राहुल की नागरिकता के विवाद में ईडी भी हुई सक्रिय
सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची मे शामिल करने को लेकर एक याचिका अदालत में दाखिल की गई थी। इसमे कहा गया था कि सोनिया गांधी का नाम तभी मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया था, जब वह भारत की नागरिक नहीं बनी थी। अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया। उधर राहुल गांधी की नागरिकता का मामला अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है। भाजपा के एक कार्यकर्ता विघ्नेश शिशिर ने यह याचिका दायर की है और आरोप लगाया है कि राहुल के पास ब्रिटेन की नागरिकता है, इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता समाप्त की जाए। यह मामला अदालत में लंबित है, लेकिन इसमें दिलचस्प कहानी यह है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने याचिका दायर करने वाले शिशिर को 9 सितम्बर को तलब किया था।
सवाल है कि क्या राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़े मामले में ईडी भी कोई सबूत जुटा रही है? हालांकि ईडी का कहना है कि उसे यह पता लगाना है कि कही फेमा (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट) के प्रावधानों का उल्लंघन तो नहीं हुआ है। ईडी विदेश में कारोबार और आय के बारे में भी जानकारी जुटाना चाह रही है। असल में विघ्नेश शिशिर ने दावा किया है कि कारोबार के लिए राहुल ने ब्रिटेन की नागरिकता ले रखी है। इसीलिए कहा जा रहा है कि ईडी यह जानकारी हासिल करना चाहती है कि विदेश में राहुल का क्या कारोबार है या किस बैंक में उनका खाता है।
केजरीवाल की लड़ाई अब सिर्फ कांग्रेस से
आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब दिखावे के लिए भी भाजपा से लड़ना लगभग बंद कर दिया है। अब उनकी लड़ाई कांग्रेस से है। अब वह राष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ दिखने की कोशिश भी नहीं करते हैं। उप-राष्ट्रपति के चुनाव में भी खबर आई कि उनकी पार्टी के कुल 11 सांसदों में से 6 ने क्रॉस वोटिंग की और भाजपा के उम्मीदवार को वोट किया। संजय सिंह आम आदमी पार्टी के इकलौते सांसद हैं, जो भाजपा से लड़ते दिखते हैं। बताया जाता है कि असल में केजरीवाल पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए पोज़िशनिंग कर रहे हैं, जहां उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस से है। पंजाब के चुनाव में डेढ़ साल का समय शेष है। केजरीवाल को पता है कि पंजाब में भाजपा और उसके नेतृत्व से बड़ी नाराज़गी है। लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ भी लोगों की नाराज़गी बढ़ रही है। इसीलिए केजरीवाल का प्रयास कांग्रेस को भाजपा जैसा बताने का है। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के बीच साठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी और दूसरे कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी नहीं हो रही है जबकि ऐसे मामलों में अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इसी तरह उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस के चुनाव लड़ने पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा की मदद करने के लिए कांग्रेस चुनाव लड़ी थी। दरअसल केजरीवाल को पता है कि अगर 2027 के मार्च में पंजाब बचा लिया तो ही उनकी राजनीति बची रही रहेगी।
मणिपुर में फैसला आसान नहीं होगा
करीब अढ़ाई साल बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातीय हिंसा में बुरी तरह झुलसे मणिपुर की सुध ली। उनके मणिपुर दौरे के बाद भाजपा का प्रचार तंत्र सब कुछ अच्छा हो जाने का प्रचार कर रहा है, लेकिन सब कुछ अच्छा हो जाना बहुत आसान नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री की यात्रा के बावजूद जातीय हिंसा में उलझे कुकी और मैतेई समुदायों के बीच बर्फ नहीं पिघली है। कुकी पहाड़ पर है और मैतेई घाटी में हैं। दोनों एक-दूसरे के इलाके में नहीं जाते हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनों से दोनों के बीच हिंसा थमी हुई है, लेकिन जैसे ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू होगी, वैसे ही हिंसा शुरू हो सकती है।
अभी राज्य में राष्ट्रपति शासन है और विधानसभा निलंबित रखी गई है, ताकि स्थिति सामान्य होने पर लोकप्रिय सरकार का गठन हो सके, लेकिन सबको पता है कि मैतेई बहुसंख्यक होने की वजह से मुख्यमंत्री तो कोई मैतेई ही बनेगा। ऐसे में कुकी समुदाय का भरोसा नहीं लौटेगा। गैर-कुकी और गैर- मैतेई मुख्यमंत्री बनाने के अपने खतरे हैं, जो भाजपा नहीं उठा सकती। इसलिए लोकप्रिय सरकार के गठन की प्रक्रिया मुश्किल है। इसका उपाय कुकी समुदाय ने प्रधानमंत्री मोदी को यह सुझाया कि उनको मणिपुर से अलग करके पहाड़ी इलाके में एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाए। अगर ऐसा किया जाता है तो दोनों समुदायों के बीच का कम से कम राजनीतिक विवाद खत्म होगा। उसके बाद सामाजिक विभाजन को खत्म करने का प्रयास किया जा सकता है, लेकिन राज्य का विभाजन भी आसान फैसला नहीं होगा।
अब पहलगाम का मुद्दा कैसे उठाएगी भाजपा?
बिहार में विधानसभा के चुनाव की भले ही घोषणा नहीं हुई है, लेकिन चुनावी माहौल बन चुका है। भाजपा के नेता देशभक्ति को मुद्दा बना कर प्रचार रहे हैं। भाजपा के विरोधियों को पाकिस्तान भेजने का बयान देने वाला विभाग संभाल रहे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह मंदिर और मस्जिद के विवाद में जुटे हैं और इस बीच भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच हो गया है। अभी लोगों के दिमाग से पहलगाम घटना की तस्वीरें धुंधली नहीं हुई हैं और न ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिये बनाया गया नैरेटिव पुराना हुआ है। गौरतलब है कि पहलगाम घटना के बाद प्रधानमंत्री का पहला दौरा बिहार का हुआ था और मधुबनी में उन्होंने आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देने का संकल्प जताया था, लेकिन चुनाव में भाजपा कैसे यह मुद्दा उठाएगी, जब अपनी टीम को पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने भेज दिया? पहलगाम घटना के बाद देश भर के लोगों ने देखा था कि कैसे पाकिस्तान के क्रिकेटर और पूर्व क्रिकेटर आतंकवादियों का बचाव कर रहे थे और उनकी मौत पर आंसू बहा रहे थे। प्रधानमंत्री ने सिंधु जल संधि स्थगित करते हुए कहा कि ‘पानी और खून’ एक साथ नहीं बहेंगे, लेकिन अब खून और क्रिकेट एक साथ चल रहे हैं।