आम आदमी के लिए राहत

देश भर में टैक्सों के मुख्य केन्द्र बिन्दु जी.एस.टी. (द गुडस एंड सर्विसिज़ टैक्स, एक्ट 2017) में भारी कटौती के ऐलान के साथ इसकी चर्चा गली-गली हो रही है। केन्द्र सरकार द्वारा करों और दरों में इस कद्र छूट देने के ऐलान ने बड़ी हैरानी ज़रूर पैदा की है। इन कर सुधारों के साथ 2.5 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। नि:संदेह इसका असर आम आदमी के जीवन निर्वहन पर पड़ेगा। इस संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि यह सुधार भारत की विकास की कहानी को तेज़ करेंगे, व्यापार करने में अधिक आसानी आएगी और इससे कई पक्षों से आर्थिकता को भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने इसको त्यौहारों से पहले ‘बचत त्यौहार’ का नाम दिया है। उन्होंने यह भी आशा जताई है कि इससे आत्म-निर्भर भारत की भावना को उत्साह मिलेगा और देश में तैयार होने वाले बहुत से सामान के उत्पादन और बिक्री दोनों में तेज़ी आएगी।
जहां तक इस कर (टैक्स) विधि का संबंध है, चाहे इसको मार्च 2017 में लागू किया गया था परन्तु अलग-अलग स्तरों पर काफी समय से इस पर लगातार चर्चा होती रही थी। जी.एस.टी. कर प्रणाली अपनाये जाने से पहले देश में अलग-अलग तरह की अनेक कर प्रणालियां प्रचलित थीं, जिनमें वैट, सर्विस टैक्स, केन्द्रीय एक्साइज़ ड्यूटी, एंटरटेनमैंट टैक्स और चुंगी आदि शामिल थे। इन सबको एक ही इकाई में लाना बेहद जोखिम भरा काम था और समय-समय इसकी कड़ी आलोचना भी होती रही थी। इसको लागू किए जाने के समय इसकी 5 अलग-अलग स्तरें (स्लैबें) बनाई गई थीं। यह टैक्स 5 प्रतिशत से शुरू होकर अलग-अलग वस्तुओं पर 18 और 40 प्रतिशत तक पहुंचते थे। इन टैक्सों का एक समुची प्रक्रिया का निर्धारण जी.एस.टी. कौंसिल करती थी, जिसमें केन्द्रीय वित्त मंत्री और सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल थे। लम्बे विचार-विमर्श के बाद 3 सितम्बर, 2025 को नई कर दरों की घोषणा की गई थी, जो 22 सितम्बर दिन सोमवार से लागू की गई हैं। अब कर की मुख्य रूप में दो ही स्लैब रह गई हैं, एक 5 प्रतिशत की तथा दूसरी 18 प्रतिशत। अब कम ऐशो-आराम वाली वस्तुओं को ही कर के लिए 40 प्रतिशत की स्लैब के अधीन रखा गया है। 
चाहे पहले की तरह पैट्रोलियम पदार्थ, एल्कोहल तथा बिजली के क्षेत्र जी.एस.टी. के दायरे में नहीं आएंगे और इनके करों का प्रबंध संबंधित राज्य ही करेंगे, परन्तु इनके अतिरिक्त आम इस्तेमाल में आने वाली 375 वस्तुओं पर यह कर दरें लागू हो गई हैं। पहले ही 12 लाख रुपये तक आयकर में छूट होने के साथ-साथ प्रत्येक वर्ग के लिए दैनिक इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं जिनमें मक्खन, पनीर, घी, चॉकलेट, बिस्कुट, साबुन, पानी की बोतल, आइसक्रीम, केक, शैम्पू, टुथपेस्ट, टुथब्रश तथा टैलकम पाऊडर आदि शामिल हैं, पर कर दरें कम होने से खपतकारों को काफी राहत मिलेगी। इन वस्तुओं का इस्तेमाल करने वालों के दायरे में देश के प्रत्येक वर्ग के लोग आ जाते हैं। दवाइयों के क्षेत्र में बहुत-सी दवाइयों पर 5 प्रतिशत कर, सीमेंट पर 28 प्रतिशत से कम करके 18 प्रतिशत कर, दोपहिया वाहनों तथा अधिकतर कारों पर भारी छूट तथा इसके साथ जीवन बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा भी जी.एस.टी. से मुक्त कर दिया गया है। पैंसिल, रबड़, अभ्यास पुस्तकों पर कर पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इससे भी आगे दूध, रोटी, परांठा तथा बंद लिफाफा स्नैक्स जैसी वस्तुओं पर 5 प्रतिशत या 0 प्रतिशत कर लगाया गया है।
एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक तरह के ग्राहक के महीने का खर्च 27 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद की जा रही है। 36 दवाइयों पर शून्य कर तथा कुछ दवाइयों पर 12 प्रतिशत कर से कम करके यह 5 प्रतिशत किया गया है। सरकारी अनुमान के अनुसार इससे देश में प्रत्येक तरह के उत्पादन को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। अधिक खपत होने से समूचे रूप में प्रत्येक तरह की गतिविधि बढ़ेगी, जिससे विदेशी वस्तुओं की खपत भी देश में कम हो जाएगी। इस फैसले संबंधी अलग-अलग वर्गों तथा राजनीतिक पार्टियों द्वारा अनेक तरह के प्रश्न चिन्ह अवश्य खड़े किए जा रहे हैं, परन्तु यह सुनिश्चित है कि आम जन को इस फैसले से बड़ी राहत मिलेगी, जिसका स्वागत किया जाना बनता है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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