गज़ल-सूख जाते हैं पेड़ वो सारे,
सूख जाते हैं पेड़ वो सारे,
जो जड़ों से जुड़े नहीं होते।
प्यार की बारिशें जिन्हें न मिली,
फूल वो तो खिले नहीं होते।
इश्क करना तो इक इबादत है,
इश्क में ही गिले नहीं होते।
बो रहे जो, वही मिले तुझको,
लोग इतने बुरे नहीं होते।
मंज़िलों पे मुकाम होता गर,
आंधियों से डरे नहीं होते।
मतलबी यार हैं सुनो वो जो,
मुश्किलों में खड़े नहीं होते।
मिट ही जाता वजूद मेरा गर,
आप हमको मिले नहीं होते।
देख ‘सागर’ हमें डुबो जाता,
दिल में गर हौसले नहीं होते।
-गोपी डोगरा ‘सागर’
-मो. 85447.13967
#गज़लसूख जाते हैं

