन है, जो बड़े व्यवसाय और कॉर्पोरेट हितों को खुली छूट देगा। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के स्तर पर हालांकि ट्रम्प प्रेसीडेंसी बहुपक्षवाद, व्यापार शुल्क और जलवायु परिवर्तन उपायों पर विघटनकारी साबित होगी, मूल रूप से अमरीका के साम्राज्यवादी हितों को आगे बढ़ाने में निरन्तरता लाएगी। 
आखिरकार, जो बाइडन प्रशासन अपनी नव-रूढ़िवादी विदेश नीति के लिए कुख्यात हो गया। बाइडन के शासन के वर्षों में अमरीका ने गाज़ा पर इज़रायल के नरसंहार युद्ध को भड़काया और वित्तपोषित किया और यह सुनिश्चित किया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष यूक्रेन को बिना किसी रोक-टोक के सैन्य और वित्तीय सहायता के साथ एक पूर्ण युद्ध बन जाये। बाइडन ने चीन के साथ टकराव बढ़ाने और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में गठबंधन बनाने के रास्ते पर भी चलना जारी रखा। ट्रम्प प्रशासन की संरचना को देखते हुए लैटिन अमरीका में अधिक आक्रामक दृष्टिकोण की उम्मीद की जा सकती है, जिसमें क्यूबा और वेनेजुएला में हस्तक्षेप बढ़ने की संभावना है। 
मोदी सरकार उत्सुकता से देख रही है कि ट्रम्प अमरीका को भारतीय वस्तुओं के निर्यात पर शुल्क और प्रतिबंधात्मक वीज़ा नीति के संबंध में क्या कदम उठाते हैं। अगर ट्रम्प अवैध प्रवासियों को वापिस भेजने की धमकी देते हैं, तो हमें उम्मीद करनी होगी कि करीब 20,000 भारतीय, जिनकी पहचान हो चुकी है या जिन्हें अवैध रूप से अमरीका में प्रवेश करने के लिए प्रक्रियाबद्ध किया गया है, उन्हें वापिस भारत भेजा जायेगा।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मोदी सरकार ट्रम्प को यह साबित करने के लिए बेताब है कि वह एक अच्छा और विश्वसनीय सहयोगी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर पिछले कुछ हफ्तों में दो बार वाशिंगटन जा चुके हैं। शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए अपनी दूसरी यात्रा पर उन्होंने क्वाड देशों के तीन अन्य विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की, जिसमें नये अमरीकी विदेश मंत्री भी शामिल थे, लेकिन ट्रम्प के साथ फोटो मुकेश और नीता अम्बानी ने खिंचवायी, जो उद्घाटन से पहले रात्रि भोज में शामिल हुए थे। अब वाशिंगटन में मंत्रियों पर धनिकों को प्राथमिकता मिलती है।
ट्रम्प की पसंद पर निर्भर रहने और गलत कदम उठाने के बजाय, मोदी सरकार के लिए रणनीतिक स्वायत्तता बहाल करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अपनी रणनीति पर फिर से काम करना बेहतर होगा, जो गंभीर मंदी से जूझ रही है। (संवाद)

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