सच्ची मोहब्बत का लफड़ा और मौत ने जकड़ा
मोहब्बत का रोग है। कहां कोई निरोग है? इस रोग में बड़ा जोखिम है। जान का खतरा है। आजकल मोहब्बत की सोहबत खतरनाक है। मोहब्बत में बॉडी में सिरहन होती है और डेड बॉडी बनते देर नहीं लगती है। मोहब्बत शादी से पहले कि हो या शादी के बाद दोनों डेंजर हैं। नहीं चेते तो पीठ में खंजर है। अब जमाना बड़ा हाईटेक है। यह प्रेमिकाओं के करनामों का युग है। नीला ड्रम का भ्रम डराता है। यही ड्रम यमराज तक ले जाता है। टुकड़े वाली मोहब्बत की क्या बात और खबरों में बेबात। तुम पसंद नहीं तो कोई और सही। खैर बनाओ नहीं तो हनीमून पर जिंदगी सून कर देगी। आजकल पहाड़ों के हनीमून में दिखा खून है। बेचारे डर गए हैं दूल्हे, दुल्हन की तिरिया चरित्र में। दुल्हन है या यमराज की मौत मशीन। माशा अल्लाह! क्या कहें हम।
मोहब्बत की नहीं जाती, यह हो जाती है। बहरहाल डर सबको लगता है। गला सबका सूखता है। आजकल दूल्हे दुल्हन की मोहब्बत को जान अक्सर उसके मजनू से विवाह करा दे रहे हैं। वरना मरना निश्चित है। मजनू से विवाह करा बेचारे निश्चिंत हैं। धड़कन बड़ जाती है जब पत्नी किसी से मोबाइल पर बतियाती है। यदि किसी ने टोका तो डेड बॉडी बन कर खबरों में ज़िंदा हो जाओगे इसलिए सावधान! क्योंकि सावधानी हटी तो तेरही की पूड़ी बटी। मर्दों का जीवन जोखिम भरा हो गया है। प्रेम करे की जासूसी करे। इसके बाद फल भुगते। करे तो आखिर क्या करे? सच्ची मोहब्बत के हथकंडे, मारे चापड़ लगे डंडे। समझ गए बेचारे दूल्हे पंडे। उम्र बीस की हो या पचास की सब ढाई अक्षर में पड़ गई हैं। यह अंधी मोहब्बत है। ना कोई लाज परहेज है। चार बच्चों की अम्मी को भी अब्बा से नहीं बल्कि बब्बा से रूहानी मोहब्बत हो रही है और फिर शौहर को रूह बना दे रही हैं। रूहानियत की नियत में बड़ा खोट है। यह खाट खड़ी कर देती है। सच्ची मोहब्बत भी 440 बोल्ट का वॉट लगा देती है। जब वह अपने पर आती है। अंतहीन दर्दनाक कथा है। मर्द की शादीशुदा ज़िंदगी की व्यथा है। बेचारा नथा है। सच्ची मोहब्बत अन्यथा है। खबरों में पड़ रहे सब कथा हैं। दुल्हन की भी कोई व्यथा होगी, तभी तो ऐसी हृदय विदारक कथा है। भई! झटका तगड़ा सच्ची मोहब्बत का लफड़ा। लगता है शादीशुदा बेगम को मोहब्बत करना गुनाह नहीं है। शौहर की चीख से आह भी ना निकली। बड़ी शातिर हैं ये दुल्हने। आजकल बहुत खबरों में आती हैं। मर्द को डराती हैं। शादी का पंडित जी मंत्र पड़े या मौलवी साहब निकाह पड़े सबपे मोहब्बत का तंत्र भारी है। मोहब्बत का यंत्र सर्वत्र है। मौत का दूसरा नाम सच्ची मोहब्बत है। मोहब्बत में फना हो जाना है। मर्द को मोहब्बत की गली आना है और फिर यमलोक जाना हैं। अब ऐसी ही लोककथा बन रही है। जो प्रेरित नहीं करती है। क्या आपको भी दूल्हा बनने का शौक है। अब दूल्हा न बनना इह लोक क्योंकि आगे घर में शोक है। दूल्हा बनने का जतन, आगे पतन है। सच्ची मोहब्बत के चक्कर में ना पड़ना। इसीलिए अनुभवी महापुरुष सन्यासी हैं। दाम्पत्य जीवन कांटों भरी राह है। बाबा बनने की सरल राह है। पहुंचे हुए एक बाबा कहते हैं कि गृहस्थ आश्रम में आदमी गरल और सन्यास आश्रम में अमृत पीता है। अब समझ गए होंगे आप साधुओं संख्या क्यों ज्यादा है? सभी आदमियों को गरल पीना संभव नहीं है। शादी का लड्डू खाकर पचाना सबके बूते की बात नहीं। शादीशुदा जीवन बीतना बलबूतों के बस की बात है। जब दुल्हन पास है तो शादी करने वालों को आस है। वरना जिंदगी नाश है। अब नए रंगरूट कह रहे हैं, विवाह न हो काश। क्योंकि जान गए हैं वो ‘सच्ची मोहब्बत का लफड़ा और मौत ने जकड़ा।’
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