कंटीली त्वचा वाला प्राणी जाहक

अफ्रीका, यूरोप, सुमात्र, बाजी, जावा, बोर्नियो और फिलीपींस द्वीप समूह में एक कंटीली त्वचा वाला प्राणी जाहक पाया जाता है। जाहक इंसविवोरा वर्ग के ऐरिनसीईडी वंश का प्राणी है। यह जंगली जानवर जंगलाें और रेगिस्तानों में रहता है। इसकी सात जातियां और 15 उपजातियां बताई जाती हैं। भारत में भी इस की दो जातियां पाई जाती हैं। इसका आकार सेही जैसा होता है। यह काफी तेज-तर्रार प्राणी है।
जाहक का मुंह लंबा और आगे की ओर पतला होता है। आंखें और कान बहुत तेज होते हैं। मजबूत शरीर काफी भारी होता है। पैर पतले और छोटे होते हैं। चार पैर होते हैं और चारों में पांच-पांच अंगुलियां होती हैं। अंगुलियों में तेज नाखून होते हैं। इसकी पीठ से पेट के ऊपर तक दोनों और नुकीले कांटों भरा एक आवरण-सा होता है। यह इसका रक्षा कवच जैसा है।
भारत में पाए जाने वाले जाहक का वैज्ञानिक नाम हेमिएकिंस ऑरिटस कॉलसिस है। इसके कान काफी लंबे होते हैं। यह कच्छ, राजस्थान, सिंध, पंजाब और कुछ अन्य सूखे रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पंद्रह से 20 सेमी लंबा होता है। रंग काला या गाढ़ा कत्थई होता है। यह जमीन में बिल बनाकर रहता है। बिल 50 सेमी तक गहरा होता है। जाहक रात को भोजन की तलाश करता है। चूहे, अंडे, कीट-पतंगे, छोटे पक्षी आदि इसका भोजन हैं। वैसे यह कंद, मूल और फल भी खाता हैं। यह रात में भोजन के जुगाड़ में बिल से बाहर रहता है और दिन निकलने से पहले वापस अपने बिल में लौट आता है। खास बात यह है कि अगर भोजन और पानी दोनों ही मयस्सर न हों तो भी यह दो महीने तक सही-सलामत रह सकता है। 
जाहक अपनी सुरक्षा के प्रति सदैव सतर्क रहता है। बड़े आराम से चलता है और बड़ा चौकस रहता है। खतरे का जरा सा भी आभास होने पर यह सिकुड़ कर गेंद सा हो जाता है और जमीन पर बैठ जाता है। लगता है जैसे जमीन पर कोई कंटीला पौधा उगा है।
मादा जाहक साल में एक बार गर्भवती होती है और उसका गर्भकाल जुलाई से सितम्बर तक होता है। मादा जाहक एक बार में एक से चार तक बच्चों को जन्म देती है। बच्चे प्रारंभ में अंधे होते हैं। कुत्ते के बच्चों की तरह जाहक के बच्चों की आंखें भी कुछ दिनों बाद ही खुलती हैं। कांटेदार कवच होने के कारण छोटे-मोटे शत्रु इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते। (उर्वशी)

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