पूरे देश के लिए बड़ी समस्या बन गए हैं लावारिस कुत्ते 

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठतम नेता विजय गोयल ने आवारों कुत्तों से उत्पन्न हुई समस्याओं पर अंकुश लगवाने के लिए न सिर्फ अभियान छेड़ा हुआ है, बल्कि कुछ महीने पहले जंतर-मंतर पर धरना भी दिया था। लावारिस और कटखने कुत्तों का आतंक पिछले कुछ समय से समूचे देश में तेज़ी से फैला है। रोज़ाना कुत्तों के हमले से जुड़े सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं। पिछले सप्ताह में दिल्ली-एनसीआर में दर्जनों ऐसी घटनाएं घटी जहां राह चलते लोगों पर कुत्तों ने जानलेवा हमला किया। दिल्ली में ऐसे दो हज़ार लावारिस कुत्तों को नगर निगम ने चिन्हित किया है। देश भर में ऐसे कुत्तों का आंकड़ा 32 लाख से भी ज्यादा बताया गया है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों से जल्द हटाने व उनकी नसबंदी करने के निर्देश दिए हैं। 
 वर्ष 2016 में लावारिस कुत्तों के आतंक से निजात के लिए केंद्र सरकार से लेकर तमाम राज्यों की सरकारों ने ‘स्ट्रीट डॉग्स शेल्टर’ बनाए जाने की योजना बनाई थी। कुछके राज्य इस दिशा में आगे बढ़े, बाकी राज्य इस मामले में गम्भीर नहीं दिखे। कुल मिलाकर कागज़ी प्रयासों मात्र से विकराल रूप धारण कर चुकी यह समस्या नहीं सुलझेगी, इस गम्भीर मुद्दे को संसद सत्र जैसे मंचों पर रखकर कोई कारगर कानून बनाए जाने की ज़रूरत है। अंकुश लगाने के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें जागरूकता, जिम्मेदार पालतू पशुपालन, नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम और पशु नियंत्रण शामिल हैं।
डॉग्स नसबंदी और एंटी रैबीज वैक्सीनेशन की भी कोई कमी नहीं है, बावजूद इसके लावारिस कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुत्तों के काटने की घटनाओं ने लोगों को खासा भयभीत किया हुआ है। यही कारण है कि डर से लोगों ने सुबह की सैर करना और बच्चों ने पार्क में खेलना तक बंद कर दिया है। पिछले दिनों की ही घटना है जब गुरूग्राम में सुबह पार्क में टहल रही महिला पर एक पालतू कुत्ते ने जानलेवा हमला कर गम्भीर रूप से घायल कर दिया। ऐसी घटनाएं अब आम हो गई हैं। पूरे देश में प्रतिदिन करीब 8 हज़ार मामले दर्ज होते हैं जिनमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब राज्य प्रमुख हैं। 
यह खबर निश्चित रूप सुखद कही जाएगी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल लावारिस कुत्तों की बढ़ती समस्याओं को लेकर अपनी ही सरकार को आईना दिखा रहे हैं। ऐसा कदम अन्य दलों के नेताओं को भी उठाना चाहिए ताकि समस्या का समाधान जल्द हो सके। उन्होंने अपनी सरकार को चेतावनी भी दी है कि अगर कोई कदम नहीं उठाया गया तो वो जनआंदोलन भी छेडेंगे।
पशु अधिनियम कानूनों में बदलाव की अब सख्त ज़रूरत है। पुरानी चरमराती व्यवस्था में बदलाव करना होगा। कटखने और लावारिस पशुओं को पकड़ कर कर एकांत शहरों से कहीं दूर-दराज क्षेत्रों में ले जाकर सुरक्षित ढंग से रखने की व्यवस्था की जानी चाहिए, जहां उन्हें एंटी रैबीज़ इंजेक्शन दिया जाए और सबसे जरूरी कदम, शहरों में नॉन वेज की दुकानों के आसपास से कुत्तों को हटाया जाए जिससे वह ज्यादा हिंसक होते हैं। (युवराज)

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