बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ

केन्द्र सरकार ने 10 वर्ष पहले ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का आगाज़ किया था। इस पूरे समय में संबंधित मंत्रालय ने देश भर में भिन्न-भिन्न स्तरों पर जन-साधारण की भागीदारी से यह अभियान चलाया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य लिंग अनुपात को संतुलित बनाना था। देश भर में ज्यादातर समाज में अक्सर यह देखा गया है कि लड़का एवं लड़की की जन्म दर में बहुत अन्तर होता है। इसे दूर करने के लिए यह भी कड़े निर्देश दिए गए थे कि बच्चे के जन्म होने से पहले किसी भी तरह के लिंग निर्धारण टैस्ट न किए जाएं, चाहे पहले से चलते आ रहे इस रूझान को नकेल तो पड़ी है परन्तु सन्तोषजनक ढंग से ऐसे टैस्टों को नियन्त्रित नहीं किया जा सका।
प्रत्येक वर्ष समय-समय पर देश भर में ऐसे आंकड़े इकट्ठे किए जाते हैं, जिनसे यह अनुमान ज़रूर लग जाता है कि पहले से यह अन्तर ज़रूर कम हुआ है, परन्तु यह पूरी तरह खत्म नहीं हो सका। प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। एकत्रित किए गए आंकड़े यह ज़रूर प्रकट करते हैं कि पंजाब में लड़कियों की जन्म दर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पिछले आंकड़ों पर दृष्टिपात करते हुए वर्ष 2011 की तुलना में लड़कियों की दर 846 से बढ़ कर 2018 में 901 हो गई थी। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत भिन्न-भिन्न ज़िलों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में लड़कियों की जन्म दर ज़िला लुधियाना में सबसे अधिक 931 तथा सबसे कम ज़िला गुरदासपुर में 843 रही थी। वर्ष 2001 में एक हज़ार लड़कियों के पीछे 927 तथा 2011 में 918 लड़कियों ने अनुपातन जन्म लिया था। इस शुरू किए गए अभियान के 10 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि इस अभियान ने लड़के एवं लड़कियों में भेदभाव दूर करने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने इस बात की कामना भी की कि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में परिवारों की ओर से समानता के अवसर और अधिकार दिए जाने ज़रूरी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस अभियान में सभी वर्गों ने अपना योगदान डाला है। इस अभियान का एक बड़ा उद्देश्य समाज की मानसिकता को बदलना भी है तथा बेटियों के अधिकारों की रक्षा करना भी सुनिश्चित बनाना है। नि:संदेह आगामी समय में इस पक्ष से समाज की मानसिकता को बदलने के लिए बड़े यत्न किए जाने बेहद ज़रूरी हैं तथा यह एक सार्वजनिक आन्दोलन बनना चाहिए। जिन क्षेत्रों में भी लड़कियों को उत्साहित किया गया है, उनमें उन्होंने लड़कों के मुकाबले अपने अधिक योग्य होने का प्रमाण दिया है।
देश में पिछले दशकों में लड़कियों और महिलाओं ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। यह तभी सम्भव हो सका है क्योंकि धीरे-धीरे लोगों की मानसिकता में बदलाव आ रहा है, जिसे साझे यत्नों से और आगे बढ़ाया जाना चाहिए। महिलाओं को भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की ज़रूरत है। समय की सरकारों की ओर से ऐसे अधिकारों की रक्षा करने को उत्साहित किया जाता रहा है। इसी क्रम में केन्द्र सरकार द्वारा ऐसे यत्न लगातार किए जा रहे हैं। इसके लिए हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए यह उम्मीद करते हैं कि आगामी समय में वह ऐसी योजनाओं को  क्रियात्मक रूप देने में और भी अधिक यत्नशील होंगे ताकि महिला समाज में बिना झिझक और हौसले से अहम भूमिका निभाने में हर पक्ष से योग्य हो सके।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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